पटना की हवा दिल्ली से ज्यादा जहरीली: डॉक्टर बोले-रोजाना 10-15 सिगरेट के बराबर धुआं ले रहे लोग; पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने कहा-दिल्ली से तुलना गलत – Patna News
पटना का एयर पॉल्यूशन लेवल पिछले कई दिनों से दिल्ली से अधिक रिकॉर्ड किया जा रहा है। दिसंबर में पटना का एयर पॉल्यूशन लेवल और भी बढ़ेगा। क्योंकि, फॉग बढ़ने की संभावना ज्यादा है। बढ़ते एयर पॉल्यूशन की वजह से लोग एलर्जी के शिकार हो रहे हैं। सिर में दर्द स
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छाती रोग विशेषज्ञ डॉ. सुभाष चंद्र झा ने कहा है कि ‘पटना के लोग एयर पॉल्यूशन की वजह से हर दिन 10 से 15 सिगरेट के बराबर हानिकारक धुआं ले रहे हैं।
वहीं, बिहार पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के चेयरमैन डीके शुक्ला पटना के पॉल्यूशन की तुलना दिल्ली से किए जाने को गलत बता रहे हैं। वे कहते हैं कि ‘पटना के पॉल्यूशन की तुलना दिल्ली के पॉल्यूशन से नहीं कर सकते हैं।’
इस रिपोर्ट में पढ़िए पटना का एयर पॉल्यूशन दिल्ली से ज्यादा क्यों है। इसकी वजह क्या है। इससे सेहत पर क्या असर पड़ा है। सरकार इसको लेकर क्या कर रही है।
सबसे पहले AQI लेवल को समझिए, कौन सा लेवल हेल्थ के लिए खतरनाक
पटना शहरी क्षेत्र यानी पटना नगर निगम, फुलवारीशरीफ नगर परिषद और दानापुर नगर परिषद में डीजल से चलने वाले ऑटो बैन है। इसके बावजूद ये स्थिति है। पटना की हवा में बहुत महीन धूल कण यानी पीएम 2.5, इससे बड़े धूल कण पीएम 10 के अलावे कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड की मात्रा पाई जा रही है। लोग एलर्जी के शिकार हो रहे हैं। इसमें बार-बार सर्दी होना, छींक आना, सिर में दर्द, बीपी के बढ़ने की शिकायत आ रही है।
मॉडरेट की स्थिति में वैसे लोगों को मुश्किल होती है, जो अस्थमा के मरीज हैं या जिन्हें हार्ट या लंग्स की बीमारी है। पुअर एक्यूआई की स्थिति में सभी लोग ब्रीदिंग प्रॉब्लम महसूस करते हैं। वेरी पुअर वाली स्थित में सांस लेने की बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है। सीवियर एक्यूआई वाली हवा में स्वस्थ्य व्यक्ति को भी मुश्किल होने लगती है। वह बीमारी का शिकार होने लगता है।
पिछले पांच दिनों से पटना का एक्यूआई लेवल 200 के पार रहा है यानी ऐसी हवा में रह रहे लोगों को ब्रीदिंग प्रॉब्लम हो रही है। यह तुरंत नहीं दिखता। लेकिन, धीरे-धीरे स्वस्थ व्यक्ति को भी बीमार बना देता है। पटना में पॉल्यूशन कंट्रोल की जमीनी सच्चाई यह है कि तारामंडल के पास लगाया गया पॉल्यूशन डिस्प्ले बोर्ड कई दिनों से खराब पड़ा है।
साइकिल ट्रैक बनवाया पर लागू नहीं हुआ
