नालंदा की गोल्डी ने तीन दिन में तीन पदक जीता: थाईलैंड में विश्व पारा ओलंपिक यूथ गेम्स में दिखाया हुनर, 8वीं कक्षा में गोल्ड भी जीता था – Nalanda News

गोल्डी कुमारी ने थाईलैंड में रचा इतिहास
नालंदा की बेटी गोल्डी कुमारी ने थाईलैंड में चल रहे विश्व पारा ओलंपिक यूथ गेम्स में शानदार प्रदर्शन करते हुए लगातार तीन दिनों तक पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया है। तीसरे दिन डिस्कस थ्रो में कांस्य पदक जीता।
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गोल्डी ने 11.57 मीटर डिस्कस फेंककर तीसरा स्थान प्राप्त किया है। पहला स्थान मेजबान देश थाईलैंड के खिलाड़ी ने और दूसरा स्थान केन्या के खिलाड़ी ने हासिल किया।

तीन दिन में तीन पदक जीतकर किया देश को गौरवान्वित।
एक निजी वार्षिक खेलकूद प्रतियोगिता से शुरू हुआ सफर
गोल्डी कुमारी की खेल की कहानी एक निजी वार्षिक खेलकूद प्रतियोगिता में कक्षा 8वीं की छात्रा के रूप में शुरू होती है। उसने बाएं हाथ की दिव्यांगता के बावजूद शॉटपुट में एक सामान्य एथलीट को हराकर पहला स्वर्ण पदक जीता था। इसके बाद से गोल्डी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
कुंदन कुमार पांडे ने गोल्डी कुमारी के जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। कुंदन पांडे ने गोल्डी की प्रतिभा को पहचाना और उन्हें प्रशिक्षित किया। आज गोल्डी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन कर रही है।
दिव्यांग लोग भी सामान्य लोगों की तरह सफल हो सकते
गोल्डी कुमारी की सफलता हमें यह सिखाती है कि अगर हम दृढ़ निश्चय और मेहनत के साथ काम करें तो कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। दिव्यांगता एक बाधा नहीं बल्कि एक चुनौती है और अगर हम इस चुनौती को स्वीकार करें तो हम सफलता के नए आयाम छू सकते हैं।
गोल्डी की सफलता से समाज में एक सकारात्मक संदेश गया है। यह संदेश है कि दिव्यांगता कोई अभिशाप नहीं है। दिव्यांग लोग भी सामान्य लोगों की तरह सफल हो सकते हैं।