पिता की दुश्मनी की चुकानी पड़ी कीमत: पोक्सो एक्ट का दोषी मुकेश 4 साल बाद निर्दोष साबित, कहा- सब बदल गया, परिवार खाने को तरस गया – Darbhanga News

कोर्ट-कचहरी के चक्कर काटते-काटते मेरा पूरा परिवार बर्बाद हो गया। मेरा बेटा जेल चला गया, वो इकलौता कमाने वाला था, उसका काम छूट गया। मेरे परिवार की आर्थिक स्थिति काफी खराब हो गई। खाने तक की आफत हो गई। मैं अपने बेटे की बेगुनाही के सारे सबूत देता था, लेक
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दरभंगा के बहेड़ा थाना क्षेत्र के मोजमपुर गांव के वार्ड-17 के रहने वाले 20 साल के मुकेश कुमार को पॉक्सो केस में फर्जी तरीके से फंसा दिया गया था। हालांकि साक्ष्य के आधार पर पटना हाई कोर्ट ने मुकेश को निर्दोष करार देते हुए बरी कर दिया।
दरअसल, 2020 में प्रेमी और प्रेमिका पकड़ाए थे, पंचायत बैठी थी। जिस प्रेमी दिनेश को गांव के लोगों ने पकड़ा था, वो मुकेश का दोस्त था। वहीं, जिस लड़की को दिनेश के साथ पकड़ा गया था, वो नाबालिग थी। उसके पिता का मुकेश के परिवार से जमीन विवाद था। इसी विवाद की आड़ में बदला लेने के लिए लड़की के पिता वे मुकेश पर आरोप लगा दिया कि उसने मेरी बेटी के साथ शारीरिक संबंध बनाए हैं, उसका अबॉर्शन कराया है। इस मामले में फर्जी पंचायत भी बुलाई गई, जिसमें तमाम बेगुनाही के सबूत के बाद भी मेरे बेटे को फंसा दिया गया।
कोर्ट से बरी किए गए मुकेश ने कहा कि गांव के दबंग विष्णु, नूनू महतो, राधे महतो, महेश महतो, बच्चा बाबु और गौरी शंकर ने पंचायत में निर्णय लिया कि लड़की के परिवार को 12 लाख रुपया देकर मामला रफा-दफा किया जाए। साथ ही दिनेश के परिवार से भी 6 लाख लेकर लड़की के परिवार वालों को दिया जाए। दिनेश के परिवार ने पैसे दे दिए, तो उसे छोड़ दिया गया। लेकिन मेरे परिवार ने पैसे देने से इनकार कर दिया।
मेरे परिवार को आखिर में 1 लाख रुपए देने को कहा, पर हम नहीं माने। बाद में मुझे फंसाने के लिए लड़की पर दबाव बनाया गया और उससे मेरे खिलाफ केस दर्ज करवाया दिया गया। उस वक्त जांचकर्ता ASI जावेद आलम थे, जिन्होंने पॉक्सो केस में फर्जी तरीके से मुझे सजा दिलवा दी।

मेरे आवेदन को साइड कर दिया गया था: मुकेश
मुकेश ने कहा कि मैंने भी 4 जुलाई 2020 को 1 लाख रुपए की डिमांड करने और अन्य आरोपों को लेकर बहेड़ा थाने में आवेदन दिया था। 8 अगस्त को मुझे बहेरा थाना में आपसी समझौते के लिए बुलाया गया। जब मैं यहां पहुंचा, तो पुलिस ने मुझ पर समझौता करने और पैसे देने का दबाव बनाया। जब मैं नहीं माना, तो मेरा आवेदन साइड कर दिया और 10 अगस्त 2020 को लड़की की ओर से दिए गए आवेदन पर मेरे खिलाफ केस दर्ज कर लिया। 8 से 12 अगस्त यानी चार दिनों तक मैं थाने में ही रहा, जिसके बाद मुझे जेल भेज दिया गया।
फंसाने के लिए जिस डॉक्टर पर्ची दी, उस नाम का कोई डॉक्टर ही नहीं
मुकेश के बड़े भाई धनेश्वर महतो ने बताया कि जमीन विवाद के झगड़े में मुकेश पर नाबालिग से संबंध बनाने और गर्भपात कराने का आरोप लगाया गया था। परिवार के 6 सदस्यों को भी नामजद किया गया था। हालांकि, बाद में परिवार के सदस्यों का नाम FIR से हटा दिया गया था।
नाबालिग लड़की के पिता ने मुकेश को फंसाने के लिए IO यानी जांचकर्ता को डॉक्टर भारती कुमारी की पर्ची और अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट दी थी। IO ने बहेड़ी बाजार के नवजीवन केंद्र जाकर जब जांच की, तो पता चला कि वहां डॉ. भारती कुमारी नाम की कोई डॉक्टर ही नहीं है। वहां के डॉ. आरके रोशन ने रजिस्टर चेक कर बताया कि बहेड़ा की संबंधित पीड़िता का इलाज उनके क्लिनिक में नहीं हुआ था।

