Published On: Thu, Nov 21st, 2024

देश की सीमाओं पर तैनात होंगे रोबोटिक डॉग: पहाड़ से लेकर पानी तक में काम करेंगे; 10 किमी दूर से ऑपरेट किए जा सकते हैं – Jaisalmer News


जैसलमेर के पोकरण स्थित फील्ड फायरिंग रेंज में सेना ने रोबोटिक डॉग के साथ अभ्यास किया।

देश की सीमाओं पर जवानों के साथ अब रोबोटिक मल्टी-यूटिलिटी लेग्ड इक्विपमेंट (MULE) यानी रोबोटिक डॉग भी तैनात होंगे।

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ये रोबोटिक डॉग किसी भी ऊंचे पहाड़ से लेकर पानी की गहराई तक जाकर काम करने में सक्षम हैं। इन्हें 10 किमी दूर बैठकर भी ऑपरेट किया जा सकता है।

एक घंटे चार्ज करने के बाद ये लगातार 10 घंटे तक काम कर सकते हैं। जैसलमेर के पोकरण फायरिंग रेंज में रोबोटिक डॉग ने भारतीय सेना की बैटल एक्स डिवीजन के साथ 14 से 21 नवंबर तक अभ्यास किया है।

इस रोबोटिक डॉग की डिजाइन ऐसी है कि ये रेगिस्तान, बर्फ, ऊबड़-खाबड़ जमीन, पहाड़ी इलाकों में भी आसानी से काम करेगा।

इस रोबोटिक डॉग की डिजाइन ऐसी है कि ये रेगिस्तान, बर्फ, ऊबड़-खाबड़ जमीन, पहाड़ी इलाकों में भी आसानी से काम करेगा।

रोबोटिक डॉग कैसे काम करता है, इससे सेना को क्या-क्या फायदे, पढ़िए रिपोर्ट… सेना ने इस डॉग के साथ दुश्मन को खोजने और उसे खत्म करने का अभ्यास किया है।

इसके अलावा ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सहायता और परिवहन में सुधार के लिए लॉजिस्टिक्स ड्रोन का परीक्षण किया जा रहा है। हाल ही में भारतीय सेना ने बॉर्डर से लगे इलाकों में (विशेषकर ऊंचाई वाले क्षेत्रों में) उपयोग के लिए 100 रोबोटिक डॉग को शामिल किया है।

जैसलमेर के पोकरण फायरिंग रेंज में सेना ने रोबोटिक डॉग्स के साथ दुश्मन को खोजने और उसे खत्म करने के अभ्यास को पूरा किया।

जैसलमेर के पोकरण फायरिंग रेंज में सेना ने रोबोटिक डॉग्स के साथ दुश्मन को खोजने और उसे खत्म करने के अभ्यास को पूरा किया।

थर्मल कैमरों और रडार से लैस रोबोटिक डॉग्स थर्मल कैमरों और रडार से लैस हैं। इसकी सबसे बड़ी खासियत इसकी डिजाइन है। यह बर्फ, रेगिस्तान, ऊबड़-खाबड़ जमीन, ऊंची सीढ़ियों यहां तक कि पहाड़ी इलाकों में हर बाधा को पार करने में सक्षम बनाता है। रोबोटिक डॉग जवानों को किसी भी नुकसान से बचाते हुए दुश्मन के ठिकानों पर गोलीबारी करने में भी सक्षम है।

म्यूल डॉग 1 मीटर से 10 किमी की रेंज तक ऑपरेट किया जा सकता है। वाई-फाई या लॉन्ग टर्म इवोल्यूशन यानी एलटीई पर भी इस्तेमाल किया जा सकता है। छोटी दूरी के लिए, वाई-फाई का उपयोग किया जा सकता है, जबकि 4जी/एलटीई का उपयोग 10 किमी तक की दूरी के लिए किया जा सकता है। इसमें कैमरा लगा होता है जो 360 डिग्री तक घूम सकेगा।

रोबोटिक डॉग्स सेंसर्स के माध्यम से काम करते हैं। इनमें एक रिमोट कंट्रोल यूनिट होती है, जिससे इनको मॉनिटर किया जाता है। ये रोबोटिक डॉग्स जरूरी सामान की सेना तक आपूर्ति करेंगे। इन रोबोटिक डॉग्स में हाई रिजॉल्यूशन वाले कैमरे और सेंसर लगे होते हैं, जो छुपे हुए दुश्मन को भी खोज निकालेंगे। रियल टाइम डाटा देंगे। इनके जरिए सेना दुश्मन की हरकतों पर नजर रखेगी।

चीन ने पहले ही अपने सैन्य अभियानों में रोबोट डॉग्स को शामिल कर लिया है।

भारतीय सेना की बैटल एक्स डिवीजन ने पोकरण की फील्ड फायरिंग रेंज के रेगिस्तान में अभ्यास किया।

भारतीय सेना की बैटल एक्स डिवीजन ने पोकरण की फील्ड फायरिंग रेंज के रेगिस्तान में अभ्यास किया।

सैन्य सूत्रों के अनुसार, सेना का अभ्यास गुरुवार को समाप्त हुआ। भारतीय सेना की बैटल एक्स डिवीजन की एक इकाई के 50 से भी ज्यादा सैनिकों ने इसमें हिस्सा लिया। यह अभ्यास 7 दिन तक किया गया। इसमें करीब 10 रोबोटिक डॉग्स को शामिल किया गया था। इस दौरान रोबोटिक डॉग ने दुश्मन को खोजने, हथियार ले जाने, कैमरे से दुश्मन का ठिकाना बताने सहित विषम परिस्थितियों में सैनिकों की मदद करने का ट्रायल दिया।

इस अभ्यास के दौरान हाई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया।

इस अभ्यास के दौरान हाई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया।

अभ्यास के दौरान ड्रोन से निगरानी की गई।

अभ्यास के दौरान ड्रोन से निगरानी की गई।

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