प्राकृतिक खेती जिसे नेचुरल फार्मिंग भी कहा जाता है – Aurangabad (Bihar) News

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राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन योजना के तहत जिले के 750 हेक्टेयर में प्राकृतिक पद्धति में अब किसान खेती करेंगे। इसके लिए कृषि विभाग के स्तर से प्रारंभिक तैयारी शुरू कर दी गयी हैं। उम्मीद हैं कि जल्द ही इस योजना को धरातल पर उतारा जाएगा। विभाग ने प्रखंडवार दस क्लस्टर का चयन किया हैं। प्रत्येक क्लस्टर में 50 हेक्टेयर भूमि व 125 किसान होंगे। बताते चले कि किसानों को प्राकृतिक खेती की ओर आकर्षित व संस्थागत क्षमता का निर्माण करने के साथ-साथ सर्वोत्तम प्रथाओं को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उक्त योजना का क्रियान्वयन किया गया हैं। कृषि विभाग के पदाधिकारियों के अनुसार प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से इस योजना का क्रियान्वयन शुरू किया जाना हैं। गांव व क्लस्टर का चयन कर लिया गया हैं।किसानों का चयन के लिए संबंधित प्रखंड के बीएओ को निर्देश दिया गया है कि कृषि कर्मियों के साथ बैठक कर शीघ्र किसानों का चयन कर रिपोर्ट करें। बताया गया हैं कि वर्तमान परिवेश में किसान व उपभोक्ता दोनों बड़ी समस्या का सामना कर रहे हैं। मिट्टी की खराब हालत, रसायन से भरी फसले, पानी की कमी, महंगा उत्पादन व गिरता स्वास्थ्य ऐसे समय में प्राकृतिक खेती ही एक समाधान बनकर उभरी हैं। इसको लेकर चयनित किसानों को प्राकृतिक खेती प्रमाणन पहल व ज्ञान प्रसार पर प्रशिक्षण दिया जायेगा।साथ ही उक्त योजना के कार्यान्वयन की वास्तविक समय की जियो-टैग व संदर्भित निगरानी ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से किया जाएगा। बताते चले कि प्राकृतिक खेती में मिट्टी में रासायनिक या जैविक खाद नहीं डाली जाती हैं, बल्कि मिट्टी की सतह पर ही सूक्ष्म जीव व केंचुओं द्वारा कार्बनिक पदार्थों के अपघटन को बढ़ावा दिया जाता है।
कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि प्राकृतिक खेती जिसे नेचुरल फार्मिंग भी कहा जाता है। . आसान भाषा में अगर हम इसे समझें तो खेती हमें करनी है ।प्रकृति के साथ और रसायन मुक्त। मतलब हमारे खेती में जो रासायनिक चीजें चाहिए उसे हम बाजार से न खरीद कर बल्कि हमारे जो आसपास प्राकृतिक रूप से उपलब्ध हैं, उन्हीं चीजों का उपयोग करके हमें अपनी खेती करनी है। इसका मुख्य उद्देश्य जो है। इस खेती में लगने वाले जो विभिन्न रासायनिक उर्वरक हैं या कीटनाशक हैं, इससे किसान की लागत बढ़ती है इस लागत को हमें कम करना है ।