पटना में पॉल्यूशन को कम करने के लिए साइकिल का ट्रैक बनाने की कोशिश की गई। लेकिन यह अब तक सफल नहीं हो पाया है। अटल पथ पर साइकिल का ट्रैक बनवाया गया था। सड़क किनारे लाल रंग के ट्रैक पर साइकिल सवार और लाल-पीले रंग के ट्रैक पर पैदल यात्री के चलने की व्यवस्था की गई। साइकिलिंग से जुड़ा बोर्ड भी लगाया गया।
लेकिन, सरकार इसको लागू नहीं करवा पाई। लोग मेन रोड में ही साइकिल चलाने को लाचार हैं। एम्सटर्डम का मॉडल यह है कि वहां की सरकार ने साइकिल के सहारे एयर पॉल्यूशन को नियंत्रित किया। वहां की आबादी जितनी है, उतनी ही वहां साइकिलें हैं। वहां शहर में रहने वाले 75 फीसदी बच्चे साइकिल का इस्तेमाल करते हैं। 1956 में वहां गाड़ियां ज्यादा हो गईं थी।
गाड़ियों के चलने के लिए घरों को तोड़ा जाने लगा। वहां एक साल में तीन हजार लोग मारे गए थे। ट्रैफिक एक्सिडेंट भी बढ़ गए थे। बच्चे भी एक्सिडेंट के शिकार होने लगे। इसके बाद वहां एक मूवमेंट हुआ, जिसका नाम था ‘स्टॉप द किंडरमोर्ड’ यानी बच्चों का खून होने से रोको। कई तरह की साइकिल रैलियां हुईं। वहां की सरकार ने इस मूवमेंट को सहयोग किया। पेट्रोल की कीमतों से भी परेशानी हुई।
सरकार ने वहां काफी साइकिल ट्रैक बनवाए। पब्लिक ट्रांसपोर्ट और साइकिल पर फोकस किया गया। साइकिलों को अंडरग्राउंड पार्किंग बनवाई गई जो फ्री रहीं। बता दें एक कार की पार्किंग जितनी जगह लेती है उतने में 10 साइकिलें पार्क हो सकती हैं। पटना में जू के दो नंबर गेट के पास साइकिल का ट्रैक बनवाया गया था, लेकिन कुछ समय बाद वह भी असफल रहा।
पटना के पॉल्यूशन की तुलना दिल्ली से नहीं कर सकते
भास्कर ने बिहार पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के चेयरमैन डीके शुक्ला से बात की। वे कहते हैं कि ‘दिल्ली की हवा में पराली जलाने का असर ज्यादा दिखता है। इस वजह से दिल्ली और पटना का पॉल्यूशन अलग-अलग तरह का है। पटना में 70 फीसदी पॉल्यूशन मेट्रोलॉजिकल कारणों से है। इसका मतलब यह हुआ कि टेम्प्रेचर, हवा की मिक्सिंग आदि की वजह से। बाकी 30 फीसदी लोगों की वजह से पॉल्यूशन है। उस पर ही हमलोग काम करते हैं।’
‘पटना और बिहार के बाकी शहरों में पॉल्यूशन को लेकर काफी काम किया गया है। जहां भी कंस्ट्रक्शन के काम चल रहे हैं और मिट्टी आदि रखा गया है, उसे घेर कर रखने का निर्देश दिया गया है। हर दिन 400 किमी सड़कों पर पानी का छिड़काव नगर निगम की तरफ से किया जा रहा है। कूड़े के उठाव तेजी से किया जा रहा है, ताकि कोई कूड़ा को जला नहीं सकें। कूड़ा जलाने से काफी पॉल्यूशन फैलता है। नगर निगम ने तीन-चार महीने में पांच हजार लोगों पर फाइन कर 10 लाख रुपए जुर्माना वसूला है।’
चार आईआईटी के साथ करार किया गया
