Published On: Wed, Aug 14th, 2024

पशुपति पारस को झटके पर झटका, तरारी सीट मांगने वाली रालोजपा के सुनील पांडे की बीजेपी में होगी एंट्री


राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (रालोजपा) के अध्यक्ष पशुपति पारस को भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से झटके पर झटके लग रहे हैं। लोकसभा चुनाव 2024 में दरकिनार किए गए पूर्व केंद्रीय मंत्री पारस को आगामी बिहार उपचुनाव में भी बड़ा झटका लगा है। भोजपुर जिले की तरारी सीट से चार बार विधायक रहे सुनील पांडे ने पारस का साथ छोड़ दिया है और अब वे बीजेपी का दामन थामने जा रहे हैं। बीजेपी उन्हें आगामी उपचुनाव में टिकट दे सकती है। बता दें कि सुनील पांडे के दम पर ही रालोजपा ने बीजेपी से तरारी सीट की डिमांड की थी।

जानकारी के मुताबिक सुनील पांडे ने मंगलवार को पशुपति पारस की पार्टी रालोजपा को अलविदा कह दिया। वे आगामी 16 अगस्त को पटना स्थित प्रदेश बीजेपी कार्यालय में पार्टी की सदस्यता ग्रहण करेंगे। चर्चा है कि बीजेपी उन्हें तरारी उपचुनाव में एनडीए का प्रत्याशी बना सकती है। 2020 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने बतौर निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव लड़ा था और दूसरे स्थान पर रहे थे। पिछले चुनाव में तरारी सीट पर बीजेपी की करारी हार हुई थी।

बता दें कि तरारी से विधायक रहे सीपीआई माले के सुदामा प्रसाद गौतम हाल ही में लोकसभा चुनाव में आरा से जीतकर संसद पहुंच गए। उनके इस्तीफे से इस सीट पर उपचुनाव होने हैं। तरारी के अलावा तीन अन्य सीटों रामगढ़, बेलागंज और इमामगंज पर भी उपचुनाव के लिए वोटिंग होगी। एनडीए में बेलागंज जेडीयू, तो इमामगंज जीतनराम मांझी की HAM के खाते में जाना तय है। अन्य दो सीटें तरारी और रामगढ़ से बीजेपी के प्रत्याशी उतारे जाने की संभावना है।

सुनील पांडे के कंधे पर चढ़कर पशुपति पारस ने बीजेपी को आंख दिखाई, एक सीट मांगी

दूसरी ओर, सुनील पांडे क्षेत्र के चर्चित नेता हैं। वे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी से चार बार विधायक रह चुके हैं। बाद में उन्होंने जेडीयू छोड़ दी और निर्दलीय चुनाव लड़ते रहे। इसके बाद वे पशुपति पारस की रालोजपा में आ गए। पारस की पार्टी ने सुनील पांडे के दम पर बीजेपी एवं जेडीयू पर तरारी सीट पर चुनाव लड़ने का दबाव बनाना शुरू कर दिया। इस बीच बीजेपी ने बड़ा खेल करते हुए पांडे को अपने खेमे में ले लिया है। ऐसे में एक बार फिर पारस को खाली हाथ रहना पड़ेगा।

बता दें कि इस साल हुए लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी ने चिराग पासवान के गुट वाली लोजपा रामविलास को तरजीह दी थी और रालोजपा को एक भी सीट नहीं मिल पाई थी। इससे नाराज होकर पारस ने केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।

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