बिहार में मठ, मंदिर और ट्रस्ट का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य; ऑनलाइन देनी होगी संपत्ति की जानकारी

बिहार में मठ, मंदिर और ट्रस्ट का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया गया है। नीतीश सरकार ने इस संबंध में सभी जिलों को गैर-पंजीकृत मंदिर, मठों और ट्रस्ट का रजिस्ट्रेशन कराने का निर्देश दिया है। कानून मंत्री नितिन नवीन ने गुरुवार को कहा कि इनका प्राथमिकता के आधार पर पंजीकरण किया जाएगा। सभी डीएम को यह भी सुनिश्चित करने को कहा है कि पंजीकृत मंदिर और मठों से संबंधित अचल संपत्तियों का ब्योरा तुरंत बीएसबीआरटी को उपलब्ध कराया जाए, ताकि इसकी वेबसाइट पर अपलोड किया जाए सके।
मंभी नितिन नवीन ने कहा कि न्होंने हाल ही में इस संबंध में सभी जिलाधिकारियों को पत्र लिखा है। अभी तक केवल 18 जिलों ने ही बीएसबीआरटी को आंकड़ा उपलब्ध कराया। सभी डीएम को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि राज्य में पंजीकृत मंदिरों और मठों की भूमि सहित अचल संपत्तियों की बिक्री/खरीद न हो। बिहार हिंदू धार्मिक ट्रस्ट अधिनियम, 1950 के अनुसार, राज्य में सभी सार्वजनिक मंदिरों/मठों, ट्रस्ट और धर्मशालाओं को बीएसबीआरटी के तहत पंजीकृत होना चाहिए।
राज्य सरकार पंजीकृत मंदिरों/मठों/ट्रस्ट की संपत्तियों की बिक्री एवं खरीद के अवैध कामों में लिप्त लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी। बीएसबीआरटी द्वारा संकलित (35 जिलों से प्राप्त) नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, राज्य में करीब 2,512 अपंजीकृत मंदिर या मठ हैं और उनके पास 4321.64 एकड़ भूमि है।
मठ की जमीन पर कब्जे बथुआ में दो पक्षों
बिहार सरकार के विधि विभाग के आंकड़ों के अनुसार, राज्य में पंजीकृत मंदिरों की कुल संख्या करीब 2499 है और उनके पास 18,456 एकड़ से अधिक भूमि है। वहीं, सबसे ज्यादा अपंजीकृत मंदिर/मठ वैशाली (438), कैमूर (307), पश्चिमी चंपारण (273), भागलपुर (191), बेगूसराय (185), सारण (154) और गया (152) जिले में हैं।
कैमूर में 307 अपंजीकृत मंदिरों/मठों के पास करीब 813 एकड़ जमीन है और खगड़िया जिले में 100 अपंजीकृत मंदिरों और मठों के पास 722 एकड़ जमीन है। बांका जिले में करीब 332 एकड़ जमीन 78 अपंजीकृत मंदिरों और मठों के पास है।