दिल्ली में कनाडाई दूतावास के बाहर विरोध प्रदर्शन: ब्रैम्पटन में मंदिर पर हुए हमलों का विरोध, कई लोगों को पुलिस ने हिरासत में लिया

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नई दिल्ली2 मिनट पहले
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कनाडा के ब्रैम्पटन में 4 नवंबर को हिंदू मंदिर पर हमला हुआ था। इस घटना के विरोध में रविवार (10 नवंबर) को दिल्ली में कनाडाई दूतावास की ओर हिंदू सिख ग्लोबल फोरम के कार्यकर्ताओं ने विरोध मार्च निकाला। प्रदर्शनकारियों में महिलाएं भी शामिल हुईं। इनमें कई वृद्ध भी थीं।
सैकड़ों की संख्या में हिंदू संगठनों और फोरम के कार्यकर्ताओं ने मंदिर पर हुए हमले का विरोध किया। प्रदर्शनकारी ‘हिंदू और सिख एकजुट हैं’ और ‘भारतीय कनाडा में मंदिरों का अपमान बर्दाश्त नहीं करेंगे’ लिखी तख्तियां लेकर पहुंचे थे।
दिल्ली पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए दूतावास के बाहर बैरिकेडिंग की और कई सारे पुलिस के जवानों को तैनात किया। पुलिस ने दूतावास से पहले तीन मूर्ति मार्ग पर भी बैरिकेडिंग कर प्रदर्शनकारियों को रोका। लेकिन लोगों ने बैरिकेडिंग तोड़ दी। इसके बाद पुलिस ने कई लोगों को हिरासत में लिया।
वहीं, हिंदू मंदिर पर हुए हमले मामले में कनाडाई पुलिस ने चार लोगों पकड़ा। इसमें सिख फॉर जस्टिस (SFJ) के टॉप कार्यकर्ता इंद्रजीत गोसल को भी पकड़ा था, लेकिन बाद में उसे छोड़ दिया गया। सिख फॉर जस्टिस (SFJ) संगठन पर भारत में प्रतिबंध है।
विरोध प्रदर्शन की 4 तस्वीरें…

कनाडाई दूतावास के बाहर बैरिकेडिंग की गई।

तीन मूर्ति मार्ग पर पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रोका।

हिंदू सिख ग्लोबल फोरम के लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया।

महिला-पुरुष प्रदर्शनकारियों ने बैरिकेड्स गिरा और आगे बढ़े।
पीएम मोदी ने हमले का विरोध किया था दरअसल, 4 नवंबर को कनाडा के ब्रैम्पटन शहर में भारतीय दूतावास ने हिंदू सभा मंदिर के बाहर कॉन्सुलर कैंप लगाया था। यह कैंप भारतीय नागरिकों की जरूरतों को पूरा करने के लिए लगा था। इसमें जीवन प्रमाण पत्र जारी किए जा रहे थे।
इसी दौरान 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों के 40 साल पूरे होने को लेकर प्रोटेस्ट कर रहे खालिस्तानी वहां पहुंचे और उन्होंने लोगों पर हमला किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस हमले की कड़ी निंदा की थी। उन्होंने कहा था कि हमें कनाडा सरकार से कार्रवाई की उम्मीद है। ऐसी घटनाएं हमें कमजोर नहीं कर सकती।
पीएम मोदी ने लिखा था कि मैं कनाडा में हिंदू मंदिर पर जानबूझकर किए गए हमले की कड़ी निंदा करता हूं। हमारे डिप्लोमेट्स को डराने के कायरतापूर्ण प्रयास भी उतने ही निंदनीय हैं। ऐसे हिंसक कृत्य भारत के संकल्प को कभी कमजोर नहीं कर सकते। हमें उम्मीद है कि कनाडा सरकार न्याय सुनिश्चित करेगी और कानून के शासन को बनाए रखेगी।
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भी निंदा की थी। जिसमें उन्होंने ब्रैम्पटन में हिंदू सभा मंदिर में हुई हिंसा को स्वीकार नहीं किया जा सकता। हर कनाडाई को अपने धर्म का स्वतंत्र और सुरक्षित तरीके से पालन करने का अधिकार है।

कनाडा में पिछले कुछ समय से हिंदू मंदिरों और समुदाय के लोगों को निशाना बनाए जाने से भारतीय समुदाय चिंतित है। पिछले कुछ सालों में ग्रेटर टोरंटो एरिया, ब्रिटिश कोलंबिया और कनाडा में बाकी जगहों पर हिंदू मंदिरों को नुकसान पहुंचाया गया है।

ब्रैम्पटन हमले की तस्वीर।
भारत का आरोप- वोट बैंक के लिए भारत विरोधी राजनीति कर रहे PM ट्रूडो भारत और कनाडा के बीच संबंधों में एक साल से भी ज्यादा समय से गिरावट देखी गई है। इसकी शुरुआत जून 2020 में खालिस्तानी समर्थक नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद हुई। पिछले साल सितंबर में PM ट्रूडो ने संसद में आरोप लगाया कि निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंसी का हाथ है।
इसके बाद ट्रूडो ने पिछले महीने 13 अक्टूबर निज्जर हत्याकांड में भारतीय राजनयिकों के शामिल होने का आरोप लगाया था। इसके बाद भारत ने संजय वर्मा समेत अपने 6 राजनयिकों को वापस बुला लिया।
भारत का कहना है कि कनाडा सरकार के आरोप बेबुनियाद हैं। कनाडा ने भारत सरकार के साथ एक भी सबूत साझा नहीं किया है। वे बिना तथ्य के दावे कर रहे हैं। ट्रूडो सरकार राजनीतिक लाभ उठाने के लिए जानबूझकर भारत को बदनाम करने की कोशिश में जुटी है।
भारत के विदेश मंत्रालय ने पिछले महीने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि PM ट्रूडो की भारत से दुश्मनी लंबे समय से जारी है। उनके मंत्रिमंडल में ऐसे लोग शामिल हैं जो खुले तौर पर चरमपंथी संगठनों से जुड़े हुए हैं।