Published On: Sat, Nov 9th, 2024

धौलपुर के प्रशांत शर्मा ने किया शोध, सिंगल-यूज प्लास्टिक से बढ़ सकता है एंटीबायोटिक प्रतिरोध


धौलपुर जिले के राजाखेड़ा क्षेत्र के निवासी प्रशांत शर्मा ने नैनो विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान, मोहाली में किए गए अपने नए अध्ययन से एक महत्वपूर्ण वैश्विक स्वास्थ्य समस्या की ओर ध्यान आकर्षित किया है. उनके नेतृत्व में हुए इस अध्ययन में यह संभावना जताई गई है कि सिंगल-यूज प्लास्टिक बोतलों से उत्पन्न नैनोप्लास्टिक्स बैक्टीरिया में एंटीबायोटिक प्रतिरोध के फैलाव में सहायक हो सकते हैं. इस शोध को हाल ही में प्रतिष्ठित “नैनोस्केल जर्नल” में प्रकाशित किया गया है.

प्रशांत शर्मा ने अपने सुपरवाइजर डॉ. मनीष सिंह के निर्देशन में इस अध्ययन को अंजाम दिया. उनके पिता शिव शंकर शर्मा एक किसान हैं, और प्रशांत ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा राजाखेड़ा में पूरी की. प्रारंभ से ही विज्ञान के प्रति गहरी रुचि रखने वाले प्रशांत ने नैनो टेक्नोलॉजी में विशेषज्ञता हासिल की और आज उनके शोध ने एक गंभीर वैश्विक स्वास्थ्य समस्या की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित किया है.

इस अध्ययन में पाया गया कि पॉलीएथिलीन टेरेफ्थेलेट (PET) बोतलों से निकलने वाले नैनोप्लास्टिक्स बैक्टीरिया को एंटीबायोटिक प्रतिरोधी जीनों का आदान-प्रदान करने में मदद कर सकते हैं. यह प्रक्रिया दो मुख्य माध्यमों, ट्रांसफॉर्मेशन और आउटर मेंब्रेन वेसिकल्स के जरिए होती है.

शोध के निष्कर्ष बताते हैं कि नैनोप्लास्टिक्स बैक्टीरिया में एंटीबायोटिक प्रतिरोध के फैलाव को तेज कर सकते हैं, जो पहले से ही एक गंभीर वैश्विक स्वास्थ्य चिंता है. प्लास्टिक प्रदूषण न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है, बल्कि एंटीबायोटिक प्रतिरोधी बैक्टीरिया के प्रसार में भी योगदान दे रहा है.

प्रशांत शर्मा और डॉ. मनीष सिंह का यह शोध इस बात की ओर इशारा करता है कि सिंगल-यूज प्लास्टिक के उपयोग को कम करना बेहद जरूरी है. इसके साथ ही, प्लास्टिक प्रदूषण से होने वाले संभावित स्वास्थ्य और पर्यावरणीय खतरों के प्रति जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया गया है.

.



Source link

About the Author

-

Leave a comment

XHTML: You can use these html tags: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>