नहीं है CCTV, अब गवाहों पर नजर; DUSU कार्यालय में तोड़फोड़ की कैसे होगी जांच
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दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ के दफ्तर में हुई तोड़फोड़ की सच्चाई का पता लगाने के लिए DU प्रबंधन ने कमेटी बना दी है। लेकिन इस छात्रसंघ कार्यालय में कुछ दिनों पहले हुई इस तोड़फोड़ की जांच कर पाना इस कमेटी के लिए इतना आसान भी नहीं है। दरअसल छात्रसंघ के जिस कार्यालय में तोड़फोड़ हुई है उस परिसर में CCTV नहीं है जाहिर है इस जांच में बिना सीसीटीवी के सच्चाई का पता लगाना एक बड़ी चुनौती होगी।
सोमवार को जो कमेटी दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन ने बनाई है उसकी अध्यक्ष रजनी अब्बी (DU Proctor) ने कहा कि ऐसी स्थिति में गवाहों के बयान, सुरक्षा गार्डों की बात और अन्य ठोस सबूतों के जरिए पता लगाना पड़ेगा कि आखिर वहां हुआ था। न्यूज एजेंसी से बातचीत के दौरान जब उनसे सीसीटीवी के बारे में पूछा गया तब उन्होंने बताया कि वहां अभी कोई कैमरा नहीं लगा है। उन्होंने कहा, ‘हम अपनी रिपोर्ट में वहां कैमरा लगाने की जरुरतों की सिफारिश करेंगे।’ बता दें कि Delhi University Students’ Union के दफ्तर में 13-14 जुलाई की रात तोड़फोड़ की गई थी।
तोड़फोड़ और बवाल की जांच के लिए बनाई गई कमेटी में प्रोफेसर रजनी अबी के अलावा इसके सदस्यों में प्रोफेसर रंजन कुमार त्रिपाठी (Dean of Students’ Welfare), प्रोफेसर सुरेंद्र कुमार (Staff Advisor of DUSU)और प्रोफेसर गीता सहारे (Joint Proctor) शामिल हैं।
RSS से जुड़ी Akhil Bharatiya Vidyarthi Parishad (ABVP)ने आरोप लगाया है कि DUSU के उपाध्यक्ष अभि दाहिया और NSUI के कुछ अन्य सदस्यों ने छात्रसंघ के नॉर्थ कैंपस स्थित कार्यालय में तोड़फोड़ की है। प्रोफेसर रजनी अबी ने विस्तार से घटना की जानकारी देते हुए कहा कि शनिवार की सुबह करीब 3:45 पर सुरक्षा गार्डों ने डुसू कार्यालय में तोड़फोड़ की घटना से अवगत कराया।
प्रोफेसर ने कहा कि इस घटना को लेकर FIR दर्ज की जा चुकी है। पुलिस और फॉरेंसिक विभाग की टीम ने घटनास्थल से सबूत जुटाए हैं। शुरुआत में यह सामने आया है कि डुसू अध्यक्ष के कार्यालय में तोड़फोड़ हुई है। अपनी जांच के दौरान अबी ने पाया है कि DUSU अधयक्ष के कार्यालय का दरवाजा टूटा हुआ था और संयुक्त सचिव के दफ्तर में शीशा फूटा हुआ था।
कमेटी की अध्यक्ष ने कहा, ‘हमारी जांच इस बात पर फोकस होगी कि कैसे और घटना क्यों हुई। सीसीटीवी फुटेज के बिना हमें अब घटनास्थल की जांच और सुरक्षा गार्डों के बयान पर भरोसा करना होगा। वहां कोई प्रत्यक्षदर्शी मौजूद नहीं था।’ यह कमेटी 5 दिन में अपनी फाइनल रिपोर्ट विश्वविद्यालय प्रशासन को दे देगी।