जींद में हुआ राजेश शर्मा का स्टेच्यू अनावरण: 2002 में आंदोलन में कंडेला कांड में पुलिस की लाठियों से गई थी राजेश की जान – Jind News

जींद के कंडेला गांव में राजेश कुमार की प्रतिमा का अनावरण करते हुए किसान यूनियनों के पदाधिकारी व परिवार के लोग।
जींद के गांव कंडेला में रविवार को स्वर्गीय राजेश शर्मा के स्टेच्यू का अनावरण किया गया। राजेश शर्मा की साल 2002 में चर्चित कंडेला कांड के दौरान पुलिस की लाठियां लगने से मौत हो गई थी। उस समय राजेश मात्र नौवीं कक्षा के छात्र थे और उम्र मात्र 13 साल थी।
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कार्यक्रम में मुख्य रूप से जोगेंद्र नैन राज्य प्रधान भाकियू घासीराम नैन गुट, बलबीर सिंह गुरूसर किसान सभा राज्य प्रधान, नफे सिंह ईगराह, रामफल कंडेला राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भारतीय किसान यूनियन, कुलदीप उर्फ पप्पु रेढू शाहपुर, राजमल राजगढ़ ढोबी, छज्जू राम कंडेला राज्य प्रैस प्रवक्ता भारतीय किसान यूनियन, आजाद पालवां, गुरविंदर सिंह प्रधान माजरा खाप, ओमप्रकाश कंडेला कंडेला खाप प्रधान, विकास सींसर आदि मौजूद रहे।

कंडेला कांड में जान गंवाने वाले राजेश का फाइल फोटो।
अब समझिए क्या है कंडेला कांड और कैसे राजेश शर्मा की जान गई… किसानों ने चौटाला सरकार के खिलाफ आंदोलन शुरू किया: किसानों का आरोप था कि 2002 में हुए विधानसभा चुनाव से पहले इनेलो के ओमप्रकाश चौटाला ने बिजली बिल माफ करने का वादा किया था। किसानों ने इस वादे पर उन्हें वोट दिए। ओपी चौटाला के CM बनने के बाद सरकार ने बिजली बिल भरने का दबाव बनाया। इस पर जींद में किसानों ने आंदोलन करना शुरू कर दिया।
19 मई 2002 को किसानों ने रोड जाम किया
सरकार ने कंडेला समेत 5 गांव की बिजली पावर हाउस से कटवा दी। 19 मई 2002 को किसानों ने रोड जाम कर दिया। इसके बाद कैथल, कलायत की तरफ से किसान ट्रैक्टरों में भरकर कंडेला गांव की तरफ आने लगे। तभी पुलिस ने किसानों को रोकने के लिए जींद कैथल रोड पर नगूरां गांव में बैरिकेडिंग कर दी।
पुलिस की लाठीचार्ज में घायल हुआ राजेश
इस दौरान कंडेला गांव के ईश्वर सिंह का 13 साल का बेटा राजेश शर्मा भी किसानों के साथ नगूरां गांव में चल रहे आंदोलन में गया हुआ था। यहां किसानों ने जबरदस्ती आगे बढ़ने की कोशिश की तो पुलिस की तरफ से फायरिंग हुई और लाठीचार्ज किया गया। घोड़े पर सवार पुलिस कर्मचारियों की लाठियां लगने से राजेश शर्मा बुरी तरह से घायल हो गया।
6 दिन बाद इलाज के दौरान मौत हुई
राजेश शर्मा को उपचार के लिए अस्पताल में दाखिल करवाया गया, लेकिन 6 दिन बाद 25 मई को राजेश की मौत हो गई। इस कांड में 8 और किसानों की भी मौत हुई थी। कंडेला के 45 से ज्यादा किसान घायल हो गए थे। इसके बाद आंदोलन भड़क गया। किसानों ने कई अधिकारियों को बंधक बनाया था। इसके चलते 2 महीने तक कंडेला गांव में जींद-चंडीगढ़ मार्ग बंद रहा।
9 किसानों की प्रतिमा बन चुकी गुलकनी और रामराय के जान गंवाने वाले 9 किसानों की प्रतिमा बना दी गई, लेकिन राजेश शर्मा का स्टैच्यू अभी तक नहीं बना था। इसके लिए भारतीय किसान यूनियन के प्रधान जोगेंद्र नैन की अगुआई में भाकियू ने प्रदेश भर में घूम-घूमकर किसानों का सहयोग और सहमति मांगी।
परिवार बोला- प्रतिमा बनने से हम खुश राजेश शर्मा की मां का नाम बिसनो देवी और पिता का नाम ईश्वर है। बिसनो देवी कुरुक्षेत्र में रोडवेज विभाग से रिटायर हो चुकी हैं। राजेश के तीन भाई-बहन हैं, जिनमें दो लड़कियां और एक लड़का है। उनका छोटा भाई मनीष चौथे नंबर का है और खेती करता है। जिस समय राजेश की मौत हुई, वह नौवीं कक्षा में पढ़ रहे थे।राजेश शर्मा के माता-पिता का कहना है कि उन्हें बहुत खुशी है कि किसान यूनियन द्वारा उनके बेटे की प्रतिमा बनवाई जा रही है।