दिल्ली विधानसभा की 12 आरक्षित सीटों पर हम की नजर: उम्मीदवार उतारने की तैयारी में जीतन राम मांझी, 23 दिसंबर को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक – Patna News

हम पार्टी दिल्ली विधानसभा चुनाव में अपना उम्मीदवार उतारना चाहती है। वहां की 12 आरक्षित सीटों पर जीतन राम मांझी की नजर है। यही वजह है कि पार्टी दिल्ली में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक कर रही है। 23 दिसंबर को बैठक होनी है।
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हम पार्टी झारखंड विधानसभा चुनाव में भी 10 सीटों पर उम्मीदवार देना चाहती थी। लेकिन, बीजेपी के साथ सहमति नहीं बन पाई थी। बिहार विधानसभा उपचुनाव में हम पार्टी ने इमामगंज की सीट जीत ली है। यहां जीतन राम मांझी की बहू दीपा मांझी विधायक बनी हैं। इससे हम पार्टी काफी उत्साहित है।
इस रिपोर्ट में पढ़िए हम पार्टी की नजर दिल्ली समेत चार राज्यों के आरक्षित सीटों पर है।
सबसे पहले जानिए नीतीश के दबाव के बावजूद जदयू में विलय नहीं किए मांझी
पांच महीने पहले तक हम की स्थिति यह थी कि इस पार्टी पर जेडीयू में विलय करने का दबाव था। लेकिन, पार्टी सुप्रीमो जीतन राम मांझी तैयार नहीं हुए। इस वजह से उनके बेटे संतोष मांझी को मंत्री पद से हाथ धोना पड़ा था। नीतीश कुमार, जीतन राम मांझी के बारे में यहां तक कह चुके हैं कि ‘ये मेरी मूर्खता से मुख्यमंत्री बने।’ लेकिन, मांझी का साथ पीएम नरेन्द्र मोदी ने दिया था।
लोकसभा चुनाव में जीतन राम मांझी ने सक्रिय राजनीति से संन्यास का संकल्प तोड़ा। फिर 2024 में गया लोकसभा चुनाव से चुनाव लड़ कर सांसद के साथ ही केन्द्रीय मंत्री भी बन गए। उनके बेटे संतोष सुमन बिहार सरकार में दो विभागों के मंत्री हैं। ये वही जीतन राम मांझी हैं, जिन्हें नीतीश कुमार ने ही मुख्यमंत्री बनाया और फिर कुर्सी से हटाया भी। जीतन राम मांझी 20 मई 2014 से 20 फरवरी 2015 तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे हैं।

केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी की फाइल तस्वीर।
आरक्षित सीटों के सहारे पांव पसारने की तैयारी
हम पार्टी कुछ खास प्रदेशों की आरक्षित सीटों की राजनीति को साधना चाहती हैं और ऐसी सीटों पर उसकी नजर है। हम पार्टी की नजर दिल्ली, केरल, कर्नाटक, तेलंगाना की आरक्षित सीटें पर है। इन राज्यों में हम पार्टी अपना संगठन भी खड़ा कर रही है। केरल विधानसभा में 140 सीटें हैं, जिनमें से14 सीटें अनुसूचित जाति और 2 सीटें अनुसूचित जनजाति की आरक्षित हैं।
कर्नाटक में विधानसभा की 224 सीटें है, जिनमें से 36 सीटें अनुसूचित जाति और 15 सीटों अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं। तेलंगाना में अनुसूचित जाति की 19 और अनुसूचित जनजाति की 12 सीटें हैं। बिहार विधानसभा की 243 सीटों में से 38 सीटें अनुसूचित जाति और दो सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं। बिहार में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीटें

