दुधारू पशुओं का इन देसी तरीकों से रखें ख्याल, स्वस्थ रहने के साथ दूध उत्पादन में भी होगी बढ़ोतरी

Last Updated:
Animal Husbandry Tips: किसानों के लिए पशुपालन कमाई का बेहतर जरिया है. किसान दुग्ध उत्पादन कर कमाई करते हैं. इसके लिए जरूरी है कि पशुओं का नियमित देखभल करें. कुछ देसी उपाय से किसान पशुओं को स्वस्थ रख सकते हैं. प…और पढ़ें

बीमारियों से बचाव के ये देशी तरीके अपनाए
हाइलाइट्स
- पशुओं के आहार में सौंठ, अजवाइन, मेथी शामिल करें.
- नीम, तुलसी, अदरक से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएं.
- गोमूत्र और हल्दी से बैक्टीरियल इन्फेक्शन से बचाव करें.
जयपुर. राजस्थान में अधिकांश किसान खेती के साथ-साथ पशुपालन का काम भी करते हैं. बहुत से किसान तो खेती के ज्यादा कमाई पशुपालन करके करते हैं. अधिकांश किसान रोजाना की कमाई के लिए गाय, भैंस और बकरी का पालन कर दुग्ध उत्पादन के लिए करते हैं. दुग्ध उत्पादन पशुओं की सेहत पर निर्भर करता है. पशु यदि स्वस्थ होंगे और उनका खानपान अच्छा होगा, तभी वे अधिक दूध दे पाएंगे. ऐसे में पशुओं से भरपूर दूध प्राप्त करने के लिए उन्हें सही और पौष्टिक आहार देना आवश्यक है. पशु चिकित्सक रामनिवास चौधरी ने बताया कि संतुलित पशु आहार खिलाने से पशुओं की दूध देने की अवधि बढ़ती है, बीमारिया कम होती हैं और उनका जीवनकाल भी लंबा होता है.
पशु चिकित्सक रामनिवास चौधरी ने बताया कि खनिज लवणों की कमी के कारण मादा पशुओं में बच्चे को जन्म देते समय समस्या होती है. पशुपालन से अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए गाय में 12 से 13 महीने और भैंस में 14 से 15 महीने के अंतराल पर प्रजनन आवश्यक है. अच्छे पशु आहार में सौंठ, अजवाइन, मेथी और शतावरी जैसी जड़ी-बूटियों का उपयोग किया जाता है. प्रजनन के समय इनका सेवन करने से पशुओं का पाचन तंत्र स्वस्थ रहता है.
ये भी पढ़ें: कौन है हृदया पुरोहित? महज 5 साल की उम्र में हो गई वायरल, देखें Video
बीमारियों से बचाव के देसी तरीके अपनाएं
पशु चिकित्सक रामनिवास चौधरी ने बताया कि पशुओं को बीमारियों से बचाने के लिए देसी तरीके कारगर और सस्ते होते हैं. उन्होंने बताया कि नीम, तुलसी, अदरक और लहसुन जैसी जड़ी-बूटियों का उपयोग करने से पशुओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. नीम की पत्तियों को चारे में मिलाकर देने से त्वचा संबंधी रोगों से बचाव होता है. इसके अलावा पशुशाला की नियमित सफाई और कीटाणुरहित करने से संक्रमण का खतरा कम होता है. गोबर व मूत्र को तुरंत हटाकर राख या चूने का छिड़काव करना चाहिए.
पुशओं को चारे के साथ दें खनिज मिश्रण
वहीं, हरी घास, चारा और दाने के साथ नमक व खनिज मिश्रण देना चाहिए. गुड़ व अजवाइन मिलाकर पशुओं का पाचन तंत्र मजबूत बनाया जा सकता है. गोमूत्र और हल्दी का मिश्रण बनाकर पिलाने से बैक्टीरियल इन्फेक्शन से बचाव होता है. इन देसी विधियों को अपनाकर पशुपालक बिना अधिक खर्च के अपने पशुओं को स्वस्थ रख सकते हैं. ये तरीके प्राकृतिक, सुरक्षित और टिकाऊ हैं.