पशुपति पारस से लोजपा दफ्तर खाली कराने पर पटना हाई कोर्ट में सुनवाई, नीतीश सरकार से मांगा जवाब
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पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस की राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (रालोजपा) का दफ्तर खाली कराने के मामले में पटना हाई कोर्ट ने नीतीश सरकार से जवाब मांगा है। इस मामले पर रालोजपा की याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई हुई। पारस की पार्टी ने बिहार के भवन निर्माण विभाग पर मनमाने तरीके से पटना एयरपोर्ट के पास स्थित भवन खाली कराने का आदेश दिया गया। इसके बाद हाई कोर्ट ने बिहार सरकार से चार सप्ताह के भीतर जवाबी हलफनामा दायर करने को कहा है। बता दें कि रालोजपा से दफ्तर खाली कराने के बाद यह भवन केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान की पार्टी लोजपा रामविलास को आवंटित कर दिया गया।
रालोजपा के उपाध्यक्ष अंबिका प्रसाद की ओर से अधिवक्ता आशीष गिरि ने पिछले दिनों पटना हाई कोर्ट ने अर्जी दायर की थी। जस्टिस मोहित कुमार शाह की एकलपीठ ने शुक्रवार को इस पर सुनवाई की। दरअसल, साल 2006 में लोक जनशक्ति पार्टी को अपना कार्यालय चलाने के लिए भवन निर्माण विभाग की ओर से पटना एयरपोर्ट के पास व्हीलर रोड (शहीद पीर अली खान मार्ग) पर हाउस नंबर 1 आवंटित किया गया था। पार्टी के संस्थापक रामविलास पासवान के निधन के बाद लोजपा दो गुटों में बंट गई। 2021 में पशुपति पारस के गुट वाली रालोजपा को राज्य स्तर के दल के रूप में मान्यता मिल गई। तब से रालोजपा का यहां दफ्तर चल रहा था।
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पिछले महीने भवन निर्माण विभाग ने कार्यालय का नवीनीकरण नहीं कराने का हवाला देते हुए रालोजपा से यह दफ्तर खाली कराने का आदेश दिया था। इसके बाद यह दफ्तर हाल ही में चिराग पासवान के गुट वाली लोजपा रामविलास को आवंटित कर दिया गया। अब पारस गुट ने हाई कोर्ट का रुख किया है। रालोजपा ने अपनी अर्जी में कहा कि 2021 से लगातार उनकी पार्टी इस परिसर में कार्यालय चला रही है। पार्टी ने इस कार्यालय के नवीनीकरण के लिए पिछले साल 27 जुलाई को आवेदन दिया था। इसके बावजूद मनमाने तरीके से पार्टी कार्यालय का आवंटन भवन निर्माण विभाग ने रद्द कर दिया। साथ ही कार्यालय परिसर को खाली कराने की प्रक्रिया शुरु की गई है। रालोजपा ने आरोप लगाए कि भवन निर्माण विभाग के उप सचिव ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर उनसे पार्टी दफ्तर खाली कराने का आदेश जारी किया।