सरकारी नौकरी छोड़ विधायक बने थे मांझी
जीतन राम मांझी दलितों में मुसहर समाज से आते हैं। अपने बयानों से उन्होंने अलग छवि बनाई है। जीतन राम मांझी को सीएम पद से जब नीतीश कुमार ने हटवाया तो उन्होंने बगावत कर दिया। जेडीयू से अलग तो हुए ही हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा नामक पार्टी भी बना ली। मांझी के पिता खेतिहर मजदूर थे। उस परिवार से जीतन मांझी ने पहले तो सरकारी नौकरी की, लेकिन नौकरी छोड़ 1980 में पहली बार विधायक हो गए। बिहार में कई विभागों में मंत्री रह चुके हैं। अपनी अलग पार्टी बनाने के बाद परिवारवाद की परवाह नहीं करते हुए अपने बेटे को दो बार एमएलसी बनवाया और मंत्री भी।
पुत्र संतोष सुमन गया कॉलेज गया में पॉलिटिकल साइंस के असिस्टेंट प्रोफेसर हैं। हम पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष अपने बेटे को ही उन्होंने बनाया। लोगों में अलग मैसेज जाए इसलिए टेकारी के विधायक अनिल कुमार को प्रदेश अध्यक्ष बनाया। अनिल कुमार भूमिहार जाति से आते हैं और एसोसिएट प्रोफेसर रहे हैं। 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में हम पार्टी ने सात सीटों पर उम्मीदवार उतारा और उसमें से चार पर जीत हासिल की।
इमामगंज, टेकारी, बारचट्टी और सिकंदरा में पार्टी जीती। जीतने वालों में जीतन राम मांझी के साथ ही उनकी समधन बाराचट्टी से विधायक ज्योति देवी भी रहीं। जीतन राम मांझी जब गया से लोकसभा चुनाव जीत गए तो उनकी इमामगंज सीट पर विधानसभा उपचुनाव कराया गया। उपचुनाव में उनकी बहू दीपा मांझी विधायक चुनी गईं।
दिल्ली की 12 सीटों पर तेज नजर
दिल्ली में विधानसभा की 12 सीटें अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित हैं। इन सीटों पर हम पार्टी की नजर है। इन तमाम 12 सीटों पर आम आदमी पार्टी का कब्जा है। इनमें से 11 सीटें ऐसी हैं जिस पर बीजेपी रनिंग पोजिशन पर रहीं। सीमापुरी ऐसी सीट रही जिस पर लोजपा रनिंग पोजिशन पर रहीं। यहां आप पार्टी के राजेन्द्र पाल गौतम ने लोजपा के संतलाल को हराया था।
दिल्ली विधानसभा की 12 आरक्षित सीटों पर कौन जीता हारा वह देखिए

दिल्ली विधानसभा चुनाव में आरक्षित सीटों की राजनीति में कौन आगे कौन पीछे रहा
- 1993- 13 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थीं, जिनमें से आठ सीटों पर भाजपा व पांच सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशी विजयी रहे थे। भाजपा की सरकार बनी थी।
- 1998- आरक्षित सीटों की संख्या 12 थी, सभी पर कांग्रेस को जीत मिली थी। कांग्रेस ने ही सरकार भी बनाई थी।
- 2003- 12 में से दस सीटों पर कांग्रेस और दो सीटों पर भाजपा को जीत मिली थी। कांग्रेस की सरकार बनी थी।
- 2008- कांग्रेस को नौ, भाजपा को दो और बहुजन समाज पार्टी को एक सीट पर जीत मिली थी। कांग्रेस की सरकार बनी थी।
- 2013- आप को नौ, भाजपा को दो और कांग्रेस को एक सीट पर जीत मिली थी। आप ने कांग्रेस के सहयोग से सरकार बनाई थी।
- 2015- सभी सीटों पर जीत हासिल करके आप ने सरकार बनाई।
- 2020- सभी सीटों पर आप पार्टी ने जीत हासिल कर सरकार बनाई।
दिल्ली, बिहार के विधानसभा चुनाव सहित कई मुद्दों पर राष्ट्रीय बैठक में बात होगी- श्याम सुंदर, हम पार्टी के प्रवक्ता
हम पार्टी के प्रवक्ता श्याम सुंदर कहते हैं कि ‘दिल्ली में हम पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक इसलिए रखी गई है कि दिल्ली देश की राजधानी है। कोई भी पार्टी अपने संगठन का विस्तार चाहती है। हम पार्टी भी अपना विस्तार चाहती है। हमारे नेता जीतन राम मांझी चाहते हैं कि हम पार्टी की लोकप्रियता का लाभ एनडीए को मिले। न केवल दिल्ली बल्कि दक्षिण भारत के कई राज्यों जैसे कि केरल, कर्नाटक, तेलंगाना जैसे देश के 10-12 राज्यों में हम संगठन खड़ा करके उसे मजबूती देने में लगे हैं। दिल्ली एक सेंटर है। उत्तर और दक्षिण से लोग यहां आसानी से आ सकते हैं और लोगों को एकत्रित होने में सुविधा रहती है।’

दिल्ली विधानसभा की कितनी सीटों पर हम पार्टी के लड़ने की तैयारी है? इस सवाल पर श्याम सुंदर कहते हैं कि ‘इस पर हमारे संरक्षक या राष्ट्रीय अध्यक्ष ने अभी कुछ नहीं कहा है। राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में तय होगा कि हमारी आगे की भूमिका कैसी होगी, बिहार या दिल्ली की रणनीति पर भी वहां बात होगी।’