Published On: Mon, Dec 30th, 2024

दिल्ली HC में UAPA मामले के आरोपी की याचिका खारिज: कोर्ट बोला- युवाओं का ब्रेनवॉश करने वाले भाषणों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता


नई दिल्ली28 मिनट पहले

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दिल्ली हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा। आरोपी की याचिका खारिज की। - Dainik Bhaskar

दिल्ली हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा। आरोपी की याचिका खारिज की।

दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को कहा, ‘युवाओं का ब्रेनवॉश करने वाले भाषणों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।’ अनलॉफुल एक्टिविटी प्रिवेंशन एक्ट (UAPA) से जुड़े मामले में जस्टिस प्रतिभा एम सिंह और जस्टिस अमित शर्मा की बेंच ने ये टिप्पणी की।

बेंच ने कहा- युवाओं का ब्रेनवॉश करने और उन्हें देश के खिलाफ गैरकानूनी कामों के लिए भर्ती करने वाले भाषणों को इस आधार पर पूरी तरह से खारिज नहीं किया जा सकता कि कोई खास आतंकी एक्टिविटी नहीं की गई है।

दरअसल, UAPA के तहत आतंकवाद से जुड़े मामले के आरोपी मोहम्मद अब्दुल रहमान को ट्रायल कोर्ट ने फरवरी 2023 में 7 साल 5 महीने की सजा सुनाई थी। उसने आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, जिसे खारिज किया गया।

मोहम्मद अब्दुल रहमान को आतंकी संगठन अल-कायदा के भारतीय संगठन के सहयोगी होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उसके पास से कई सारे फर्जी डॉक्यूमेंट्स मिले थे। इसमें फर्जी पासपोर्ट भी शामिल है। वो पाकिस्तान भी होकर आया था।

रहमान का हाईकोर्ट में तर्क था कि अगर उसे टेररिस्ट एक्टिविटी और लोगों की भर्ती करने का दोषी ठहराया गया था, लेकिन ऐसा कोई सबूत है जो साबित करने की उसने ऐसा कुछ किया है।

बेंच ने कहा-

कोर्ट ने कहा- आरोपी मोहम्मद अब्दुल रहमान अल-कायदा के भारतीय संगठन के जुड़े लोगों से संपर्क में था। उनके बीच घनिष्ठ संबंध थे। ये सभी बड़े नेटवर्क का हिस्सा थे। इसलिए ट्रायल कोर्ट का फैसला बरकरार रखा जाता है।

नेटवर्क पर ये हैं आरोप

  • भड़काऊ भाषण देना
  • धर्म और भारत विरोधी सामग्री बांटना
  • पाकिस्तान में मौजूद आतंकी संगठनों से संपर्क
  • आतंकी संगठनों के साथ मीटिंग करना,
  • टेरर ग्रुप के लिए भर्ती करना, फंड जुटाना
  • भारत और यहां के पॉलिटिकल लीडर्स के खिलाफ नजर फैलाना

बेंच ने फैसले में ये बातें भी कहीं

  • इस तरह की साजिशों में छिपी एक्टिविटी की जरूरत नहीं, लेकिन घोषित आतंकी संगठनों को गुप्त समर्थन जरूर मिलता है।
  • आतंकी एक्टिविटी को अंजाम देने की योजना कई सालों तक चल सकती है। UAPA की धारा 18 का मोटिव ऐसी तैयारी को संबोधित करना है। भले ही कोई आतंकी एक्टिविटी न हुई हो।
  • भारतीय उपमहाद्वीप में अल-कायदा जैसे आतंकवादी संगठन बेहद गुप्त तरीके से काम करते हैं। इसके सहयोगी अक्सर कोई सबूत नहीं छोड़ते हैं।
  • फरवरी 2023 में ट्रायल कोर्ट ने अपीलकर्ता और अन्य आरोपियों को ऐसे कृत्यों को अंजाम देने की साजिश के लिए दोषी ठहराया, जो किसी आतंकवादी कृत्य को अंजाम देने की तैयारी का गठन करते हैं।

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