फिल्म कंसल्टेंट की योग्यता 3 महीने में बदली: 20 के बदले 5 वर्ष का अनुभव मांग रहे, फिल्म से जुड़ी टेक्निकल डिग्री की भी मांग – Patna News

फिल्म समीक्षक विनोद अनुपम ने अपने पद से रिजाइन दे दिया है।
बिहार स्टेट फिल्म डेवलपमेंट एंड फाइनांस कारपोरेशन लिमिटेड ने तीन महीने के अंदर कंसल्टेंट की योग्यता बदल दी है। इस पद पर पहले राष्ट्रीय फिल्म समीक्षा पुरस्कार से सम्मानित फिल्म समीक्षक विनोद अनुपम को रखा गया था।
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वे लगाातर फिल्मों पर लिखते रहे हैं। फिल्मों से जुड़ी पत्रिकाओं का संपादन के साथ ही फिल्मों के चयन में जूरी रह चुके हैं। उन्होंने रिजाइन दे दिया है। इसके बाद नए कंसल्टेंट की तलाश शुरू हो गई है। इस पद के लिए नया विज्ञापन निकाला गया है, जिसमें कंसल्टेंट के लिए नई योग्यता निर्धारित कर दी गई है। एमडी बदलने के बाद योग्यता भी बदल दी गई है। 5 साल का अनुभव मांगा गया है
- पहले कंसल्टेंट के लिए फिल्म के क्षेत्र या उससे मिलते-जुलते क्षेत्र में काम करने का 20 वर्षों का अनुभव मांगा गया था। नए विज्ञापन में इसमें 15 साल घटाकर पांच वर्षों का अनुभव मांगा गया है।
- पहले इसमें अर्हता थी कि नेशनल अवार्ड मिला हो। नए विज्ञापन में इसे घटा कर दिया गया और कहा गया कि असिस्टेंट के तौर पर कहीं कार्य किया हो तो योग्य हैं।
- पहले इसमें अर्हता थी कि सरकार में कार्य करने का अनुभव हो। अब इस अर्हता को हटा दिया गया है। बता दें कंसल्टेंट का कार्य पूरी तरह से सरकार के कार्यों के निष्पादन का है।
- पहले फिल्म समीक्षा लेखन या फिल्मों के अध्ययन से जुड़े लोग इस पद पर आ सकते थे। अब इसके लिए टेक्निकल योग्यता निर्धारित कर दी गई है। सिनेमैटोग्राफी या डारेक्शन या प्रोडेक्शन जैसे टेक्निकल फिल्ड में मास्टर होना जरूरी है।। पहले था कि किसी भी विषय में मास्टर हों और 20 साल का फिल्मों से जुड़ा अनुभव हो।
पेंच यहां पर भी कंसल्टेंट के लिए कोई दिशा निर्देश नहीं है कि उसको क्या काम करना है। किस तरह से काम करना है? विज्ञापन में तो इसका जिक्र नहीं ही है, इसकी नियमावली भी नहीं है। नियमावली पहले से बनी हुई रहती तो कन्फ्यूजन नहीं रहता।
नई वैकेंसी में यह नहीं है कि पद कितने वर्षों या कितने महीने के लिए है। मानदेय भी विज्ञापन में तय नहीं है। विनोद अनुपम को प्रतिदिन के हिसाब से 30 दिन का 80 हजार रुपए दिया जा रहा था। नई वेकेंसी से जुड़े विज्ञापन में कहा गया है कि 4 दिसंबर 2024को इससे जुड़ा इंटरव्यू होगा।
काम के तरीके से खुश नहीं थे विनोद अनुपम
इस वैकेंसी में टर्म कंडिशन ही बड़ा मुद्दा है। फिल्म निगम की पूर्व एमडी हरजौत कौर अलग तरह से काम ले रही थीं। अब नए एमडी दयानिधान पांडेय अलग तरह के काम लेना चाह रहे हैं। विनोद अनुपम के त्याग पत्र का बड़ा कारण यही टर्म एंड कंडिशन था!
विनोद अनुपम ने सोशल मीडिया पर लिखा है-‘ चार महीने में दूसरी बार कंस्लटेंट फिल्म के लिए वैकेंसी आ गई। आपमें से जो बिहार फिल्म निगम को संतुष्ट कर सकते हैं, आवेदन कर सकते हैं, मैं तो नहीं कर सका। आवेदन के पहले यह भी पता कर लीजिएगा आखिर कंसल्टेंट को काम क्या करना है। हां, इंडस्ट्री में 5 साल का अनुभव का मायने हमसे नहीं पूछिएगा…।
बिहार में फिल्मों की शूटिंग के लिए प्रोत्साहित करना
बिहार सरकार ने बिहार फिल्म प्रो्त्साहन नीति 2024 लाई है। कला संस्कृति विभाग इस नीति के जरिए बिहार को फिल्म निर्माण के महत्वपूर्ण केन्द्र के रूप में विकसित करना चाहती है। इसके जरिए बिहार के सुंदर स्थलों को इंटरनेशल लेवल पर पहचान देने की भी है। बिहार में फिल्म की शूटिंग को बढ़ावा दिया जाए ताकि इससे जुड़े रोजगार के अवसर पर विकसित किए जा सकें।
जिला स्तर पर भी फिल्म समन्वय समिति बनाने की भी योजना सरकार की है। इस नीति के तहत सिंगल विंडो की सुविधा सरकार देने जा रही है। माना जा रहा है कि इन सब कार्यों को बेहतर तरीके से करने के लिए सरकार कंसल्टेंट बहाल करना चाहती है। लेकिन कंसल्टेंट के क्या कार्य होंगे यह डिफाइन नहीं है।