‘बिहार विधानसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन की जीत होगी’: कांग्रेस सांसद रंजीत रंजन ने जन सुराज को बीजेपी की B टीम बताया, बोली- जनता सब समझ चुकी है – Purnia News

पूर्णिया में कांग्रेस से राज्यसभा सांसद रंजीत रंजन ने जन सुराज को बीजेपी की B टीम बताया है। प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ‘जनता इस बात को अच्छी तरह समझ चुकी है। इससे इंडिया गठबंधन को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला और न ही नुकसान होने वाला
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इंडिया गठबंधन की सरकार बनने पर बिहार की सभी महिलाओं को हर महीने 2500 रुपए मां बहन मान योजना के तहत दी जाएगी। देश में जहां भी इंडिया गठबंधन और कांग्रेस की सरकार है, वहां इस तरह की योजना अन्य नामों से चल रही है। भाजपा सरकार ने महिलाओं के लिए आज तक कुछ नहीं किया है। बिहार में महिलाएं सुरक्षित भी नहीं है। ये योजना न केवल आर्थिक राहत देगी, बल्कि महिलाओं को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने में मदद करेगी।

गोकुल कृष्ण आश्रम में माई बहिन स्कीम की जानकारी देती सांसद रंजीत रंजन।
धरातल पर बीजेपी सरकार की कोई योजना नहीं
बीजेपी पर निशाना साधते हुए रंजीत रंजन ने कहा, ‘ये जुमले वाली पार्टी है। हकीकत में उनकी एक भी योजना धरातल पर नहीं दिख रही है। अब लोग इस सरकार से परेशान हो चुके हैं। सरकार ने जितनी भी योजनाएं शुरू की, इनमें से एक का भी फायदा सही मायनों में जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच रहा है। सीमांचल और कोसी में बाढ़ और कटाव की स्थिति है। समय पर बाढ़ और कटाव निरोधी कार्य न होने से आशियाना उजाड़ने को मजबूर हैं। ये लोग अपने घर से बेघर हो गए हैं। मजबूरन पलायन कर रहे हैं।’
दिल्ली में 2008 में लाडली योजना शुरू हुई थी
कांग्रेस पार्टी महिलाओं के अधिकार और सशक्तिकरण के लिए काम करती रही है। देश में लाडली योजना की शुरुआत सबसे पहले कांग्रेस ने की थी। दिल्ली में शीला दीक्षित सरकार ने 2008 में लाडली योजना शुरू की। इसके तहत बेटी के जन्म के समय 3600 और कक्षा 1 से 12 तक की पढ़ाई के लिए 25000 की सहायता दी जाती थी। 12वीं कक्षा पूरी करने पर बैंक खाते में एक लाख का मैच्योरिटी अमाउंट सीधे आ जाता था।

कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, झारखंड इंडिया गठबंधन की सरकार ने महिला और बेटियों के लिए कई तरह की लाभकारी योजना लागू की है। भाजपा की सरकार आते ही 60 रुपए का डीजल पेट्रोल 100 हुआ। भाजपा गरीब और मध्यमवर्गी समाज की सरकार नहीं, बल्कि ये कॉरपोरेट घरानों की सरकार है। ये उनके लिए ही काम करती। उनके हक और हित में आर्थिक नीतियां और योजनाएं बनाती।