Published On: Sun, Jun 30th, 2024

प्राइस की ताजा रिपोर्ट: देश में मुस्लिमों की सालाना कमाई 28%, हिंदुओं की 19%, सिखों की सर्वाधिक 57% बढ़ी


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नई दिल्ली3 घंटे पहले

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हिंदू-मुस्लिम परिवारों के बीच ‘आय’ का अंतर तेजी से कम हो रहा है। दोनों समुदायों के परिवारों में यह अंतर 7 साल में 87% घटकर केवल 250 रुपए बचा है, जो 2016 में 1,917 रु./मासिक था।

गैर मुनाफे वाली संस्था पीपुल्स रिसर्च ऑन इंडियाज कंज्यूमर इकोनॉमी (प्राइस) के सर्वे में ये आंकड़े सामने आए। देश में मुस्लिमों की सालाना कमाई 28%, हिंदुओं की 19 फीसदी, सिखों की सर्वाधिक 57 फीसदी बढ़ी है।

इस इकोनॉमिक थिंक टैंक ने यह सैंपल सर्वे देश के 165 जिलों के 1,944 गांवों के 2,01,900 परिवारों के बीच किया। मुस्लिम परिवारों की सालाना आय सात साल में 2.73 लाख रुपए से 27.7% बढ़कर 3.49 लाख रु. हो गई। इस दौरान हिंदुओं की आय 2.96 लाख रुपए से 18.8% बढ़कर 3.52 लाख रु. हो गई।

प्राइस के अनुसार, पहले से ज्यादा कमा रहे लोगों की तुलना में आर्थिक रूप से कमजोर तबके की आय में तुलनात्मक दृष्टि से ज्यादा इजाफा हुआ है। कोविड से पहले देश के सबसे कम आय वाले 20% लोगों की देश की आय में हिस्सेदारी महज 3% थी, जो 2022-23 में बढ़कर 6.5% हो गई।

इसकी तुलना में शीर्ष 20% आय वर्ग की हिस्सेदारी 52% से घटकर 45% ही बची। ऊपरी तबके की आय में जो हिस्सेदारी घटी, उससे गरीब और मध्यवर्ग की आय में बढ़ोतरी हुई। इसका फायदा सभी वर्गों को हुआ।

सरकार की मुफ्त अनाज योजना, किसान सम्मान निधि और आवास योजनाओं ने भी सामाजिक-आर्थिक अंतर को कुछ हद तक कम करने में अहम भूमिका निभाई। अल्पसंख्यक खासतौर पर मुस्लिम वर्ग आर्थिक रूप से कमजोर तबके में आते हैं। इसलिए निचले तबके के तुलनात्मक उत्थान में मुस्लिम परिवारों को ज्यादा लाभ हुआ है।

  • धार्मिक आधार पर देखें तो जितने हिंदू घरों में सर्वे हुआ, उनमें से 21% में ग्रेजुएट्स मिले और 21% घर ही ऐसे मिले, जहां कोई नौकरीपेशा था।
  • एससी-एसटी वर्ग के स्नातक वाले घरों की तुलना में जॉब वाले घर सबसे ज्यादा हैं। एससी-एसटी वर्ग में क्रमश: 17% और 11% घर ग्रेजुएट्स के हैं। जबकि, एससी के 18% और एसटी वर्ग के 15% घरों में जॉब वाले हैं।
  • ओबीसी वर्ग के 20% घरों में ग्रेजुएट्स थे, लेकिन नौकरी करने वाले लोग 18% घरों में मिले। सामान्य वर्ग में यह अंतर सबसे ज्यादा है। इनमें 29% घरों में ग्रेजुएट्स हैं, लेकिन केवल 26% घरों में ही नौकरीपेशा हैं।
  • 2016 में हिंदुओं की मासिक आय 24,667 रु. व म​ुस्लिमों की 22,750 रु. थी। 2023 में हिंदुओं की 29,333 रु. व मुस्लिमों की 29083 रु. हो गई।
  • देश में सात साल में 60 लाख सिख परिवारों की सालाना आय सबसे ज्यादा 57.4% बढ़ी। यह 4.40 लाख से बढ़कर 6.93 लाख हो गई।
  • अन्य समुदायों, जिनमें जैन-पारसी समेत दूसरे छोटे समुदाय आते हैं, उनकी सालाना आय 53.2% बढ़कर 3.64 लाख से 5.57 लाख रु. हो गई।
  • प्राइस की रिपोर्ट के अनुसार यह समुदाय पहले से सबसे संपन्न समुदाय हैं। इन्हें देश की आर्थिक गतिविधियों में आई तेजी का सबसे अधिक फायदा मिला।

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