दिल्लीवालों पर यह कैसी मुसीबत, अब क्या करेगी केजरीवाल सरकार?

नई दिल्ली. दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने कुछ दिनों पहले वाहनों का प्रदूषण जांच कराना महंगा करने का फैसला किया था. सरकार के इस कदम से वाहन मालिकों के लिए PUC सर्टिफिकेट बनवाना महंगा हो गया. PUC सर्टिफिकेट बनवाने की दर में 13 साल बाद वृद्धि की गई, लेकिन सरकार का यह फैसला पेट्रोल पंप मालिकों को रास नहीं आया है. प्रदूषण जांच की दर में बढ़ोतरी के कदम से नाराज दिल्ली के पेट्रोल पंप मालिकों ने अब बड़ा फैसला लिया है. पेट्रोल पंप मालिकों ने कहा है कि वे दिल्ली सरकार द्वारा प्रदूषण जांच प्रमाणपत्र की दरों में प्रस्तावित वृद्धि से खुश नहीं हैं और इसलिए सोमवार 15 जुलाई 2024 से PUC केंद्र बंद रहेंगे.
पेट्रोल पंप मालिकों ने संयुक्त रूप से एक बयान जारी कर कहा कि प्रदूषण नियंत्रण (पीयूसी) केंद्रों को चलाना अब फायदे की बात नहीं रह गई. दिल्ली सरकार ने करीब 13 साल के बाद गुरुवार को पेट्रोल, सीएनजी और डीजल वाहनों के लिए PUC सर्टिफिकेट के शुल्क में 20 से 40 रुपये तक की बढ़ोतरी की. दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने कहा कि नई दरें दिल्ली सरकार द्वारा अधिसूचित होते ही प्रभावी हो जाएंगी. दिल्ली पेट्रोल डीलर्स एसोसिएशन (डीपीडीए) ने कहा कि PUC केंद्रों का संचालन अलाभकारी है, इसलिए कई पीयूसी केंद्रों ने पिछले कुछ महीनों में अपने लाइसेंस सरेंडर कर दिए हैं.
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पेट्रोल पंप मालिकों की आपत्ति
पेट्रोल पंप मालिकों ने अपने बयान में कहा दिल्ली पेट्रोल डीलर्स एसोसिएशन की प्रबंध समिति ने पीयूसी प्रमाणन दरों में अपर्याप्त वृद्धि के मद्देनजर 15 जुलाई से दिल्ली भर में अपने पंपों पर पीयूसी केंद्रों को बंद करने का संकल्प लिया है, क्योंकि यह बढ़ोतरी किसी भी तरह से पीयूसी केंद्रों के संचालन में डीलर के घाटे को कम नहीं करेगी. एसोसिएशन ने कहा कि पीयूसी दरों में साल 2011 में छह साल के अंतराल के बाद संशोधन किया गया था और तब वृद्धि 70 प्रतिशत से अधिक थी.
PUC का खर्च बढ़ गया- पेट्रोल पंप मालिक
पेट्रोल डीजल डीलर्स एसोसिएशन ने कहा कि दिल्ली सरकार ने 13 वर्षों के बाद दर में इज़ाफा किया है और यह वृद्धि मात्र 35 प्रतिशत की है. दूसरी तरफ, PUC केंद्र के संचालन का खर्च कई गुना बढ़ गया है. बयान में कहा गया है कि तेल मार्केटिंग कंपनियां PUC केंद्रों से भारी किराया वसूल रही है (कुल राजस्व का 10-15 प्रतिशत) जो पहले नहीं था. बयान में यह भी कहा गया है कि पहले ग्राहकों को गाड़ियों की हर तीन महीने पर प्रदूषण जांच करानी पड़ती थी, लेकिन BS-vi और इससे उच्च स्तर की गाड़ियों के आने के बाद अब साल में सिर्फ एक बार पीयूसी प्रमाण पत्र लेना पड़ता है.
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FIRST PUBLISHED : July 14, 2024, 23:44 IST