Published On: Thu, Oct 10th, 2024

जोधपुर में चिकित्सा अधिकारी को 24 घंटे रखा डिजिटल अरेस्ट, ठगे 9 लाख


राजस्थान के जोधपुर में साइबर ठगों ने स्वास्थ्य विभाग ने चिकित्सा अधिकारी के पद पर कार्यरत डॉ. मोहम्मद शाकिर गौरी से 9 लाख रुपए ठग लिए। परिवादी ने सदर कोतवाली थाने में मामला दर्ज करवाया है। बता दें ये जोधपुर में डिजिटल अरेस्ट का चौथा मामला है। जांच अधिकारी सदर कोतवाली थाने के एसआई पुखराज ने बताया कि नागौरी गेट स्थित महावतों की मस्जिद के पास रहने वाले डॉ. मो. शाकिर गौरी ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि वह बालेसर में चिकित्सा अधिकारी हैं।

पुलिस के मुताबिक गौरी के पास 6 अक्टूबर को फोन आया, जिसमें किसी पार्सल के बारे में बताया गया और अधिक जानकारी के लिए 1 दबाने के लिए कहा। 1 दबाने पर एक व्यक्ति ने अपना नाम अमित शर्मा बताया, जिसने किसी पार्सल को डॉक्टर के नाम पर बुक होने की बात कही. जब परिवादी ने कहा कि ऐसा कोई पार्सल बुक नहीं है तो कॉलर ने बताया कि परिवादी के नाम से दिल्ली से थाईलैंड के लिए कोई पार्सल बुक है। यह दिल्ली एयरपोर्ट पर पकड़ा गया है, जिसमें 5 पासपोर्ट, 3 क्रेडिट कार्ड, 4.2 किलो कपड़े, 1 लैपटॉप और 1.4 ग्राम एमडी ड्रग्स मिला है।

पाकिस्तान फंडिंग के नाम पर डराया

ठगों ने डॉक्टर को डरा धमकाकर कहा कि उन्हें दो घंटे में दिल्ली क्राइम ब्रांच पहुंचना होगा। जब परिवादी ने उसने कहा कि उनका जोधपुर से इतनी जल्दी दिल्ली आना मुश्किल है। इस पर ठगों ने परिवादी को वॉट्सएप पर वीडियो कॉल किया और खुद को आईपीएस समाधान पंवार बताया। ठगों ने कहा कि परिवादी के लोकल बैंक, लोकल पॉलिटिकल और पुलिस की मिलीभगत से यह खाता खोला गया है, जो ऑपरेट हो रहा है। इस खाते से पाकिस्तान से भी फंडिंग हुई है। इन 5 पासपोर्ट में 3 पाकिस्तान के हैं। जब डॉक्टर ने ऐसा सब कुछ होने से इनकार किया तो उन्होंने कहा कि यह मामला ह्यूमन ट्रैफिकिंग का है।

ड्यूटी पर गए तो वापस बुलाया

ठगों ने डॉक्टर से कहा कि 24 घंटे का सहयोग करोगे तो बच जाओगे। इस बीच न मोबाइल बंद करना है और न ही किसी से इस बारे में जिक्र करना है। अगले दिन 7 अक्टूबर को जब डॉक्टर सुबह ड्यूटी पर चला गया, तब ठगों ने उसे वापस घर पर जाने के लिए कहा। इस पर पूरे दिन डिजिटल अरेस्ट रखकर ठगों ने आरटीजीएस के जरिए एचडीएफसी बैंक के खाते में यह कहकर रुपए डलवाए कि 6 घंटे बाद यह रुपए वापस अपने आप खाते में आ जाएंगे। तब डॉक्टर ने 9 लाख 5 हजार रुपए खाते में डाल दिए। शाम को जब 6 बजे वॉट्स एप चेक किया तो नंबर ऑफलाइन हो गया था। वापस कॉल किया तो कोई जवाब नहीं मिला। ठगी का एहसास होने पर डॉक्टर ने मामला दर्ज करवाया है।

उल्लेखनीय है कि जोधपुर डिजिटल अरेस्ट होने का सबसे पहला मामला अगस्त माह में आया था, जब बदमाशों ने आईआईटी की प्रोफेसर से 23 लख रुपए ठगे थे। इसके बाद मेडिकल कॉलेज की पूर्व विभाग अध्यक्ष से 87 लाख ठगे। फिर एक डेंटिस्ट डॉक्टर को अपना निशाना बनाया और 6 लाख रुपए ठगे। इन मामलों में पुलिस ने ट्रांजेक्शन के जो खाते काम में लिए थे उनको पकड़ा है।

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