Published On: Thu, Jun 20th, 2024

नीतीश सरकार नहीं, तो RJD जाएगी सुप्रीम कोर्ट; पटना HC से बिहार आरक्षण कानून रद्द होने पर बोले तेजस्वी


बिहार में आरक्षण की सीमा 50 से 65 फीसदी करने के नीतीश सरकार फैसले को पटना हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। जिसके बाद बिहार की राजनीति गर्मा गई है। अब इस मामले में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि अगर हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट नहीं जाएगी तो आरजेडी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी। उन्होंने कहा कि हम लोगों को पहले से अंदेशा था। क्योंकि भाजपा के लोग आरक्षण के खिलाफ हैं।

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वहीं इस मामले पर राजद के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने मीडिया से बातचीत में कहा  कि कोर्ट का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है और वो और ज्यादा सबूत इकठ्ठा कर सुप्रीम कोर्ट में जाएंगे। उन्होंने दावा किया कि फैसला उनके पक्ष में ही होगा। झा ने कहा कि बिहार में सीएम नीतीश और तेजस्वी यादव के कार्यकाल में जो आरक्षण के दायरें को बढ़ाया गया था, उस पर जो रोक लगी है वो बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। ऐसे फैसले फासले बढ़ाते हैं। 

उन्होंने कहा कि हमें याद है कि तमिलनाडु को बहुत वर्ष संघर्ष करना पड़ा था, हम भी करेंगे। उन्होंने कहा कि पर्दे के पीछे से कौन लोग हैं जो ये काम करवाने को उत्सुक हैं। उन्होंने कहा कि नेता प्रतिपक्ष ने हर सभा में कहा था कि इसको नौवीं अनुसूची में शामिल करिए। लेकिन ना करने के नतीजे में क्या हासिल हुआ। मनोज झा ने कहा कि केंद्र की सरकार में नीतीश जी का अहम योगदान है, ऐसे में आग्रह करेंगे कि वो ऊपरी अदालत में जाएं और अपने बड़ी अबादी के हक को मांगे। ये संघर्ष बड़ा जरुर होगा, लेकिन हम इसके लिए तैयार हैं। 

वहीं नीट पेपर लीक मामले में उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा के द्वारा तेजस्वी यादव को घेरते हुए उनके पीएस प्रीतम यादव को मास्टरमाइंड बताते हुए कमरे को आरक्षित कराने का आरोप लगाए जाने लेकर मनोज झा ने कहा कि नेट की परीक्षा रद्द हुई है, नीट की भी परीक्षा रद्द हो। इस मामले में तेजस्वी यादव का नाम घुसाना उनके अल्पज्ञान को दर्शाता है। बिहार में सरकार नाम की कोई चीज नहीं है। ये लोग सरकार में रहने वाले नहीं है। ये लोग संविधान की शपथ लेते हैं इन्हें शर्म आना चाहिए।

अब आपको बताते हैं बिहार आरक्षण कानून के कैबिनेट से हाईकोर्ट तक के सफर में अब तक क्या-क्या हुआ।

बिहार आरक्षण कानून: कैबिनेट से हाईकोर्ट का सफरनामा

साल 2022

1 जून: सभी दलों ने सर्वसम्मति से जाति सर्वेक्षण पर फैसला लिया

2 जून: बिहार कैबिनेट ने जाति सर्वेक्षण को हरी झंडी दी

साल 2023

7 जनवरी, 2023: जाति सर्वेक्षण का पहला चरण 7-15 जनवरी तक आयोजित हुआ

15 अप्रैल: दूसरा चरण 15 अप्रैल से 15 मई तक होना था

4 मई: उच्च न्यायालय ने जाति आधारित सर्वेक्षण पर रोक लगायी

1 अगस्त: पटना HC ने जाति सर्वेक्षण को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी, सर्वेक्षण फिर से शुरू हुआ

2 अक्टूबर: बिहार सरकार ने जाति सर्वेक्षण के आंकड़े जारी किए

9 नवंबर: बिहार विधानमंडल ने सर्वसम्मति से कोटा 50% से बढ़ाकर 65% करने के लिए विधेयक पारित किया।

22 नवंबर: बिहार सरकार ने राजपत्र में कोटा वृद्धि को अधिसूचित किया 

साल 2024

11 मार्च: पटना हाईकोर्ट ने कोटा वृद्धि को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रखा

20 जून: पटना उच्च न्यायालय ने कोटा वृद्धि को रद्द कर दिया, इसे असंवैधानिक करार दिया

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