पेट्रोल पंप पर मां करती हैं मजदूरी, बेटी ने रचा इतिहास… बोर्ड परीक्षा में झटके 90.40% अंक!

जयपुर. राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने कक्षा 12वीं के आर्ट्स, कॉमर्स और साइंस तीनों संकायों का परिणाम एकसाथ जारी किया है. इस साल भी प्रदेश की होनहार बेटियों ने बाजी मारी है. लोकल-18 ने अलग-अलग स्कूलों के टॉपर विद्यार्थियों से बातचीत की, जिन्होंने अपनी सफलता और संघर्ष की कहानी साझा की. साथ ही उन्होंने राजस्थान बोर्ड की मैरिट लिस्ट, जो पिछले 5-6 सालों से जारी नहीं की जा रही, उस पर भी अपनी राय दी.
हाल ही में घोषित परिणाम में जयपुर जिले का प्रदर्शन शानदार रहा. 12वीं बोर्ड में जयपुर जिले में आर्ट्स का परिणाम 97.53 प्रतिशत, कॉमर्स का 99.25 प्रतिशत और साइंस का 98.17 प्रतिशत रहा. राजधानी में आर्ट्स में 48,237 विद्यार्थी पंजीकृत थे, जिनमें से 46,397 पास हुए. कॉमर्स में 8,247 पंजीकृत में से 8,120 पास हुए. वहीं साइंस में 39,099 में से 38,149 विद्यार्थी उत्तीर्ण हुए.
विमुक्ति गर्ल्स स्कूल की बेटियों का जलवा
जयपुर की विमुक्ति गर्ल्स स्कूल स्लम इलाकों की लड़कियों को निःशुल्क शिक्षा देती है. यहां की छात्राएं हर साल 10वीं और 12वीं बोर्ड में शानदार प्रदर्शन करती हैं. इसी स्कूल की अनु कंवर ने कॉमर्स संकाय में 90.40 प्रतिशत अंक प्राप्त किए हैं. अनु बताती हैं कि उन्होंने 12वीं की तैयारी शुरुआत से ही लगातार की, जिसका उन्हें लाभ मिला. दो महीने तक बीमार रहने के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी. खास बात यह है कि अनु ने हिंदी विषय में 99 अंक हासिल किए हैं.
मां करती हैं पेट्रोल पंप पर मजदूरी, बेटी बनी अकाउंट में टॉपर
अनु कंवर के पिता का निधन हो चुका है. उनके बाद मां ने उन्हें अकेले ही पाला. अनु की मां जयपुर के एक पेट्रोल पंप पर मजदूरी करती हैं. अनु ने 12वीं बोर्ड में 90.40 प्रतिशत अंक प्राप्त किए हैं और अकाउंट में 98 अंक हासिल किए हैं. अनु बताती हैं कि वह आईएएस बनना चाहती हैं और इसकी तैयारी शुरू भी कर दी है. अपनी सफलता का श्रेय वह अपनी मां और स्कूल को देती हैं. जब अनु से मैरिट लिस्ट को लेकर पूछा गया तो उन्होंने कहा कि बोर्ड द्वारा मैरिट लिस्ट जारी न करना एक हद तक सही है क्योंकि कई बार एक या दो नंबर से पीछे रहने वाले विद्यार्थी निराश हो जाते हैं. वहीं अगर लिस्ट जारी की जाती है तो यह टॉपर्स के लिए अच्छा होता है.
ग़रीब परिवारों की बेटियों ने दिखाया कमाल
लोकल-18 ने विमुक्ति गर्ल्स स्कूल की प्रिंसिपल ज्योति दीक्षित से बात की. उन्होंने बताया कि पिछले 20 वर्षों में इस स्कूल से 900 से अधिक बच्चियों ने निःशुल्क शिक्षा प्राप्त की है. यहां अधिकतर छात्राएं ऐसे परिवारों से आती हैं, जिनके माता-पिता मजदूरी करते हैं और आर्थिक रूप से कमजोर होते हैं. इसके बावजूद यह बच्चियां हर साल 10वीं और 12वीं बोर्ड में टॉप करती हैं और स्कूल का नाम रोशन कर रही हैं.
मैरिट लिस्ट को लेकर प्रिंसिपल की राय
ज्योति दीक्षित ने मैरिट लिस्ट को लेकर कहा कि विद्यार्थियों के लिए मैरिट लिस्ट जारी न करना सही निर्णय है. जब छात्र मैरिट में आते हैं तो वे ओवरकॉन्फिडेंस में आ जाते हैं और खुद को सबसे श्रेष्ठ समझने लगते हैं. वहीं जो छात्र मैरिट में नहीं आ पाते, वे हताश हो जाते हैं. इससे प्रतियोगिता में असंतुलन आता है. इसलिए बोर्ड का यह फैसला विद्यार्थियों के मानसिक संतुलन के लिए जरूरी है.