बिठमड़ा में पीने के पानी की समस्या गहराई: ग्रामीणों ने जताया रोष, बोले- बढ़ रही बीमारियां, प्रशासनिक घेराव की चेतावनी – Uklanamandi News

गांव बिठमड़ा में पानी की समस्या को लेकर रोष जताते ग्रामीण।
हिसार जिले के गांव बिठमड़ा में वर्षों से चली आ रही पीने के पानी की समस्या ने अब विकराल रूप ले लिया है। शुक्रवार को ग्रामीणों ने एकजुट होकर पंचायती चबूतरे पर जोरदार प्रदर्शन किया और सरकार तथा प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। प्रदर्शन में महिलाओं, बु
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ग्रामीणों ने चेतावनी दी कि अगर सोमवार तक समस्या का समाधान नहीं हुआ, तो वे मंगलवार को बरवाला स्थित एसडीएम कार्यालय और जन स्वास्थ्य विभाग (XEN) कार्यालय का घेराव करेंगे और अनिश्चितकालीन धरने पर बैठेंगे।

गांव बिठमड़ा में रोष जताते ग्रामीण।
पिछले कई वर्षों से बनी हुई समस्या
ग्रामीण मिया सिंह बिठमड़ा, ईश्वर सिंह, कृष्ण कुमार, सूबे सिंह, विजेंद्र सिंह, मेला राम, लीला राम व अन्य ग्रामीणों ने बताया कि गांव बिठमड़ा में पीने के पानी की समस्या पिछले कई वर्षों से बनी हुई है। मजबूरी में ग्रामीणों को कई किलोमीटर दूर से पानी लाना पड़ता है। गांव में जन स्वास्थ्य विभाग द्वारा जो पानी सप्लाई किया जा रहा है, वह ट्यूबवेल का है, जिसकी टीडीएस मात्रा 2 हजार तक है, जो पीने योग्य नहीं है।
ट्यूबवेल का पानी केवल नहाने और घरेलू उपयोग में आ रहा है, लेकिन पीने योग्य शुद्ध जल की भारी किल्लत है।
स्वास्थ्य पर पड़ रहा असर
ग्रामीणों का कहना है कि दूषित पानी के कारण गांव में बीमारियों का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। खासतौर पर कैंसर के मामले तेजी से सामने आ रहे हैं। जिससे गांववासियों में डर और नाराजगी दोनों है। ग्रामीणों का कहना है कि कई बार इस गंभीर समस्या को लेकर प्रशासनिक अधिकारियों को अवगत कराया गया, लेकिन आज तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
लंबित पड़ा करोड़ों का प्रोजेक्ट
ग्रामीणों ने बताया कि पिछली भाजपा-जेजेपी गठबंधन सरकार के समय तत्कालीन उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने भाखड़ा नहर से गांव तक पीने का पानी लाने के लिए करीब 8 करोड़ रुपए की लागत से पाइपलाइन परियोजना को मंजूरी दी थी। इस योजना के तहत पानी बिठमड़ा व सुरेवाला गांव तक पहुंचाया जाना था, लेकिन यह प्रोजेक्ट अभी तक धरातल पर नहीं उतर पाया है।

गांव बिठमड़ा में बैठक करते ग्रामीण।
प्रशासन को अंतिम चेतावनी
गांववासियों ने प्रशासन को दो टूक चेतावनी दी है कि अगर 26 मई (सोमवार) तक समाधान नहीं हुआ, तो 27 मई (मंगलवार) को सुबह 8 बजे सभी ग्रामीण गांव के बस स्टैंड पर एकत्र होंगे और उसके बाद बरवाला पहुंचकर एसडीएम और XEN कार्यालयों का घेराव करेंगे। ग्रामीणों ने साफ कहा है कि जब तक समाधान नहीं होगा, धरना प्रदर्शन जारी रहेगा। जरूरत पड़ने पर वे हिसार-चंडीगढ़ हाईवे को भी सुरेवाला चौंक पर जाम करने से पीछे नहीं हटेंगे।
सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग
ग्रामीणों ने सरकार और मुख्यमंत्री से अपील की है कि वे इस समस्या को गंभीरता से लें, और अधिकारियों को निर्देश दें कि इस दिशा में तुरंत कार्यवाही हो। ग्रामीणों का कहना है कि अब आर-पार की लड़ाई का समय आ चुका है, और वे पीछे हटने वाले नहीं हैं।इस प्रदर्शन ने प्रशासन और जन प्रतिनिधियों की नींद उड़ा दी है, और अब देखना यह है कि ग्रामीणों की आवाज को कब तक अनसुना किया जाता है।