दुकानदार ने झोले के बदले वसूले 6 रुपए, छपी थी ऐसी बात, पढ़ते ही कंज्यूमर कोर्ट ने ठोंक दिया 61,000 का जुर्माना

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जयपुर के कंज्यूमर कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए जूता निर्माता कंपनी बाटा पर 61 हजार का जुर्माना लगाया है. एक शख्स ने अपने बिल में कैरी बैग के छह रुपए जोड़े जाने के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई थी.

जूता निर्माता कंपनी बाटा पर 61 हजार का जुर्माना लगाया गया है
जयपुर के जिला उपभोक्ता आयोग (तृतीय) ने एक ऐतिहासिक फैसले में मशहूर जूता निर्माता कंपनी बाटा इंडिया लिमिटेड को अनुचित व्यापार प्रथा और सेवा में कमी का दोषी ठहराया है. कंपनी पर ₹61,000 का भारी-भरकम हर्जाना लगाया गया है और यह मामला केवल ₹6 के एक कैरी बैग से शुरू हुआ. इस फैसले ने न केवल बाटा को झटका दिया है बल्कि उपभोक्ता अधिकारों और कॉरपोरेट जवाबदेही पर भी एक बड़ा सवाल खड़ा किया है.
मामला जयपुर के एक ग्राहक, रमेश चंद शर्मा, से जुड़ा है, जिन्होंने बाटा के एक स्टोर से जूते खरीदे थे. खरीदारी के बाद उन्हें जूतों को ले जाने के लिए एक कैरी बैग दिया गया, जिसके लिए उनसे ₹6 की अतिरिक्त राशि वसूली गई. इस बैग पर बाटा का लोगो और प्रचार सामग्री छपी हुई थी, जिसका मतलब है कि यह बैग कंपनी के लिए मुफ्त विज्ञापन का काम कर रहा था. रमेश ने इस पर आपत्ति जताई और तर्क दिया कि जब बैग पर कंपनी का प्रचार है तो इसके लिए ग्राहक से पैसे वसूलना अनुचित है. उनकी शिकायत थी कि यह न केवल अनैतिक है बल्कि उपभोक्ता अधिकारों का उल्लंघन भी है. लेकिन स्टोर ने इस बात को इग्नोर कर दिया और इसका खमियाजा अब उसे भुगतना पड़ रहा है.
पहुंच गए कंज्यूमर कोर्ट
रमेश ने इस मुद्दे को जिला उपभोक्ता आयोग (तृतीय), जयपुर में उठाया. उनकी याचिका में कहा गया कि बाटा ने जानबूझकर अनुचित व्यापार प्रथा अपनाई और सेवा में कमी दिखाई. उपभोक्ता आयोग ने मामले की सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों के तर्क सुने. बाटा की ओर से दलील दी गई कि कैरी बैग की कीमत मामूली थी और यह उनकी नीति का हिस्सा है. हालांकि, कोर्ट ने इस तर्क को खारिज कर दिया. आयोग ने माना कि जब बैग पर कंपनी का प्रचार छपा है तो यह ग्राहक के लिए मुफ्त विज्ञापन का काम करता है और इसके लिए शुल्क वसूलना अनुचित व्यापार प्रथा के तहत आता है.
सुनाया ऐसा फैसला
जज अनिल शर्मा की अध्यक्षता वाली पीठ ने अपने फैसले में कहा, “कंपनियां अपने ब्रांड के प्रचार के लिए ग्राहकों का उपयोग नहीं कर सकतीं और न ही उनसे इसके लिए शुल्क वसूल सकती है. यह उपभोक्ता अधिकारों का स्पष्ट उल्लंघन है.” कोर्ट ने बाटा को ₹61,000 का हर्जाना देने का आदेश दिया, जिसमें ₹50,000 मानसिक कष्ट और मुकदमे की लागत के लिए और ₹11,000 अन्य खर्चों के लिए शामिल है. इसके साथ ही कंपनी को आदेश दिया गया कि वह भविष्य में ऐसी प्रथाओं से बचे.
कायम हुई नई मिसाल
इस फैसले ने उपभोक्ता अधिकारों के क्षेत्र में एक नई मिसाल कायम की है. विशेषज्ञों का मानना है कि यह छोटा सा मामला बड़े कॉरपोरेट्स के लिए एक सबक है कि वे ग्राहकों के साथ छोटी-छोटी बातों में भी पारदर्शिता बरतें. उपभोक्ता कार्यकर्ता सुनीता मेहरा ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा, “यह आम आदमी की जीत है. कंपनियां अक्सर छोटे-छोटे शुल्कों के जरिए ग्राहकों का शोषण करती है लेकिन अब कोर्ट ने साफ कर दिया है कि ऐसी प्रथाएं बर्दाश्त नहीं की जाएंगी.”
बाटा का नहीं आया रिएक्शन
बाटा इंडिया ने इस फैसले पर अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है लेकिन सूत्रों का कहना है कि कंपनी इस फैसले के खिलाफ अपील करने पर विचार कर रही है. दूसरी ओर, रमेश चंद शर्मा ने इस फैसले को उपभोक्ताओं के लिए एक बड़ी जीत बताया. उन्होंने कहा, “मैंने यह लड़ाई सिर्फ अपने लिए नहीं बल्कि उन सभी ग्राहकों के लिए लड़ी जो ऐसी छोटी-छोटी बातों में ठगे जाते हैं.”

न्यूज 18 में बतौर सीनियर सब एडिटर काम कर रही हूं. रीजनल सेक्शन के तहत राज्यों में हो रही उन घटनाओं से आपको रूबरू करवाना मकसद है, जिसे सोशल मीडिया पर पसंद किया जा रहा है. ताकि कोई वायरल कंटेंट आपसे छूट ना जाए.
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