Published On: Wed, Dec 4th, 2024

झुंझुनूं में गोबर गैस प्लांट का चलन बढ़ा, पर्यावरण का हो रहा संरक्षण, गोबर गैस से जल रहे चूल्हे



झुंझुनूं में गोबर की ताकत जिले की गोशालाओं को दोहरा फायदा दे रही है. गोबर से गैस बनाने के छोटे गैस प्लांट तो कई जगह लगे हुए हैं.पर भोड़की गांव में बड़े स्तर पर प्लांट चल रहा है. अब पच्चीस नवम्बर से कंवरपुरा बालाजी गोशाला में भी स्वच्छ भारत मिशन के तहत नया बायो गैस प्लांट शुरू हुआ है. प्लांटों से गोबर का दोहरा उपयोग हो रहा है. लकड़ी नहीं जलाने से पर्यावरण को फायदा हो रहा है.

सिलेंडर पर होने वाला खर्चा बच रहा है. वहीं बचा हुआ अप्शिष्ट पदार्थ खेती में खाद के रूप में काम आ रहे हैं. अब तो बिजली भी बनने लगी है. हर दिन 21 किलो गैस सरकार की गोवर्धन परियोजना के तहत कामधेनू गोशाला समिति कंवरपुरा बालाजी में 25 नवम्बर से गैस प्लांट शुरू हुआ है. स्वच्छ भारत मिशन के पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर यहां गोबर से गैस बनाई जा रही है. खास बात यह है कि गोबर गैस से ना केवल रसोई में भोजन बनाया जा रहा है, बल्कि बिजली भी बनाई जा रही है. इससे जनरेटर चलाया जा रहा है. इस गैस से गायों के लिए बांटा, दलिया, लापसी बनाया जा रहा है. पानी गर्म किया जा रहा है. गोशाला समिति के हरफूल सिंह ने बताया कि यह तो शुरुआत है.

भोड़की में हर माह बच रहे पंद्रह हजार
जमवाय ज्योति गोशाला समिति भोड़की में बायोगैस प्लांट लगा हुआ है. समिति के सचिव कैलाश डूडी ने बताया कि यहां गायों के लिए बनने वाले बांटे व लापसी के लिए पहले लगभग पंद्रह हजार रुपए की गैस खर्च होती थी. अन्य ईंधन भी काम लिया जाता था. अब हर माह पंद्रह हजार से ज्यादा की बचत इस गैस प्लांट से हो रही है. यह पूरा प्लांट दानदाताओं के सहयोग से बनाया गया है. अब इससे बिजली उत्पादन का कार्य भी किया जाएगा. इस गोशाला को हाल ही जिले की गोशालाओं में पहला स्थान भी मिला है.

राजस्थान में सात प्लांट तैयार
गोवर्धन परियोजना के तहत अजमेर, सिरोही, चूरू जिले के सालासर व अन्य जगह करीब सात प्लांट चालू हो गए हैं. इसमें साठ फीसदी राशि केन्द्र सरकार व चालीस फीसदी राशि राज्य सरकार दे रही है.

जानें कैसे काम करता है बायो गैस प्लांट
एक टैंक में तय मात्रा में गोबर, पानी, गुड व अन्य पदार्थ डालते हैं. गर्म होने पर इसमें गैस बनती है. शुरुआत में गैस बनने में करीब पंद्रह दिन लगते हैं. इसके बाद हर दिन गोबर डालते रहते हैं और गैस बनती रहती है. इस गैस पाइस से रसोई में पहुंचती है. बायो गैस में मुख्यतया मिथेन, कार्बनडाई ऑक्साइड व अन्य गैस पाई जाती है.

Tags: Jhunjhunu news, Local18, Rajasthan news

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