Published On: Wed, Jun 4th, 2025

बंजर जमीन पर सोना उगा रहे किसान! इस तरह से शुरू कर दी देसी फल की खेती, कम मेहनत में डबल मुनाफा हो रहा


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Jalor Desi Kajli Melon Cultivation: जालोर के बीके पानी बांध के आस-पास बांकली इलाके में देसी कजली खरबूजे की खेती खूब होती है. यहां के किसान प्राकृतिक नमी और उपजाऊ मिट्टी की वजह से मीठे और स्वादिष्ट खरबूजे उगाते हैं, जिन्हें राजस्थान के साथ गुजरात और महाराष्ट्र तक सप्लाई किया जाता है. किशनलाल भील उन किसानों में से एक हैं, जो आंध्र प्रदेश की नौकरी छोड़कर अपने गांव में खेती शुरू की और मुनाफा कमा रहे हैं.

जालोर के बांध किनारे उगा ‘कजली’ का कमाल, देसी खरबूजे ने जीता गुजरात-महाराष्ट्र का दिल...बंजर ज़मीन से रच दिया इतिहास

जालोर जिले में स्थित बीके पानी बांध सिर्फ सिंचाई का साधन नहीं, बल्कि इलाके के किसानों के लिए वरदान बन गया है. खासकर बांकली गांव में इस बांध के पानी से जलभराव वाली ज़मीनों में भी अब खेती मुमकिन हो पाई है. पहले जहां किसान इसे खेतों को छोड़ देते थे, अब वहां से नई उम्मीदें निकल रही हैं.

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गांव के किसान इन जलभराव वाली ज़मीनों में एक अनोखा देसी खरबूजा उगा रहे हैं, जिसे स्थानीय भाषा में ‘कजली खरबूजा’ कहा जाता है. इसकी खासियत यह है कि इसका रंग  हल्का हरा और काले छापों के साथ आता है  और इसका स्वाद मिश्री जैसी मिठास लिए होता है.

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कजली खरबूजा खासतौर पर हल्के पानी वाली जमीन में ही फलता-फूलता है. इस खेती में ज्यादा मेहनत नहीं लगती, लेकिन सही तकनीक और पानी की मात्रा का संतुलन बेहद जरूरी होता है. किसान इसे आम खरबूजे की तुलना में अधिक टिकाऊ और स्वादिष्ट मानते हैं.

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बांकली गांव का यह खरबूजा अब न सिर्फ स्थानीय मंडियों बल्कि गुजरात और महाराष्ट्र की सब्जी मंडियों में भी भेजा जा रहा है. व्यापारी खेत पर आकर ही इसे खरीद ले जाते हैं, जिससे किसान को अच्छा भाव मिल रहा है और आय भी बढ़ रही है.

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किसान अब भी इस खरबूजे में देसी बीज का ही उपयोग करते हैं. उनका मानना है कि यह किस्म न केवल ज़्यादा मीठी होती है बल्कि बाजार में इसकी मांग भी ज्यादा रहती है. देसी बीज की इस सफलता ने किसानों को आत्मनिर्भर बनने की राह दिखाई है.

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कभी जो जमीन बेकार मानी जाती थी, वहां से अब कमाई हो रही है. यह कहानी सिर्फ एक किसान की नहीं, बल्कि पूरे इलाके के लिए प्रेरणा बन चुकी है. जलभराव को अभिशाप नहीं, अवसर में बदलने का यह जीता-जागता उदाहरण है.

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अगर सरकार या कृषि विभाग इस कजली खरबूजे की ब्रांडिंग और प्रशिक्षण कार्यक्रमों में सहयोग दे, तो यह फल राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना सकता है. किसान इस देसी उपज को अपनी ताकत मानते हैं और चाहते हैं कि इसकी पहुंच हर कोने तक हो.

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बंजर जमीन पर सोना उगा रहे किसान! इस तरह से शुरू कर दी देसी फल की खेती

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