Published On: Thu, Aug 15th, 2024

नहीं तो सड़ जाएगी पार्टी; AAP में बदलाव पर क्या बोले मनीष सिसोदिया


दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया जेल से निकलने के बाद दोबारा पार्टी में जान फूंकने में जुटे हुए हैं। कथित शराब घोटाले में लगे आरोपों की वजह से 17 महीने जेल में रहकर आए सिसोदिया ने इस बात पर खुशी जाहिर की कि बड़े नेताओं की कैद के बाद भी उनकी पार्टी और सरकार एकजुट रही। ‘आप’ के दूसरे सबसे बड़े नेता ने पार्टी में लगातार बदलाव की भी पैरवी की है। उन्होंने कहा कि ठहराव से तो यह सड़ जाएगी।

इंडिया टुडे को दिए इंटरव्यू में सिसोदिया से पूछा गया कि क्या वह मानते हैं कि आम आदमी पार्टी में किसी तरह के बदलाव की आवश्यकता है? इस पर पूर्व डिप्टी सीएम ने कहा, ‘बदलाव की तो हमेशा जरूरत रहती है। अंदर से झांकते रहिए, चेंज करते रहिए। जब भी पार्टी में ठहराव आएगा तो सड़ जाएगी। चाहे वह लीडरशिप में हो या काम करने के तरीके में। जैसा कि मैंने कहा हम लोकसभा चुनाव हारे, तीन चुनाव हारे और विधानसभा के तीन चुनाव जीते। यह अपने आप में प्रयोग है जिसे देखकर हमें कुछ समझना चाहिए और कुछ सीखना चाहिए।’

सिसोदिया ने अपनी भूमिका को लेकर कहा कि वह पार्टी या सरकार में मिलने वाले किसी भी काम को करने के लिए तैयार हैं। जब उनसे पूछा गया कि क्या वह दोबारा डिप्टी सीएम का पद संभालने जा रहे हैं तो सिसोदिया ने कहा कि इसकी उन्हें जल्दबाजी नहीं है। जल्द ही सीएम अरविंद केजरीवाल जेल से बाहर आएंगे और फिर पार्टी के साथ मिलकर जो तय करेंगे वह मंजूर होगा। सिसोदिया ने कहा कि वह फिलहाल पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं से मुलाकातों में व्यस्त हैं।

क्या कांग्रेस और आम आदमी पार्टी को विधानसभा चुनाव भी मिलकर लड़ना चाहिए, इसके जवाब में सिसोदिया ने कहा कि साथ लड़ना चाहिए या नहीं यह जब चुनाव के टेबल पर बैठें तब बात करनी चाहिए। जब उनसे पूछा गया कि वह इसे खारिज नहीं कर रहे हैं तो सिसोदिया ने कहा, ‘मैं किसी चीज को रूल आउट नहीं कर रहा हूं।’ इससे पहले आम आदमी पार्टी और कांग्रेस की ओर से यह कहा जा चुका है कि गठबंधन लोकसभा चुनाव के लिए था और अब दोनों दल विधानसभा चुनाव में अलग-अलग लड़ेंगे। आप नेता ने कहा कि आज यदि सारा विपक्ष एक साथ खड़ा हो जाए केजरीवाल जी भी 24 घंटे में बाहर आ जाएंगे। सभी नेताओं को तंग करना बंद कर देंगे। सबको एकजुट होकर पहले सोचना होगा कि तानाशाही से कैसे लड़ें।

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