Published On: Fri, Jul 26th, 2024

पूर्णिया बिहार की उप-राजधानी बने, एम्स सहरसा में भी खुले; पप्पू यादव ने लोकसभा में उठाई मांग


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निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने लोकसभा में बिहार को पूर्णिया की उप-राजधानी बनाए जाने की मांग उठाई। केंद्रीय बजट पर सदन में अपनी बात रखते हुए पूर्णिया सांसद ने शुक्रवार को कहा कि सहरसा में एम्स खोला जाए। साथ ही पूर्णिया में आईआईटी, आईआईएम एवं केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना करने की मांग की। इससे कोसी और सीमांचल क्षेत्र के युवाओं और अन्य लोगों को फायदा मिलेगा। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र को बाढ़ से बचाने के लिए कोसी नदी पर हाई डैम बनाने की जरूरत है। 

पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने शुक्रवार को लोकसभा में मॉनसून सत्र के दौरान बोलते हुए कहा कि भारत में असमानता चरम पर है। आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन के बयान का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि भारत में भौतिक पूंजी पर जोर देने के साथ-साथ मानवीय पूंजी के निर्माण पर ध्यान देने की आवश्यकता थी, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। अब एआई की दुनिया का सामना करना चुनौती बन गया है। एक रिपोर्ट के अनुसार देश भर में 14 से 18 साल की उम्र के एक चौथाई बच्चे साधारण से लिखे वाक्य भी नहीं पढ़ पाते हैं। 

उन्होंने आगे कहा कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार मेक इन इंडिया में विफल हुई। इस कारण राजकीय नेतृत्व वाले विकास मॉडल के बजाय पीपीपी मॉडल पर निर्भर हो रही है। इसके बुरे नतीजे हो रहे हैं। सांसद ने अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि साल 2000 में देश के अंदर पढ़े-लिखे में बेरोजगारों की संख्या 54.9 प्रतिशत थी, जो 2022 में बढ़कर 65.60 प्रतिशत हो गई। सरकारी आंकड़े ही बता रहे हैं कि मेक इन इंडिया से युवाओं को फायदा नहीं मिल पाया। आज देश में 40 प्रतिशत श्रमिक कृषि क्षेत्र में काम करते हैं। सिर्फ 20 फीसदी ही विनिर्माण नौकरियां या आईटी जैसी सेवाओं में काम करते हैं। 40 फीसदी जो मजदूर हैं, उनपर 10 सालों में सरकार ने कोई काम नहीं किया। 

पप्पू यादव ने कहा कि 2024 के बजट में केंद्र सरकार ने एससी, एसटी और ओबीसी के उच्च शिक्षा विकास के लिए फंड घटा दिया। एक तरफ सरकार अति पिछड़ा, पिछड़ा और एससी-एसटी के आरक्षण को खत्म करना चाह रही है, दूसरी तरफ उनकी इकोनॉमी को भी कम किया जा रहा है। इन वर्गों के बच्चे विदेश जा रहे थे, उसके पैसे कम कर दिए गए हैं। सांसद ने विधवा पेंशन की राशि भी बढ़ाने की मांग की। साथ ही बजट में मनरेगा को कम राशि दिए जाने का मुद्दा उठाया। 

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पप्पू यादव ने ग्रामीण स्तर पर स्वास्थ्य सुविधाओं को विकसित करने की मांग की। उन्होंने कहा कि गांवों में कैंसर, हार्ट, ब्रेन ट्यूमर और संक्रामक बीमारियों का इलाज गरीब पिछड़ा आदमी नहीं करा सकता है। बजट में ऐसी बीमारियों के मुफ्त इलाज के लिए कोई प्रावधान नहीं किया गया है। गांवों में 76 फीसदी डॉक्टरों के पद खाली हैं। गुणवत्ता पूर्ण दवाइयों की कमी है। इस पर बजट में कुछ नहीं बोला गया। साथ ही सरकार ने देश में जाति जनगणना कराने पर अपनी राय भी स्पष्ट नहीं की है। उन्होंने केंद्र सरकार से केंद्रीय विश्वविद्यालयों में ओबीसी और अति पिछड़ा आरक्षण को लेकर अपनी स्थिति स्पष्ट करने की मांग की।

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