Published On: Tue, Sep 3rd, 2024

तिहाड़ से बाहर आए विजय नायर और बिभव कुमार, लेकिन ‘शर्तों’ का भी करना होगा पालन


दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सहयोगी बिभव कुमार और आम आदमी पार्टी के पूर्व संचार प्रभारी विजय नायर मंगलवार को तिहाड़ जेल से बाहर आ गए। एक दिन पहले ही उन्हें सुप्रीम कोर्ट से अलग-अलग मामलों में जमानत मिली थी। विजय नायर दिल्ली के कथित शराब घोटाला मामले में तिहाड़ जेल में 22 महीने बिताने के बाद शाम करीब 6 बजे जेल से बाहर आए। जेल अधिकारी ने बताया कि उन्हें तिहाड़ जेल परिसर की जेल नंबर चार में रखा गया था।

परिजनों ने किया स्वागत

वहीं स्वाति मालीवाल के साथ कथित मारपीट मामले में न्यायिक हिरासत में बंद बिभव कुमार दोपहर 2 बजे जेल से बाहर आए। इस मौके पर उनके परिवार के सदस्यों ने उनका स्वागत किया। सुप्रीम कोर्ट ने बिभव कुमार को सोमवार को जमानत दे दी थी। शीर्ष अदालत ने कहा कि आरोपी 100 दिनों से अधिक समय से हिरासत में है। बिभव कुमार पर आरोप है कि उन्होंने 13 मई को केजरीवाल के आधिकारिक आवास पर मालीवाल पर कथित तौर पर हमला किया था।

बिभव पर कौन सी धाराएं?

बिभव कुमार को 18 मई को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया था। उनके खिलाफ 16 मई को भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया था। इनमें आपराधिक धमकी, महिला पर हमला या उसके कपड़े उतारने के इरादे से आपराधिक बल का प्रयोग करना और गैर इरादतन हत्या का प्रयास करना शामिल है। आप नेताओं ने सोमवार को विजय नायर को मिली जमानत को ‘सत्य की जीत’ बताया था। इसी मामले में दिल्ली के सीएम केजरीवाल तिहाड़ जेल में बंद हैं।

बिभव पर क्या होंगी पाबंदियां?

सुप्रीम कोर्ट से जमानत दिए जाने के बाद न्यायिक मजिस्ट्रेट गौरव गोयल की अदालत ने बिभव कुमार को एक-एक लाख रुपये के निजी मुचलके और जमानती बांड जमा करने पर जमानत दे दी। अदालत ने जमानत के लिए अन्य शर्तें भी लगाई हैं। इनमें कहा गया है कि बिभव कुमार गवाहों को नहीं धमकाएंगे। वह सबूतों से छेड़छाड़ नहीं करेंगे। वह नियमित रूप से अदालती कार्यवाही में भी शामिल होंगे।

सीएम आवास में नहीं कर सकेंगे प्रवेश

वहीं सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने निर्देश दिया कि कुमार को केजरीवाल के निजी सहायक के रूप में बहाल नहीं किया जाएगा। यही नहीं बिभव को मुख्यमंत्री कार्यालय में कोई आधिकारिक कार्यभार भी नहीं दिया जाएगा। सभी गवाहों से पूछताछ पूरी होने तक बिभव कुमार सीएम आवास में प्रवेश भी नहीं कर सकेंगे। सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि जमानत निचली अदालत द्वारा लगाई जाने वाली अन्य शर्तों के अधीन होगी।

विजय नायर को भी शर्तों पर जमानत

एक दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने विजय नायर को करीब 23 महीने की हिरासत के बाद सोमवार को जमानत दे दी। न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी की पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता 23 महीने से हिरासत में हैं। केस शुरू होने से पहले ऐसी सजा नहीं दी जा सकती। यदि उसे लंबे समय तक विचाराधीन कैदी के रूप में हिरासत में रखा जाता है तो जमानत नियम है और जेल अपवाद… इससे सार्वभौमिक सिद्धांत पूरी तरह से विफल हो जाएगा। याचिकाकर्ता को आदेश में दी गई शर्तों पर जमानत दी जाती है।

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