धड़ाधर गिर रहे पुल फिर भी लापरवाही, हादसे का इंतजार? गाड़ी गुजरने से डोलता है पूर्णिया का 1 ब्रिज
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बिहार में एक के बाद एक पुल ध्वस्त हो रहे हैं। इसे लेकर जमकर राजनीति भी रही है। घटनाओं के जिम्मेदार 11 इंजीनियर को सरकार ने सस्पेंड कर दिया है। इस बीच पूर्णिया का एक पुल अधिकारियों की लापरवाही के लिए चर्चा में है। लगता है कि किसी बड़े हादसे का इंतजार किया जा रहा है। जिले के बनभाग चुनापुर पंचायत अंतर्गत पूर्णिया-सहरसा एनएच 107 स्थित बनभाग कारी कोसी नदी पर 60 वर्ष पूर्व बने पुल की स्थिति अति जर्जर है। 1965 के दशक में बने उक्त पुल पर बड़े-बड़े गड्ढे हो गए हैं। विभाग द्वार गड्ढे भरा गया था परन्तु कुछ ही दिनों में फिर से गड्ढा बन गया। इन गड्ढों से जब कोई भारी वाहन गुजरात है तो पुल हिलने लगता है। लेकिन प्रशासन की ओर से न इस पुल को ठीक किया जा रहा है और ना ही इस पर परिचालन को रोका जा रहा है। इसका निर्माण 1965 के दशक में कराया गया था।
पुल की रेलिंग में भी दरारें हो गई है। इस जर्जर हालत के बावजूद इस होकर वाहनों का परिचालन जारी है। इससे किसी बड़ी दुर्घटना होने से इनकार नहीं किया जा सकता है। यह पुल अगर ध्वस्त हो जाता है तो जिला मुख्यालय से केनगर, बनमनखी, धमदाहा, भवानीपुर, रूपौली प्रखंड से सीधा सम्पर्क टूट जाएगा। साथ ही मधेपुरा एवं सहरसा जाने में भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा।
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बनभाग चुनापुर पंचायत के पूर्व सरपंच बनभाग पश्चिम टोला निवासी 80 वर्षीय वयोवृद्ध समाज सेवी अब्दुल समद ने बताया कि वर्ष 1965 में बनभाग पुल का निर्माण भारत सरकार के द्वारा कराया गया था। इस पुल के निर्माण से पूर्व यहां अंग्रेजी शासन काल में बनैली स्टेट चम्पानगर के राजा बहादुर कृत्यानंद सिंह के द्वारा बना लोहे का पुल था। 1962 में इण्डो-चीन युद्ध के बाद चुनापुर में सैन्य हवाई अड्डे का निर्माण किया जा रहा था। इसी दौरान बनभाग में चौड़े एवं मजबूत पुल निर्माण की आवश्यकता महसूस हुई। इसके बाद केन्द्र सरकार द्वारा इस पुल का निर्माण कराया गया था। इस जर्जर पुल को बने 60 वर्ष हो गए है बावजूद भी इस पर वाहनों का परिचालन हो रहा है।
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दो साल से बना रहा नया पुल
इस पुल के जर्जर हो जाने के बाद सरकार द्वारा नये पुल का निर्माण कराया जा रहा है। दो वर्षों से नए पुल का निर्माण कार्य चल रहा है जिसका कार्य प्रगति पर है। पुल निर्माण का कार्य की गति काफी धीमी है। इस बीच विकल्प नहीं होने से आवागमन के लिए पुराने पुल का उपयोग किया जा रहा है। स्थानीय लोगों ने जिला प्रशासन से जल्द पुल निमार्ण कराने की मांग की है। इसी तरह कप्तान पुल भी आजादी के पहले का था।
बिहार में बीते 17 दिनों में अबतक 12 पुल तबाह हो चुके हैं। कहीं पुल पूरी तरह से ध्वस्त हो गए तो कहीं धंस गए। इन घटनाओं की वजह से बड़ी आबादी को आवागमन में कठिनाई हो रही है। मानसून की बारिश के बाद सबसे पहले अररिया में 18 जून को एक पुल ध्वस्त हो गया। उसके बाद मोतिहारी, मधुबनी, सीवान, छपरा, किशनगंज आदि जिलों में पुलों के टूटने की झड़ी लग गई। पुल टूटने को लेकर राजनीति भी जमकर हो रही है। एनडीए और महागठबंधन दोनों एक दूसरे पर इसका ठीकरा फोड़ रहे हैं।