Published On: Mon, Dec 2nd, 2024

फेंगल तूफान से कर्नाटक, केरल और तेलंगाना में भारी बारिश: तमिलनाडु के तिरुवन्नामलाई में लैंडस्लाइड, मकानों पर 40 टन की चट्‌टान गिरी, 7 लोग लापता


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तिरुवन्नामलाई10 मिनट पहले

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तिरुवन्नामलाई में हादसे वाली जगह पर NDRF के 30 कर्मी राहत और बचाव में जुटे हैं। - Dainik Bhaskar

तिरुवन्नामलाई में हादसे वाली जगह पर NDRF के 30 कर्मी राहत और बचाव में जुटे हैं।

तमिलनाडु के कृष्णागिरी जिले केबंगाल की खाड़ी से 25 नवंबर को उठा फेंगल तूफान 30 नवंबर, शाम 7:30 बजे पुडुचेरी के कराईकल और तमिलनाडु के महाबलीपुरम के बीच समुद्र तट से टकराया था। तूफान अब आगे बढ़ चुका है, और केरल, कर्नाटक, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में पहुंच गया है।

तमिलनाडु में 2 दिन से हो रही बारिश के कारण तिरुवन्नामलाई में अन्नामलाईयार मंदिर की पहाड़ी पर भूस्खलन हुआ। NDRF के मुताबिक लगभग 40 टन वजनी चट्टान पहाड़ से लुढ़ककर वीयूसी नगर की सड़क पर बने घरों पर गिरी जिससे 2 घर जमींदोज हो गए।

7 लोगों के मलबे में फंसे होने की आशंका है। रिपोर्ट्स के मुताबिक राजकुमार, मीना, गौतम, इनिया और उसी इलाके की राम्या, विनोदिनी और महा भी लापता हैं। NDRF के 30 कर्मी हाइड्रोलिक लिफ्ट का इस्तेमाल कर रेस्क्यू करने में लगे हैं।

लैंड स्लाइड से जुड़ी तस्वीरें…

लैंड स्लाइड के बाद पहाड़ी से चट्‌टानों के छोटे-बड़े टुकडे़ गिरते रहे, जिनसे रेस्क्यू ऑपरेशन रात में रोक दिया गया था।

लैंड स्लाइड के बाद पहाड़ी से चट्‌टानों के छोटे-बड़े टुकडे़ गिरते रहे, जिनसे रेस्क्यू ऑपरेशन रात में रोक दिया गया था।

सोमवार सुबह रेस्क्यू दोबारा शुरू किया गया, लेकिन बारिश के कारण इसमें परेशानी हो रही है।

सोमवार सुबह रेस्क्यू दोबारा शुरू किया गया, लेकिन बारिश के कारण इसमें परेशानी हो रही है।

NDRF के अलावा तिरुवन्नामलाई की पुलिस भी स्थानीय लोगों के साथ रेस्क्यू करने में जुटी है।

NDRF के अलावा तिरुवन्नामलाई की पुलिस भी स्थानीय लोगों के साथ रेस्क्यू करने में जुटी है।

रेस्क्यू टीम का कहना है कि अन्नामलाई मंदिर की पहाड़ी पर भी एक चट्‌टान लटकी हुई है जो कभी भी गिर सकती है। इसलिए इलाके से 50 से 80 लोगों को निकाल दिया गया है।

रेस्क्यू टीम का कहना है कि अन्नामलाई मंदिर की पहाड़ी पर भी एक चट्‌टान लटकी हुई है जो कभी भी गिर सकती है। इसलिए इलाके से 50 से 80 लोगों को निकाल दिया गया है।

फेंगल तूफान- कहां क्या असर

  • तेलंगाना: 10 जिलों में आंधी-तूफान की चेतावनी- सोमवार को तेलंगाना के 10 जिलों में आंधी-तूफान की आशंका जताते हुए येलो अलर्ट जारी किया है। इनमें जयशंकर भूपालपल्ली, मुलुगु, भद्राद्री कोठागुडेम, खम्मम, नलगोंडा, सूर्यापेट, महबुबाबाद, वारंगल, हनमकोंडा और जनगांव में तेज हवाओं और भारी बारिश कीसंभावना है।
  • केरल: 8 जिलों में रेड अलर्ट : एर्नाकुलम, इडुक्की, त्रिशूर और पलक्कड़ के लिए बहुत भारी वर्षा की चेतावनी देते हुए ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है। जबकि पथानामथिट्टा, अलप्पुझा और कोट्टायम के लिए भारी बारिश का यलो अलर्ट है। इडुक्की बारिश के कारण कुमिली से सबरीमाला तक मुक्कुझी-सत्रम वन मार्ग पर तीर्थयात्रियों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगा दिया है।
  • कर्नाटक : स्कूल-कॉलेज बंद, ठंड बढ़ने के आसार- बेंगलुरु में बारिश का अनुमान है। चामराजनगर में 2 दिसंबर को एग्जाम वाले डिग्री कॉलेजों को छोड़कर स्कूल और कॉलेज बंद करने की घोषणा की गई है।
  • तमिलनाडु : 9 जिलों में स्कूल कॉलेज बंद- राज्य में आज भी भारी बारिश हो रही है। सलेम, धर्मपुरी, तिरुवन्नामलाई, तिरुपतूर, वेल्लोर और रानीपेट जिलों में 2 दिसंबर को केवल स्कूलों में छुट्टी घोषित की गई है। जबकि कुड्डलोर, विल्लुपुरम और कृष्णगिरि में सभी स्कूलों और कॉलेजों में छुट्टी है।