डीके शुक्ला बताते हैं कि ‘पटना में प्रदूषण के क्या-क्या कारण हैं। इसको पता लगाने के लिए आईआईटी बीएचयू, आईआईटी दिल्ली, आईआईटी पटना को प्राधिकृत किया गया। एयर शेड किस तरह से बनता है, इसके लिए आईआईटी कानपुर से बात की है। पॉल्यूशन के कण आते कहां से हैं, इसके लिए नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ ओशनोग्राफी गोवा से कोलिब्रेशन किया है। जब एयर पॉल्यूशन के कारक सही-सही पता चल जाएंगे, तभी ठीक से एक्शन ले सकेंगे। देश के किसी राज्य ने अभी तक इस तरह की स्टडी नहीं करवाई है। आइकोटोपिक स्टडी से जुड़ी रिपोर्ट का इंतजार है।’
अलग-अलग आयोजनों से भी बढ़ रहा एयर पॉल्यूशन
बिहार पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के चेयरमैन के मुताबिक ‘रविवार को गांधी मैदान के इलाके में एयर पॉल्यूशन अधिक देखा गया। उसका कारण साफ था वहां पुस्तक मेला लगा है जहां काफी संख्या में लोग आए। कुछ दिन पहले कार्तिक पूर्णिमा थी, उस वजह से काफी भीड़ थी, तब ट्रैफिक जाम काफी रहा। इससे हाजीपुर सहित पटना में पॉल्यूशन लेवल बढ़ गया।
राजगीर में दो-तीन दिन पॉल्यूशन बढ़ा रहा। क्योंकि, वहां हॉकी चैंपियनशिप का आयोजन था। काफी लोग वहां पहुंचे थे। वहां काफी गाड़ियां आईं, पार्किंग कच्ची थी। कटिहार में कई बार एयर पॉल्यूशन काफी दिखता है। जबकि, वहां इंडस्ट्री उस तरह से नहीं है। इसकी वजह यह है कि यहां सभी जगह का एयर शेड बनता है।
स्कूली बसें सुबह और दोपहर को फैलाती है पॉल्यूशन
डी.के. शुक्ला कहते हैं कि ‘पटना में डीजल की गाड़ियां हटा दी गई हैं। लेकिन, डीजल वाली स्कूल बसें पटना में काफी पॉल्यूशन फैलाती हैं। यह सुबह के समय और दोपहर के समय होता है। इससे जुड़ा मामला हाईकोर्ट में है। पटना में साइकिल ट्रैक बनवाना अच्छा है। लेकिन, ट्रैक काफी सक्सेस नहीं हो पा रहा है। इंदौर जैसी जगह में यह कुछ सफल है। पटना में मेट्रो बन जाएगा तो पॉल्यूशन काफी नियंत्रित होगा। पब्लिक ट्रांसपोर्ट का बेहतर टाइम से चलाया जाए तो अच्छा होगा।’
15 सिगरेट रोज पी रहे पटना के लोग- डॉ. सुभाष चंद्र झा, छाती रोग विशेषज्ञ
पटना में वर्षों से छाती रोग का इलाज कर रहे पीएमसीएच के रिटायर्ड डॉक्टर सुभाष चंद्र झा कहते हैं कि ‘दिल्ली, पटना, मुजफ्फरपुर जैसे शहरों में एयर पॉल्यूशन काफी है। नाक के माध्यम से एयर पॉल्यूशन शरीर के अंदर जाता है तो अपने साथ डस्ट पार्टिकल्स को लेकर जाता है। वह लंग्स, सांस की नली को तो डैमेज करता ही है। धीरे-धीरे हार्ट को भी प्रॉब्लम में डालता है। पटना में एयर पॉल्यूशन काफी ज्यादा है। विकास के नाम पर पटना में काफी पेड़ काटे गए। जहां दो तल्ला मकान होना चाहिए, वहां 10 तल्ला मकान बन रहे हैं। पटना सिटी को बड़ा करना चाहिए।’
सरकार तेजी से हरियाली बढ़ा रही
बिहार के वन एवं पर्यावरण मंत्री प्रेम कुमार कहते हैं कि ‘बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड लगातार एयर पॉल्यूशन की समीक्षा कर रहा है। वैसी इंडस्ट्री जिनकी वजह से पॉल्यूशन बढ़ रहा है, उन पर फाइन किया जा रहा है। बिहार में वन क्षेत्र को झारखंड बंटवारे के बाद 7 फीसदी से बढ़ाकर 15 फीसदी कर दिया है।