Published On: Thu, Jun 19th, 2025

न मंदिर, न मजार… ये हैं दोस्ती के स्मारक! सरदारशहर में दिखा सच्ची यारी का अद्भुत रूप


Last Updated:

Churu News: चूरू के सरदारशहर में दूगड़ विद्यालय के 2002 बैच के पूर्व छात्रों ने दिवंगत मित्रों की स्मृति में 48 सार्वजनिक बेंचें लगवाकर दोस्ती और समाज सेवा की मिसाल पेश की है. यह पहल न केवल श्रद्धांजलि है, बल्क…और पढ़ें

हाइलाइट्स

  • दूगड़ विद्यालय के 2002 बैच ने 48 बेंचें लगवाईं.
  • दिवंगत साथियों की स्मृति में बेंचें समर्पित की गईं.
  • समाज सेवा और दोस्ती की अनोखी मिसाल पेश की.

चूरू. दोस्ती एक ऐसा रिश्ता है जो खून का नहीं, लेकिन दिल के सबसे करीब होता है. यह भरोसा, प्यार और बिना शर्त समर्थन का प्रतीक होता है. कहा जाता है कि सच्ची मित्रता समय और दूरी की मोहताज नहीं होती. इसी बात को राजस्थान के सरदारशहर में दूगड़ विद्यालय के 2002 बैच के पूर्व छात्रों ने चरितार्थ किया है.

अपने दिवंगत साथियों के प्रति सम्मान और प्रेम जताते हुए इस बैच के साथियों ने तीसरे चरण में 16 नई बेंचें शहर के मुख्य स्थानों पर लगवाकर समाज सेवा और दोस्ती की अनोखी मिसाल पेश की है. इससे पहले पहले और दूसरे चरण में भी इसी समूह ने 16-16 बेंचें लगवाई थीं. इस तरह अब तक कुल 48 बेंचें सार्वजनिक स्थलों पर लग चुकी हैं.

दिवंगत साथियों की स्मृति में विशेष समर्पण
हर बेंच केवल बैठने की जगह नहीं बल्कि एक भावना, याद और मित्रता की पहचान बन चुकी है. यह पुण्य कार्य विशेष रूप से दिवंगत साथी मरहूम वसीम मुगल और स्वर्गीय श्रीकांत ओझा की स्मृति को समर्पित है. इनके नामों के साथ-साथ उनके परिवारों का सम्मान बनाए रखने का भी यह प्रयास है. यह बेंचें शहरवासियों को शारीरिक राहत देने के साथ भावनात्मक जुड़ाव का भी जरिया बन रही हैं. राजकीय अस्पताल, एससीडी महाविद्यालय, बिजली बोर्ड रीको व जीवीएम, कानी देवी मूक बधिर संस्था, पशु चिकित्सालय, शिव बाड़ी रामनगर जैसे स्थानों पर यह बेंचें लगाई गई हैं.

समाजहित और स्मृतियों को जोड़ता प्रयास
राजकीय अस्पताल के कार्मिक बुलाकी शर्मा ने बताया कि मित्रमंडली का यह प्रयास सराहनीय है. वक्त के साथ जहां जीवन मूल्य बदल रहे हैं और रिश्तों में स्वार्थ दिखता है, वहीं ऐसे प्रयास समाज में सकारात्मक संदेश देते हैं. दूगड़ विद्यालय मित्रमंडल के सदस्यों ने बताया कि यह केवल बेंच लगवाने की बात नहीं है, बल्कि बीते दिनों की स्मृतियों को समाजहित में बदलने की कोशिश है. हमारे दोस्त आज हमारे साथ नहीं हैं, लेकिन हम उन्हें हर छात्र की मुस्कान में जीवित देखना चाहते हैं. यही उनकी सच्ची श्रद्धांजलि है. क्षेत्रवासियों ने इस पहल की प्रशंसा की है.

homerajasthan

न मंदिर, न मजार… ये हैं दोस्ती के स्मारक! चुरू में सच्ची यारी का अद्भुत रूप

.



Source link

About the Author

-

Leave a comment

XHTML: You can use these html tags: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>