बारिश से जुड़ी तस्वीरें…

तमिलनाडु के कृष्णागिरी जिले के उथंगराई बस स्टैंड पर सड़क पर खड़ी गाड़ियां बह गईं, जो वानियमबाड़ी रोड पर है।

तमिलनाडु के कृष्णागिरी जिले के उथंगराई बस स्टैंड पर सड़क पर खड़ी गाड़ियां बह गईं, जो वानियमबाड़ी रोड पर है।

तमिलनाडु के पुडुचेरी में टूटा बारिश का 30 साल पुराना रिकॉर्ड

तूफान फेंगल रविवार को कमजोर पड़ गया था। इसके असर से हुई मूसलाधार बारिश से 3 लोगों की मौत हो गई। पुड्‌डुचेरी जिले में 24 घंटे में 49 सेमी बारिश हुई। यह 20 साल की सबसे अधिक बारिश है। शहरी इलाकों में पानी भरने से सेना को बुलाया गया। सेना ने 200 लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। एक हजार लोगों को राहत शिविरों में भी पहुंचाया गया है।

सऊदी अरब ने ‘फेंगल’ तूफान नाम दिया इस तूफान का नाम ‘फेंगल’ सऊदी अरब की तरफ से प्रस्तावित किया गया है। यह एक अरबी शब्द है, जो भाषाई परंपरा और सांस्कृतिक पहचान का मिश्रण है। यह शब्द वर्ल्ड मीटियोलॉजिकल ऑर्गनाइजेशन (WMO) और संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक आयोग (UNESCAP) के नामकरण पैनल में क्षेत्रीय विविधता को दर्शाता है।

चक्रवातों के नामों का चयन करते समय यह सुनिश्चित किया जाता है कि नामों का उच्चारण आसान हो, वे याद रखने में सरल हों, और सांस्कृतिक रूप से निष्पक्ष हों। यह ध्यान रखा जाता है कि नाम ऐसे हों जिनसे अलग-अलग क्षेत्रों और भाषाओं के बीच कोई विवाद पैदा न हो या किसी का अपमान न हो।

कैसे रखे जाते हैं साइक्लोन के नाम

  1. आम तौर पर, साइक्लोन का नाम क्षेत्रीय स्तर के नियमों के अनुसार रखे जाते हैं। हिंद महासागर के साइक्लोन के नामकरण के लिए 2004 में एक सहमति बनी थी। इसमें 13 देशों ने नामों का एक सेट दिया, जो साइक्लोन आने पर एक के बाद एक दिए जाते हैं।
  2. साइक्लोन के नाम चुनते वक्त यह ध्यान रखा जाता है कि वे आसानी से याद रहें, उनका उच्चारण भी आसान हो और वे आपत्तिजनक न हों। इनके नामों को अलग-अलग भाषाओं से भी चुना जाता है ताकि अलग-अलग इलाकों में रहने वाले लोग इनसे परिचित हों।
  3. साइक्लोन के नामों की मौजूदा लिस्ट 2020 में तैयार की गई थी, जिसमें प्रत्येक सदस्य राज्य 13 नामों का योगदान देता है। इन नामों का इस्तेमाल रोटेशन में किया जाता है। किसी भी नाम का दोबारा इस्तेमाल नहीं होता है। यानी हिंद महासागर में आया हर साइक्लोन अलग नाम से जाना जाता है।
  4. उदाहरण के लिए, ‘फेंगल’ नाम का सुझाव सऊदी अरब ने दिया था। इसके बाद अब जो भी अगला चक्रवात आएगा उसका नाम ‘शक्ति’ रखा जाएगा और इस नाम को श्रीलंका ने सुझाया है।

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