नेपाल ने छोड़ा पानी, बिहार में विकराल बनी नदियां; सीमांचल में बाढ़-कटाव गहराया, सैकड़ों घर बहे
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नेपाल में कोसी बैराज से अचानक पानी छोड़े जाने और कोसी और सीमांचल क्षेत्रों में बाढ़ और कटाव की स्थिति पैदा हो गई है। जिससे गांवों, बस्तियों, कृषि भूमि और सरकारी प्रतिष्ठानों पर बुरा असर पड़ा है। कोसी, परमान, कनकई, बकरा, गंगा और महानंदा का तट कटाव खासकर कोसी के सुपौल, पूर्णिया और सीमांचल के कटिहार के लिए एक बड़ी समस्या बन गया है।
पर्यावरणविदों के मुताबिकों कोसी में बड़े पैमाने पर कटाव, जिसे बिहार का दुख कहा जाता है> सुपौल जिले में सैकड़ों लोगों को विस्थापित कर दिया है। जहां इस साल कोसी के कटाव के कारण 100 से अधिक घर बह गए थे। यह तो बस शुरुआत है, पूरे अगस्त और यहां तक कि मध्य सितंबर तक ये जारी रहेगा। कोसी क्षेत्र में विस्थापित लोगों के पुनर्वास के लिए काम करने वाले कोसी नव निर्माण मंच के संस्थापक महेंद्र यादव ने कहा, सुरक्षा बांध के निर्माण के बाद कटाव की समस्या बढ़ गई है। कोसी के जलस्तर में वृद्धि और गिरावट से पूर्वी और पश्चिमी तटबंधों पर कटाव का खतरा बढ़ गया है, जिससे कई गांव प्रभावित होंगे।
मुंगरार के निवासी श्रीराम प्रसाद ने कहा, डुमरिया और बलवा गांवों में कम से कम 100 घर पूरी तरह से नष्ट हो गए। गुरुवार को हमारी आंखों के सामने महादेव का मंदिर बह गया। उन्होंने आरोप लगाया कि स्थानीय प्रशासन उनकी पीड़ाओं के प्रति उदासीन है। जिसके चलते हम पलायन को मजबूर हैं। ल हालांकि, उपमंडल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) इंद्रवीर कुमार ने कहा कि उन्होंने सर्कल अधिकारी को नुकसान का आकलन करने का निर्देश दिया है और उनकी रिपोर्ट के आधार पर प्रभावित परिवारों को पर्याप्त मुआवजा दिया जाएगा।
वहीं पूर्णिया जिले के बायसी, अमौर और बैसा प्रखंड एक साथ बाढ़ और कटाव का सामना कर रहे हैं. अमौर की नाज़नी बेगम ने कहा, हम सिर्फ कटाव के कगार पर अपने घरों के मूक दर्शक बने हुए हैं। कनकई नदी के कटाव के कारण मैंने 8 बीघे कृषि भूमि खो दी है और अब मैं एक दिहाड़ी मजदूर बनकर रह गई हूं। अपना ही घर तोड़ रहे मोहम्मद दिलशाद ने कहा, मैं जो बचा सकता हूं, बचा रहा हूं क्योंकि कनकई नदी बहुत करीब आ गई है।
अमौर विधायक अख्तरुल ईमान ने आरोप लगाया कि बाढ़ व कटाव प्रभावितों की दुर्दशा के प्रति सरकार व स्थानीय प्रशासन पूरी तरह से उदासीन हो गयी है। इमान ने कहा, यह नीतीश कुमार ही थे जिन्होंने एक बार कहा था कि आपदा प्रभावित लोगों का राज्य के खजाने पर पहला अधिकार है। उन्होंने आरोप लगाया, यहां तक कि सर्कल अधिकारी ने भी लोगों की स्थिति का जायजा लेना उचित नहीं समझा।
पूर्णिया के जिलाधिकारी (डीएम) कुंदन कुमार ने संबंधित अधिकारियों को कटाव प्रभावित गांवों की पहचान करने और उनकी निगरानी करने का निर्देश दिया है। पिछले छह से सात वर्षों के दौरान, गंगा, कोसी, महानंदा, कनकई, परमान, दास और बकरा नदियों के कटाव के कारण कोसी और सीमांचल क्षेत्र की हजारों एकड़ कृषि भूमि, सैकड़ों घर, स्कूल सहित 50 से अधिक सरकारी प्रतिष्ठान पूरी तरह से नष्ट हो गए हैं।
साल 2022 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कटाव प्रभावित जिलों कटिहार और भागलपुर पर जोर दिया था और डब्ल्यूआरडी (जल संसाधन विभाग) के अधिकारियों को कटाव प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने और कटाव को रोकने के लिए एक रोडमैप तैयार करने का निर्देश दिया था।