पुरानी सड़कों की रिसाइकिल हुई आसान और किफायती, सीआरआरआई ने ईजाद की नई तकनीक

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शहरों के पुराने इलाकों में यह समस्या वहां रहने वाले लोगों को परेशान करती है कि जब जब सड़क बनती है तो वो ऊंचाी हो जाती हैं और नालियां और लोगों के घर नीचे हो जाते हैं. जिससे बारिश के मौमस में जलभराव की समस्या ह…और पढ़ें

एनएच 34 में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में इस्तेमाल की गयी तकनीक.
नई दिल्ली. अब पुरानी सड़कों की रिसाइकिलिंग आसान और किफायती होगी. सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीआरआरआई) ने रेजुपेव तकनीक इजाद की है. इस तकनीक से पुरानी सड़कों की मरम्मत के लिए सड़क के ऊपर 5 से 10 सेमी. तारकोल की लेयर डाल दी जाती है, जिससे सड़क ऊंची हो जाती हैै. इस प्रक्रिया में देश में प्रतिवर्ष गिट्टी काफी मात्रा में गिट्टियां और तालकोल की आवश्यकता होती है. दोनों प्राकृतिक संसाधनों के जरूरत से अधिक इस्तेमाल से पर्यावरण पर दुष्प्रभाव पड़ता है.
सड़क के मैटेरियल को इस प्लांट की मदद से रिसाइकल किया जाता है.
वे बताते हैं कि इस तकनीक के इस्तेमाल से बनी रोड की लागत सामान्य के मुकाबले 40 फीसदी कम आएगी. इस तरह रुपये की बचत होगी. इसके साथ ही थिकनेस अधिक होने से मजबूत भी अधिक होगी. इस तकनीक के अन्य फायदे भी हैं. पूरी तरह से इको फ्रेंडली यह तकनीक पूरी से इको फ्रेंडली है. तकनीक बॉयो आयल पर आधारित है.
रिजुपेव तकनीक के इस्तेमाल के दौरान साइट पर मौजूद इंजीनियर.
प्राकृतिक संसाधन संरक्षित करने में मददगार
पूरी तरह से भारतीय तकनीक
यह तकनीक सीएसआईआर- सीआरआरआई और वर्मा इंडस्ट्रीज ने विकसित की है जो पूरी तरह से भारतीय है. यह स्वदेशी तकनीक आयात की जाने वाली तकनीक के मुकाबले सस्ती भी है.

करीब 15 साल का पत्रकारिता का अनुभव है. नेटवर्क 18 से पहले कई अखबारों के नेशनल ब्यूरों में काम कर चुके हैं. रेलवे, एविएशन, रोड ट्रांसपोर्ट और एग्रीकल्चर जैसी महत्वपूर्ण बीट्स पर रिपोर्टिंग की. कैंब्रिज, लंदन जा…और पढ़ें
करीब 15 साल का पत्रकारिता का अनुभव है. नेटवर्क 18 से पहले कई अखबारों के नेशनल ब्यूरों में काम कर चुके हैं. रेलवे, एविएशन, रोड ट्रांसपोर्ट और एग्रीकल्चर जैसी महत्वपूर्ण बीट्स पर रिपोर्टिंग की. कैंब्रिज, लंदन जा… और पढ़ें