तिलकुट, खुरमा और केला, बिहार के इन छह उत्पादों को जल्द मिलेगा जीआई टैग; क्या होगा फायदा
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गया का तिलकुट और पत्थलकटी, उदवंतनगर का खुरमा, नालंदा की बावनबुटी, हाजीपुर का केला और सीतामढ़ी के बालूशाही को जल्दी ही भौगोलिक संकेतक (जीआई टैग) मिल सकता है। बिहार के छह उत्पाद जीआई टैग प्राप्त करने के अंतिम चरण में हैं। राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक(नाबार्ड) के सहयोग से सभी छह उत्पादों ने जीआई टैग के लिए मार्च 2022 से मई 2022 के बीच आवेदन दिया था।
देश में विशिष्ट पहचान बनाने वाले इन उत्पादों के जीआई टैग प्राप्त करने में अब केवल ऑफलाइन सुनवाई ही बाकी है। फरवरी 2024 में बिहार के जीआई उत्पादों का ऑनलाइन सुनवाई (हियरिंग) की कार्रवाई की गई है। इस कड़ी में अंतिम प्रक्रिया के रूप में जीआई रजिस्ट्री चेन्नई द्वारा कभी भी इन उत्पादों की ऑफलाइन सुनवाई हो सकती है। नाबार्ड के सूत्रों के अनुसार जीआई टैग के लिए आवेदन देने के बाद इसकी जांच, डॉक्यूमेंटेशन, ऑनलाइन सुनवाई सहित लगभग सभी प्रक्रिया को पूरी हो गई है।
यह है बिहार के जीआई उत्पाद भागलपुरी जर्दालु आम, शाही लीची ऑफ बिहार, कतरनी चावल, मगही पान, मिथिला मखाना, मर्चा चावल, सिलाव खाजा, मधुबनी पेंटिंग, बिहार का एप्लिक(खटवा) कार्य, बिहार का सुजनी इम्ब्रोडरी कार्य, बिहार का सिक्की ग्रास उत्पाद, भागलपुर सिल्क, मंजूषा आर्ट।
जीआई टैग में पिछड़ा हुआ है बिहार
जीआई टैग प्राप्त करने में बिहार देश के अन्य राज्यों की तुलना में पिछड़ा हुआ है। अधिकतम जीआई रखने वाले राज्यों में उत्तर प्रदेश, केरल, कर्नाटक, तामिलनाडु आदि हैं। देश में 630 उत्पादों को अब तक जीआई टैग प्रदान किया गया है। जिसमें बिहार के अब तक केवल 16 उत्पादों को ही जीआई टैग प्राप्त हो सका है। इसमें ‘एप्लिक(खटवा) वर्क ऑफ बिहा’, ‘सुजनी इम्ब्रोडरी वर्क ऑफ बिहार’ और ‘सिक्की ग्रास प्रोडक्ट ऑफ बिहार’ को दो बार जीआई टैग प्राप्त है।
उत्पादों को दस वर्षों के लिए प्राप्त होगा टैग
ऑफलाइन सुनवाई के दौरान जीआई रजिस्ट्री चेन्नई के अधिकारी जीआई टैग के आवेदनकर्ताओं से मिलेंगे। उनसे उनके उत्पादों के बारे में जानकारियां भी प्राप्त करेंगे। ऑफलाइन सुनवाई में सफल रहने के बाद इन उत्पादों की सूची को जीआई जर्नल में प्रकाशित कर आपत्ति मांगी जाएगी। प्रकाशन की तिथि से 40 दिनों के अंदर यदि कोई आपत्ति नहीं मिलती तो संबंधित उत्पाद को जीआई टैग प्रदान किया जाएगा। एक बार जीआई रजिस्ट्रेशन होने के बाद टैग 10 वर्षों के लिए वैध होता है।
जीआई टैग मिलने से फायदा
आपको बता दें कि जीआई टैग मिलने से एक तरफ जहां प्रोडक्ट यानी उत्पाद और उससे जुड़े लोगों की अहमियत बढ़ जाती है तो वही इससे फर्जी उत्पाद को रोकने में भी मदद मिलता है। इस टैग के मिलने से उत्पाद से जुड़े लोगों को आर्थिक फायदा भी होता है।