Published On: Wed, Jul 17th, 2024

पृथ्‍वी की चाल में बदलाव से महागड़बड़ी, अब पहले जैसे नहीं रहेंगे दिन और रात


नई दिल्‍ली. इंसान के कर्मों का कड़वा फल अब सामने आने लगा है. क्‍लाइमेट चेंज की वजह से पूरा मानव समुदाय को गंभीर परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहना पड़ेगा. पोलर रीजन में बर्फ पिघलने की रफ्तार काफी तेज हो चुकी है. इसका असर अब पृथ्‍वी की गति (Earth Rotation) पर भी पड़ने लगा है. नए अध्‍ययन में पता चला है कि पृथ्‍वी की चाल धीमी पड़ रही है. इसका असर दिन और रात की अवधि पर पड़ने वाला है. ग्रीनलैंड और अंटार्कटिक क्षेत्र में बर्फ के पिघलने की रफ्तार काफी तेज हो चुकी है. तापमान में वृद्धि की वजह से ऐसा हो रहा है. पानी इक्‍वेटर यानी भूमध्‍य रेखा की तरफ जा रहा है, जिसके चलते पृथ्‍वी के द्रव्‍यमान यानी मास में वृद्धि दर्ज की गई है. इसका असर पृथ्‍वी की गति पर पड़ा है.

ETH ज्‍यूरिख के ताजा अध्‍ययन में क्‍लाइमेट चेंज के प्रभावों को लेकर चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. नेचर जियोसाइंस में पब्लिश स्‍टडी रिपोर्ट में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से पृथ्‍वी के रोटेशन और धुरि में महत्‍वपूर्ण बदलाव देखे जा रहे हैं. पोलर रीजन में बर्फ के पिघलने से यह समस्‍या पैदा हुई है. पानी का प्रवाह इक्‍वेटर की तरफ ही हो रहा है, ऐसे में पृथ्‍वी का द्रव्‍यमान असंतुलित हो रहा है. पृथ्‍वी की गति धीमी होने और धुरि में बदलाव होने से दिन और रात की अवधि में बदलाव हो रहा है. अध्‍ययन का नेतृत्‍व करने वाले प्रोफेसर बेनेडिक्‍ट सोजा ने स्‍टडी रिपोर्ट में लिखा कि पृथ्‍वी की धुर‍ि से द्रव्‍यमान के दूर होने से पृथ्‍वी की रफ्तार धीमी पड़ रही है.

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दिन लंबे, रातें छोटी
क्‍लाइमेट चेंज का असर अब स्‍पष्‍ट रूप से दिखने लगा है. इसके दुष्‍प्रभाव कई रूप में सामने आने लगे हैं. नए अध्ययन के मुताबिक, पृथ्वी के उत्तरी और दक्षिणी धु्रवों पर स्थित ग्रीनलैंड और अंटार्कटिका क्षेत्र में बर्फ तेजी से पिघल रहे हैं. इसका पानी भूमध्य रेखा की ओर शिफ्ट हो रहा है. इससे पृथ्वी का द्रव्यमान बढ़ रहा है और पृथ्वी के घूमने की गति धीमी हो रही है. पृथ्वी की गति धीमी होने से दिन की लंबाई बढ़ रही है. वहीं, रातें छोटी होने लगी हैं. यदि यही हालत रही तो भविष्‍य में हालात और भी बदतर हो सकते हैं.

2100 तक 2.2 मिली सेकंड लंबे होंगे दिन
स्‍टडी रिपोर्ट में योगदान करने वाले सुरेंद्र अधिकारी ने बताया कि अध्ययन में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. इसके अनुसार, अगर इसी रफ्तार से ग्रीनहाउस गैस छोड़ते रहे तो 21वीं सदी के अंत तक धरती इतनी गर्म हो जाएगी कि उसका असर चांद के खिंचाव से भी ज्यादा पड़ेगा. उन्होंने कहा कि साल 1900 से अब तक जलवायु परिवर्तन के कारण दिन 0.8 मिली सेकेंड लंबे हो चुके हैं और अगर इसी तरह से ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन बढ़ता रहा तो साल 2100 तक सिर्फ क्‍लाइमेट चेंज के कारण दिन 2.2 मिली सेकंड लंबे होने लगेंगे.

Tags: Climate Change, International news, National News, Science news

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