ड्रैगन फ्रूट से बिहार के किसानों की खुलेगी किस्मत, नीतीश सरकार दे रही 40 फीसदी सब्सिडी; इन 21 जिलों का चयन
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किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लिए बिहार सरकार तत्पर है। इस मकसद से बने चौथे कृषि रोड मैप में विदेशी फल ड्रैगन फ्रूट को शामिल किया गया है। ड्रैगन फ्रूट उगाने के लिए सूबे के 21 जिलों की मिट्टी को अनुकूल पाते हुए इसका क्षेत्र विस्तार करने का निर्णय हुआ है। नीतीश सरकार ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए भारी भड़कम सब्सिडी भी दे रही है। सब्सिडी का भुगतान तीन चरणों में फसल के स्टेज के आधार पर किया जाएगा।
किसानों को ड्रैगन फ्रूट की खेती पर सरकार ने 40 फीसदी अनुदान देने का निर्णय लेते हुए राशि भी जारी कर दी है। इसकी खेती के लिए बनने वाली एक इकाई पर किसानों को लगभग साढ़े सात लाख रुपये का खर्च आता है। कृषि विभाग के संयुक्त सचिव मनोज कुमार ने इस योजना के लिए राशि जारी करने का आदेश दे दिया है।
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इन जिलों का किया गया चयन
ड्रैगन फ्रूट योजना के लिए राज्य के 21 जिलों का चयन किया गया है। कहा गया है कि वहां की मिट्टी और वायुमंडलीय स्थितियां उनमें मुजफ्फरपुर, पटना, भोजपुर, गोपालगंज, जहानाबाद, सारण, सीवान, सुपौल, औरंगाबाद, बेगूसराय, भागलपुर, गया, कटिहार, किशनगंज, मुंगेर, नालंदा, पश्चिम व पूर्वी चंपारण, पूर्णिया, समस्तीपुर और वैशाली जिले को शामिल किया गया है।
तीन किस्तों में अनुदान: किसानों को ड्रैगन फ्रूट की खेती पर तीन किस्तों में अनुदान दिया जाएगा। अनुदान की पहली किस्त 60 फीसदी राशि यानी 1.80 लाख रुपये प्रति किसान प्रति हेक्टेयर दी जाएगी। दूसरी किस्त अगले वर्ष कुल अनुदान का 20 फीसदी यानी 60 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर 75 फीसदी पौधे के जीवित रहने पर मिलेगी। वहीं अंतिम किस्त यानी शेष 20 फीसदी राशि उसके अगले से 90 फीसदी पौधों के जीवित रहने पर दी जाएगी। ड्रैगन फ्रूट गुलाबी या लाल रंग का होता है और इसका अंदरूनी भाग सफेद होता है। इसका गूदा काफी रसदार और हल्का मीठा होता है। इस फल में भरपूर मात्रा में विटामिन सी, बी, कैल्शियम, फास्फोरस और मैग्निशियम पाए जाते हैं। यह एंटी ऑक्सीडेंट का काम करता है। फाइबर की मात्रा अधिक होने के बावजूद यह लो कैलोरी फल है, जो वजन घटाने में मदद करता है। ड्रैगन फ्रूट की बाजार में कीमत एक सौ से चार सौ रुपये किलो तक होती है, जबकि इसे उगाने में किसानों का खर्च प्रति क्विंटल बेहद कम आता है। इसका एक पौधा 15 से 20 साल तक फल देने में सक्षम होता है, हालांकि यह मौसम और उसके रख-रखाव पर निर्भर करता है।