तोलोलिंग में चल रहा था जीत का जश्न, अचानक… जाने वाली थी सबकी जान, लेकिन तभी
25 years of Kargil war: तोलोलिंग की चोटियों पर बीते तीन दिनों से लगातार जारी युद्ध अब थम चुका था. राजपूताना राइफल्स के जांबाजों ने अपने पराक्रम और युद्ध कौशल से दुश्मन के हर एक सिपाही को उसके असली अंजाम तक पहुंचा दिया था. तोलोलिंग की चोटी पर भारतीय तिरंगा लहराने के बाद जवानों के चेहरे पर जीत की खुशी तो थी, पर शरीर अब थकान से चूर होने लगा था. जवानों के शरीर में अब इतनी भी ताकत नहीं बीच थी कि वह खड़े भी हो सके. जिंदगी अभी भी उनका इम्तहान ले रही थी.
तोलोलिंग की लड़ाई का हिस्सा रह चुके कैप्टन अखिलेश सक्सेना बताते हैं कि तोलोलिंग पीक में जीत हासिल करने के बाद हम सभी को याद आया कि बीते तीन दिनों से चल रहे युद्ध के दौरान किसी की जवान के मुंह में अन्न का एक भी दाना नहीं गया है. जवानों की हताशा उस वक्त अधिक बढ़ गई, जब उन्होंने पानी पीने के लिए अपने थर्मस की तरफ हाथ बढ़ाया और उसके भीतर से एक बूंद पानी भी नहीं निकला. एक बारगी सबको लगा कि दुश्मन की गोली से तो बच गए, लेकिन कहीं खून से जान न चली जाए.
कैप्टन अखिलेश सक्सेना बताते हैं कि इसी बीच उनकी निगाह कुछ जवानों पर गई, जो प्यास बुझाने के लिए जमीन पर पड़ी बर्फ को मुंह में डालने वाले थे. वहां मौजूद अफसरों ने दौड़कर उन जवानों के हाथ पकड़ लिए. उन्हें बताया गया कि बर्फ यदि हलक के नीचे चली जाती तो एक झटके में उनकी जान चली जाती. दरअसल, बीते तीन दिनों से दोनों तरफ से जारी गोलाबारी का पूरा बारूद बर्फ की ऊपरी सतह पर मजा हुआ था. और इस वजह से बर्फ की ऊपरी सतह पूरी तरह से जहरीली हो चुकी थी.
हमने अपने जवानों की जान की फिक्र करते हुए उन्हें बर्फ खाने से तो रोक दिया, लेकिन हम इस बात को लेकर अभी भी परेशान थे कि अपने जवानों को भूख से कैसे बचाया जाए. उन्होंने बताया कि तात्कालिक राहत के लिए हमने बर्फ को दो से तीन फीट नीते तक खोदा और उसके नीचे मौजूद बर्फ को बाहर निकालकर चूसना शुरू कर दिया. कई घंटे हम लोगों ने इस बर्फ को चूस कर खुद की जान बचाई.
FIRST PUBLISHED : July 26, 2024, 10:32 IST