Published On: Tue, Jun 11th, 2024

नीट के ग्रेस मार्क्स से गर्क हुआ टॉप कॉलेज में पढ़ने का सपना; नंबर अच्छे लेकिन रैंक खराब, बवाल मचा है


देश भर के सरकारी और प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों से एमबीबीएस, बीडीएस जैसे कोर्स करके डॉक्टर बनने के लिए आयोजित नीट (नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट) परीक्षा के नतीजों पर बवाल मचा हुआ है। 23 लाख से ज्यादा बच्चों ने परीक्षा दी और उनमें 13 लाख से ऊपर पास घोषित हुए हैं। मेडिकल कॉलेज में दाखिला रैंक के आधार पर मिलता है। उसका हाल ये है कि 720 नंबर की परीक्षा में 700 नंबर लाकर भी परीक्षार्थी को टॉप कॉलेज नसीब नहीं हो रहा है क्योंकि उसकी रैंकिंग 2321 है। परीक्षार्थी आरोप लगा रहे हैं कि नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (नीट) ने ग्रेस मार्क्स देकर टॉप में भीड़ बढ़ा दी है जिससे योग्य कैंडिडेट टॉप कॉलेज में दाखिले के लिए परेशान हैं।

पटना के शुभम कुमार को 720 में 700 नंबर आए और वो खुश हो रहे थे कि अब तो टॉप मेडिकल कॉलेज में दाखिला पक्का है। लेकिन शुभम की खुशी टिकी नहीं जब उन्हें पता चला कि इतने के बाद भी उनकी रैंक 2321 है। शुभम कहते हैं- “ये मेरा तीसरा प्रयास था। मुझे और मेरी टीचर को भरोसा था कि मेरी रैंक 500 के आसपास होगी। लेकिन ग्रेस मार्क्स (रियायती अंक) की व्यवस्था से बहुत सारे कैंडिडेट मेरे ऊपर चले गए।”

अरुंधति को 683 नंबर मिले हैं लेकिन उनकी चिंता है कि दोबारा परीक्षा की मांग से उन कैंडिडेट को ज्यादा नुकसान होगा जो काफी मेहनत से अच्छे नंबर से सफल हो पाए हैं। वो कहती हैं- “पेपर लीक कोई नहीं बात नहीं है। हर परीक्षा में ऐसा हो रहा है। समस्या हुई है ग्रेस मार्क्स की वजह से जिस कारण बड़ी संख्या में लोग टॉप पर जमा हो गए हैं और दूसरों की रैंकिंग बिगाड़ रहे हैं। मुझे भी 3000 से 3500 के बीच रैंक की उम्मीद थी लेकिन 7400 को पार कर गया है।”

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672 नंबर के साथ अंजलि शर्मा को सातवें आसमान पर होना चाहिए था लेकिन 12830 रैंक पर पहुंचकर वो भी दुखी हैं। वो कहती हैं- “मुझे जिस लायक थी, मुझे वो मिला है। दिक्कत इस बात से है कि कैसे बहुत सारे कैंडिडेट ने सारा समीकरण बदल दिया है। पेपर लीक का मुझे नहीं पता लेकिन ग्रेस मार्क्स का फायदा भले कुछ लोगों को मिला हो लेकिन इसका असर बहुत लोगों पर पड़ा है। ये नहीं होना चाहिए था।”

पटना में एक मेडिकल कोचिंग संस्थान चलाने वाले विपिन कुमार एनटीए के तौर-तरीकों पर सवाल उठा रहे हैं। वो कहते हैं कि 31 मार्च को फॉर्म भरने की तारीख खत्म होने के बाद एनटीए ने 9 और 10 अप्रैल को दो दिन के लिए फॉर्म भरने का मौका दे दिया। समय से 10 दिन पहले 4 जून को रिजल्ट जारी कर दिया। 1563 बच्चों को मनमाने तरीके से ग्रेस मार्क्स दे दिया। इसमें गड़बड़ लगती है।

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विपिन कहते हैं- “एक ही सेंटर पर एक सीरीज के 8 बच्चों को 715-720 नंबर मिले हैं। नतीजा ये हुआ है कि वाजिब बच्चे 650 से ऊपर नंबर लाकर भी सरकारी मेडिकल कॉलेज में दाखिले के लिए पक्का नहीं हैं। ग्रेस मार्क्स ने सैकड़ों बच्चों को उनके ऊपर थोप दिया है।” वो आगे जोड़ते हैं- “आम तौर पर 22000 रैंक तक के बच्चों को सरकारी मेडिकल कॉलेज मिल जाता है। नामी कॉलेजों के लिए और कड़ा मुकाबला है। एनटीए को ये जवाब देना चाहिए कि उसने किसके लिए और क्यों 9 और 10 अप्रैल को फॉर्म भरवाए और कैसे वह यह तय कर सकती है कि 1563 बच्चे ग्रेस मार्क्स के हकदार हैं।”

संघ से संबंद्ध छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के राष्ट्रीय महासचिव याज्ञवल्क्य शुक्ल ने नीट परीक्षा में कथित पेपर लीक और गड़बड़ी की सीबीआई जांच की मांग की है। शुक्ल कहते हैं- “कुछ चीजें हैं जिससे शंका पैदा हो रही है। पहले तो 67 बच्चों को 100 परसेंट नंबर आता है। दूसरा ग्रेस मार्क्स है जो 2018 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आधार पर दिया गया है जिससे लगभग 8000 बच्चों को फायदा हुआ हो सकता है। ये गड़बड़ी को छुपाने का एक तरीका हो सकता है।” शुक्ल समय से पहले 4 जून को रिजल्ट निकालने में भी साजिश देख रहे हैं क्योंकि उस दिन लोकसभा चुनाव के नतीजे आ रहे थे और राजनीतिक नेतृत्व चुनाव परिणाम में उलझा था। 

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बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध ईकाई (ईओयू) ने 5 मई को संपन्न नीट परीक्षा के पेपर लीक की जांच में 13 लोगों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार लोगों में शामिल एक लड़के ने जांच में बताया है कि उसे परीक्षा से एक दिन पहले पेपर मिल गया था जो परीक्षा में आए पेपर से मिल गया। ईओयू के एडीजी नैयर हसनैन खान ने कहा कि विभाग ने एनटीए को पेपर मिलाने के लिए दो बार लिखा है लेकिन वहां से कोई जवाब नहीं दे रहा है। हसनैन ने कहा कि नीट पेपर लीक में गिरफ्तार लोगों में एक आदमी वो भी है जिसे पहले भी शिक्षक भर्ती में गड़बड़ी के केस में गिरफ्तार किया गया था। वो जमानत पर छूटकर इस काम में लग गया। 

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