Published On: Tue, Jun 25th, 2024

नीट पेपर लीक में गिरफ्तार बिट्टू, कारू और पंकू निकले साइबर अपराधी, चलाते हैं बड़ा फ्रॉड गैंग


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नीट पेपर लीक मामले में झारखंड के देवघर से गिरफ्तार तीन सेटर साइबर अपराधी निकले हैं। चिंटू उर्फ बालदेव कुमार 4 मई की देर रात को पटना के खेमनीचक में हुई छापेमारी के बाद ही देवघर फरार हो गया था। उसे कारू उर्फ राजीव कुमार ने अपनी गाड़ी से लेकर देवघर गया था। इनके साथ वहां पंकू कुमार और बिट्टू उर्फ परमजीत सिंह भी गए थे। छापेमारी के दौरान अन्य के साथ ये सभी भी गिरफ्तार हुए थे। जांच में पता चला कि कारू, पंकू और बिट्टू साइबर अपराधी हैं। ये बड़ा गिरोह चलाते हैं। लोगों से हर तरह से साइबर ठगी करते हैं। ठगी के पैसे से ही कारू ने अमेज गाड़ी खरीदी थी। 

देवघर में एम्स के पास झुन्नू सिंह के जिस फार्म हाउस से इन्हें गिरफ्तार किया गया था, यह इनके छिपने का ठिकाना था। झुन्नु और कारू एक ही गांव नालंदा के एकंगरसराय थाना के कुंडवापर गांव के रहने वाले हैं। इन तीनों का गिरोह बिहार में शेखपुरा जिला के शेखोपुरसराय थाना के मोसीमपुर गांव के रहने वाले कुख्यात साइबर ठग रंजन कुमार के लिए काम करता है। फिलहाल ईओयू की टीम रंजन की तलाश में जुट गई है।

चिंटू के संपर्क में आकर इस बार इन तीनों साइबर अपराधियों ने नीट प्रश्न-पत्र लीक मामले में भी हाथ आजमाया। ये लोग ईओयू के हत्थे चढ़ गए और जांच में साइबर ठगी की पूरी करतूत भी सामने आ गई। इसके मद्देनजर ईओयू ने एक अलग से एफआईआर 22 जून को दर्ज की है। ताकि साइबर ठगी और अवैध सिम देने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सके। नीट पेपर लीक से साथ ही साइबर ठगी से जुड़े मामलों की गहन जांच होगी।

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नीट परीक्षा के एक दिन पहले 4 मई की देर रात पेपर लीक होने और कुछ वाट्सएप ग्रुप पर इसके वितरण की सूचना पुलिस को मिली। पुलिस पटना के रामकृष्ण नगर थाना क्षेत्र के खेमनीचक स्थित लर्न्ड एंड प्ले स्कूल एवं ब्यॉज हॉस्टल में छापेमारी की और 13 लोगों की गिरफ्तारी की गई। पटना के शास्त्री नगर थाने में एफआईआर दर्ज की गई।

फर्जी तरीके से सिम और मोबाइल लिया था

शुरुआती जांच में यह बात सामने आई है कि इन साइबर ठगों ने फर्जी दस्तावेज की मदद से सिम कार्ड और मोबाइल फोन नवादा के अलावा देवघर समेत कुछ झारखंड के अन्य शहरों से लिए थे। नवादा में जिन डीलरों के यहां से इन्होंने फर्जी दस्तावेज पर सिम लेकर इसे एक्टिवेट कराया था, उन सभी के बारे में विस्तृत जानकारी जुटाई जा रही है। इसके बाद इनके खिलाफ व्यापक स्तर पर कार्रवाई की जाएगी। चूंकि दूर संचार मंत्रालय के नियमानुसार, बिना सही पहचान के कोई सिम सक्रिय नहीं करना है। फिर भी इन्हें गलत नाम-पता और दस्तावेज पर सिम सक्रिय करके कैसे मिल गए। फर्जी दस्तावेज पर मोबाइल बेचने वालों पर भी सख्त कार्रवाई की जाएगी।

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