मुकेश के पिता के पास बेगुनाही के सारे सबूत आ चुके थे
मुकेश के पिता के पास अपने बेटे के निर्दोष होने का सारा सबूत था। यहां तक की पूरे पंचायत का ऑडियो भी था, जिसे मुकेश के पिता ने 2022 में समाजसेवी चिंटू कुमार की मदद से डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस के पास भेजा। इन साक्ष्यों के बदौलत परिजनों ने पहली बार मार्च 2021 में पटना हाईकोर्ट में याचिका दायर की, जिसे रिजेक्ट कर दिया गया। उसके बाद दोबारा 2022 में हाई कोर्ट में याचिका दायर करने पर एक वर्ष का डीटेंसन लगा दिया गया। मुकेश के पिता ने 2023 में तीसरी बार हाई कोर्ट में याचिका दायर की।
उधर, मामला दरभंगा पोक्सो कोर्ट में चल रहा था। कोर्ट में सुनवाई के दौरान ही इस केस के IO ने 12 जुलाई 2022 एक शपथ पत्र दायर किया और कहा कि पीड़िता की मेडिकल रिपोर्ट को मैंने देखा था। उसमें गर्भपात के संबंध में कोई साक्ष्य नहीं है। सेक्सुअल असॉल्ट का भी कोई साक्ष्य नहीं पाया गया। अनुसंधान में दिनेश कुमार की संलिप्तता पाई, पर मैंने सीनियर पुलिस पदाधिकारी के आदेश पर मुकेश कुमार पर आरोप पत्र समर्पित किया था।
पोक्सो कोर्ट ने IO की ओर से पेश किए गए आरोप पत्र को दरकिनार करते हुए पीड़िता के बयान के आधार पर आरोपी मुकेश को दोषी पाते पाया और 20 साल की सजा सुनाई दी। 29 नवम्बर 2023 को दरभंगा के पोस्को कोर्ट ने मुकेश को 20 वर्ष की कारावास की सजा सुना दी।
सजा मिलने के 10 दिनों बाद समाजसेवी रविन्द्र नाथ सिंह उर्फ चिंटू सिंह की मदद से पटना हाई कोर्ट का चौथी बार दरवाजा खटखटाया गया। इस बार कोर्ट ने मुकेश की याचिका को स्वीकार कर लिया। सुनवाई के दौरान पीड़ित के वकीलों ने एक 57 मिनट के ऑडियो का जिक्र किया। वकीलों ने कहा कि इस ऑडियो को सुना जाए। फिर पटना हाई कोर्ट की डबल बेंच ने इस ऑडियो को सुना। कोर्ट ने IO की ओर से पेश किए गए शपथ पत्र को भी देखा। इसके बाद 28 नवंबर 2024 को मुकेश को बाइज्जत बरी कर दिया। 2 दिसंबर को मुकेश को बरी करने की सूचना मुजफ्फरपुर के खुदीराम बोस केंद्रीय कारा को दी गई। इसके बाद 3 दिसंबर को सुबह 7:30 पर मुकेश को जेल से बाहर निकालने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई और 10:30 पर मुकेश जेल से बाहर निकल गया।

मुकेश का परिवार, जिन्होंने चार साल में काफी परेशानियां देखी।
जेल से बाहर आने के बाद मुकेश ने बताया कि आठ अगस्त से 12 अगस्त तक उसे थाना के हाजत में रखा गया। 12 अगस्त से 31 अगस्त तक वह बेनीपुर उपकरा में रहा। उसके बाद दरभंगा मॉडल कारा में शिफ्ट कर दिया गया। जहां वह 4 वर्षों तक कैद रहा। 21 जुलाई 2024 को उसे मुजफ्फरपुर के केंद्रीय कारा में शिफ्ट कर दिया गया था। इन जेलों में उसने तमाम तरह की परेशानियों को झेला। अब उसने मांग की है कि जिसकी वजह से मैं निर्दोष होते हुए भी जेल में रहा, उन्हें सजा दी जाए और मुझे मुआवजा दिया जाए।