पोलिंग स्टेशन पर वोटर्स की संख्या बढ़ाने के खिलाफ याचिका: सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से जवाब मांगा; अभी एक पोलिंग स्टेशन पर 1500 मतदाता

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नई दिल्ली7 घंटे पहले
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सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पोलिंग सेंटर्स पर मतदाताओं की संख्या 1200 से 1500 करने के फैसले पर चुनाव आयोग से जवाब मांगा। कोर्ट ने चुनाव आयोग से 3 हफ्ते में संक्षिप्त हलफनामा दायर करने के निर्देश दिए हैं।
CJI संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने चुनाव आयोग के वकील मनिंदर सिंह से फैसले के पीछे के तर्क को स्पष्ट करने का निर्देश दिया है।
हालांकि सिंह ने कहा- पोलिंग सेंटर्स 2019 से वोटर्स की बढ़ी हुई संख्या को एडजस्ट कर रहे हैं। यह फैसला करने से पहले सभी राजनीतिक दलों से सलाह ली जाती है।
अगली सुनवाई जनवरी 2025 में होगी। अगली सुनवाई से पहले याचिकाकर्ता को भी हलफनामे की एक कॉपी देने का निर्देश दिया।
जस्टिस कुमार ने यह भी पूछा, “एक पोलिंग स्टेशन में कई पोलिंग बूथ हो सकते हैं, तो क्या यह नीति सिंगल पोलिंग बूथ पर भी लागू होगी?”
इंदु प्रकाश सिंह की ओर से दायर याचिका में अगस्त 2024 में चुनाव आयोग की तरफ से जारी 2 फैसलों को चुनौती दी गई है। इसमें देश के हर पोलिंग सेंटर में वोटर्स की संख्या बढ़ाने की बात कही गई है।
याचिका में सिंह ने तर्क दिया गया है कि हर पोलिंग स्टेशन में वोटर्स की संख्या बढ़ाने का निर्णय मनमाना था और किसी भी डेटा पर आधारित नहीं था।
याचिका में किए गए दावे
- 2011 से जनगणना नहीं हुई है। इसलिए निर्वाचन आयोग के पास वोटर्स की संख्या 1200 से बढ़ाकर 1500 करने के लिए कोई नया डेटा नहीं है। लिमिट बढ़ाकर आयोग ने पोलिंग सेंटर्स की ऑपरेशन स्किल से समझौता किया है। इसके कारण वोटर्स का बूथ पर वेटिंग टाइम बढ़ सकता है। भीड़भाड़ हो सकती है और मतदाता थक सकते हैं।
- एक वोटर को वोटिंग में लगभग 60-90 सेकंड लगते हैं। वोटिंग आमतौर पर 11 घंटे तक चलती है, इसका मतलब है कि हर पोलिंग स्टेशन पर केवल 495-660 लोग ही वोट कर सकते हैं। 65.7% के औसत को देखते हुए, यह अनुमान लगाया जा सकता है कि 1000 वोटर्स के लिए तैयार एक पोलिंग सेंटर लगभग 650 वोटर्स को एडजस्ट कर सकता है। कुछ बूथ 85-90% के बीच भी है।
- अगर संख्या बढ़ती है तो लगभग 20% वोटर या तो वोटिंग टाइम खत्म होने के बाद भी लाइन में खड़े रहेंगे या फिर लंबे इंतजार के कारण अपने मताधिकार का प्रयोग करना छोड़ देंगे। विकासशील देश या लोकतंत्र में दोनों में से कोई भी बात स्वीकार नहीं है।
- हर पोलिंग सेंटर में अपर लिमिट बढ़ाने की यह प्रथा वोटर को मताधिकार से वंचित करने के अलावा और कुछ नहीं है। नतीजतन हाशिए पर पड़े समुदायों और निम्न आय वर्ग के लोगों पर उलटा असर होता है। खास तौर पर दैनिक मजदूरों, रिक्शा चालक, मेड, ड्राइवर, विक्रेता लंबे समय तक इंतजार नहीं करते, क्योंकि इन्हें उस दिन की मजदूरी छोड़नी पड़ती है।

चुनाव आयोग ने वोटर्स से जुड़ा यह डेटा लोकसभा चुनाव 2024 के पहले जारी किया था।
2016 में चुनाव आयोग ने बढ़ाई थी पोलिंग सेंटर पर संख्या 2016 में चुनाव आयोग ने निर्देश दिया था कि एक पोलिंग सेंटर पर वोटर की संख्या ग्रामीण क्षेत्रों में 1200 और शहरी क्षेत्रों में 1400 तक सीमित होनी चाहिए। याचिकाकर्ता ने मांग की है कि हर पोलिंग सेंटर पर भविष्य में वोटर्स की संख्या में समय-समय पर कमी भी करनी चाहिए।