Published On: Sat, May 24th, 2025

पंजाब में तेलुगु पढ़ाएगा शिक्षा विभाग: टीचर्स फ्रंट ने किया विरोध; कहा-12वीं में पंजाबी में 3800 स्टूडेंट फेल, फिर चौथी भाषा का बोझ क्यों? – Amritsar News


पंजाब के सरकारी स्कूलों में 7 दिनों के लिए समर कैंप आयोजित किए जा रहे हैं। (प्रतीकात्मक तस्वीर)

पंजाब सरकार का शिक्षा विभाग राज्य के सरकारी स्कूलों में तेलुगु भाषा पढ़ाने की तैयारी कर रहा है। लेकिन इस आदेश के आते ही इस पर गहरी बहस शुरू हो गई है। आदेश के तहत 26 मई से 5 जून 2025 तक छठी से 10वीं कक्षा तक के विद्यार्थियों के लिए ‘भारतीय भाषा समर कै

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सरकारी आदेश के पीछे ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ मिशन को आधार बनाया गया है, लेकिन राज्य में शिक्षा की मौजूदा स्थिति को देखते हुए शिक्षक संगठन और विशेषज्ञ इस प्रयोग पर गंभीर सवाल उठा रहे हैं।

शिक्षक संगठन का कहना है कि पंजाब में 12वीं कक्षा के 3800 से अधिक और 10वीं कक्षा के 1571 विद्यार्थी पंजाबी भाषा में फेल हो गए हैं, जबकि शिक्षा विभाग अब उन्हीं विद्यार्थियों को तेलुगु भाषा पढ़ाने के लिए शिक्षकों को आदेश दे रहा है।

चौथी भाषा का बोझ डालना पूरी तरह से गैर-वैज्ञानिक

डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट (DTF) ने इसका कड़ा विरोध किया है। संगठन का कहना है कि जब विद्यार्थी अपनी मातृभाषा पंजाबी में पिछड़ रहे हैं, तो चौथी भाषा का बोझ डालना पूरी तरह से गैर-वैज्ञानिक और तर्कहीन है।

विभाग ने छठी से दसवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों को तीन समूहों में बांटकर समर कैंप के जरिए तेलुगु पढ़ाने की योजना बनाई है। डीटीएफ नेताओं ने कहा कि स्कूलों में पहले से ही शिक्षकों की भारी कमी है और अब उन्हें गैर-शैक्षणिक कार्यों में लगाकर मानसिक रूप से परेशान किया जा रहा है।

शिक्षा विभाग ने 7 दिनों का शेड्यूल भी जारी किया है। (प्रतीकात्मक तस्वीर)

शिक्षा विभाग ने 7 दिनों का शेड्यूल भी जारी किया है। (प्रतीकात्मक तस्वीर)

जानें क्या है सरकारी आदेश में-

शिक्षा विभाग द्वारा 23 मई को जारी आदेश के अनुसार:

  • समर कैंप राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में चलाए जाएंगे।
  • कक्षा 6वीं से 10वीं तक के विद्यार्थी इसमें भाग लेंगे।
  • विद्यार्थियों को पाठ्यक्रम की तीन भाषाओं के अलावा एक अतिरिक्त भारतीय भाषा तेलुगु का प्राथमिक ज्ञान दिया जाएगा।
  • शिक्षण माध्यम फिजिकल (सामान्य कक्षा आधारित) होगा।
  • विद्यार्थियों को 3 समूहों में बांटकर प्रशिक्षण दिया जाएगा।
  • तेलुगू भाषा की बोलचाल, गीत-संगीत, कला, संस्कृति, व्यंजन, नृत्य, देशभक्ति, ऐतिहासिक स्थलों आदि से संबंधित गतिविधियां करवाई जाएंगी।
  • कक्षाएं कार्यदिवसों में अर्ध दिवसीय छुट्टी के बाद, तथा छुट्टियों में सुबह 8 से 11 बजे तक लगेंगी।
  • स्कूल 75 से कम छात्र होने की स्थिति में सभी बच्चों को शामिल करें।
  • शिक्षकों को नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाएगा और स्कूलों को प्रति छात्र ₹30 तक समर कैंप संचालन हेतु बजट मिलेगा।

शिक्षक संगठनों का तीखा विरोध

डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट पंजाब के पदाधिकारियों ने इस फैसले को “ग़ैर-व्यावहारिक, नीति-विरोधी और छात्रों पर अनावश्यक बोझ डालने वाला” बताया है। DTF के नेताओं का कहना है कि हाल ही में 12वीं कक्षा के 3800 से अधिक और 10वीं कक्षा के 1571 विद्यार्थी पंजाबी भाषा में परीक्षा पास नहीं कर सके। इसके बावजूद सरकार उन छात्रों को तेलुगु सिखाने की बात कर रही है, जो अभी तक अपनी मातृभाषा में ही दक्ष नहीं हैं।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तीन भाषा फार्मूले में पहले ही विद्यार्थी पंजाबी, हिंदी और अंग्रेजी सीख रहे हैं। इस स्थिति में चौथी भाषा जोड़ना नीतिगत और मनोवैज्ञानिक रूप से गलत है। पहले से ही स्कूलों में विषय विशेषज्ञों की भारी कमी है। ऐसे में शिक्षकों को समर कैंप जैसी नई जिम्मेदारियों में उलझाना अव्यवहारिक है। शिक्षकों को दैनिक शैक्षणिक जिम्मेदारियों से हटाकर तेलुगु सिखाने के लिए प्रशिक्षित करना समय और संसाधन की बर्बादी है।

नेताओं ने मांग की कि शिक्षा विभाग हर बार कोई नया प्रयोग करने की बजाय सत्र प्रारंभ में ही एक स्पष्ट गतिविधि कैलेंडर बनाए और उसी के अनुसार कार्य करे।

DTF की तरफ से सरकार के सामने निम्न मांगें रखी गई हैं-

  • इस फैसले को तत्काल वापस लिया जाए या स्वैच्छिक बनाया जाए।
  • तेलुगु प्रशिक्षण को केवल रुचि रखने वाले विद्यार्थियों तक सीमित रखा जाए।
  • स्कूलों में प्राथमिकता से पंजाबी भाषा में दक्षता दिलाने के लिए विशेष प्रयास किए जाएं।
  • शिक्षकों को अतिरिक्त कार्यभार से मुक्त रखते हुए, पहले से स्वीकृत गतिविधियों तक सीमित रखा जाए।

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