प्रकृति की तपस्या है नौतपा! धरती-आसमान उगलते हैं आग, आंखों की समस्या से राहत के लिए अंतिम दिन करें ये उपाय

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Nautapa Effects and Remedies :ग्रीष्म ऋतु में नौतपा हर साल आते हैं और इन्हीं 9 दिनों में सबसे ज्यादा भीषण गर्मी पड़ती है. प्रकृति की तपस्या के इन 9 दिनों में प्रकृति स्वयं वातावरण में रहने वाले हानिकारक कीटाणुओ…और पढ़ें

नौतपा का क्या है धार्मिक महत्व
हाइलाइट्स
- नौतपा में सबसे ज्यादा भीषण गर्मी पड़ती है.
- नौतपा के आखिरी दिन आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करें.
- नौतपा में प्रकृति हानिकारक कीटाणुओं का अंत करती है.
करौली. राजस्थान में इस साल नौतपा की गर्मी से प्रदेशभर के लोगों थोड़ी राहत मिली है. इस बार नौतपा की शुरूआत से ही राजस्थान के अधिकांश क्षेत्रों में बारिश और आंधी का दौर जारी है. यही वजह है कि इस साल नौतपा की प्रचंड गर्मी ने अपने प्रकोप से लोगों को ज्यादा परेशान नहीं किया. भीषण गर्मी के दिन माने जाने वाले नौतपा की शुरुआत इस साल 25 मई से हुई है. इस बार भीषण गर्मी के दिन माने जाने वाले नौतपा 8 जून यानी 15 दिनों तक जारी रहेंगे.
नौतपा, ग्रीष्म ऋतु में आने वाले वह 9 दिन है, जिसमें गर्मी रौद्र रूप धारण कर लेती है. आसमान और धरती दोनों से आग उगलने वाले इन 9 दिनों का जिक्र हिंदू धर्म के शास्त्रों में भी बताया गया है. मान्यता है कि इन 9 दिन में सूर्य देव पृथ्वी के बहुत निकट आ जाते हैं. जिससे लोगों को आग की तरह झुलसाने वाली गर्मी का एहसास होता है.
धरती-आसमान दोनों उगलते हैं आग
कर्मकांड ज्योतिषी पंडित मनीष उपाध्याय कहते हैं कि ग्रीष्म ऋतु में नौतपा हर साल आते हैं. इन्हीं 9 दिनों में सबसे ज्यादा भीषण गर्मी पड़ती है. उपाध्याय कहते हैं कि इन 9 दिनों में पृथ्वी नीचे से और आसमान ऊपर से आग उगलता है. इसलिए, नौतपा में लोगों को भयंकर गर्मी और अत्यधिक तापमान वाली गर्मी का एहसास होता है. स्कंद पुराण में भी नौतपा के 9 दिन प्रकृति की तपस्या के दिन बताए गए हैं.
प्रकृति करती है वातावरण से कीटाणुओं का अंत
प्रकृति की तपस्या के इन 9 दिनों में प्रकृति स्वयं वातावरण में रहने वाले हानिकारक कीटाणुओं का अंत करती है. भयंकर गर्मी की के यह 9 दिन सूर्यदेव की उपासना के लिए भी हिंदू धर्म में श्रेष्ठ माने जाते हैं. इसलिए, संत नौतपा के 9 दिनों में ही सबसे ज्यादा अग्नि के बीच बैठकर अपने इष्ट का ध्यान और साधना करते हैं. ज्योतिषी पंडित मनीष उपाध्याय बताते हैं कि जो लोग आंखों की समस्या से ग्रस्त रहते हैं, उन्हें नौतपा के आखिरी दिन आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ जरूर करना चाहिए और सूर्य देव को अर्घ्य भी देनी चाहिए.
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प्रकृति की सेवा के हैं यह 9 दिन
नौतपा प्रकृति की सेवा के दिन माने जाते हैं. इन 9 दिनों में सबसे ज्यादा लोगों को प्रकृति और जीव-जंतुओं की सेवा करनी चाहिए. ज्योतिष उपाध्याय बताते हैं कि इन 9 दिनों में की गई जीव-जंतुओं की सेवा का फल एक विशाल यज्ञ के बराबर होता है.
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.