Published On: Sun, Jun 1st, 2025

जायसवाल की टीम में 60% सम्राट के लोग: पिछली टीम से EBC की संख्या डबल, OBC हाफ; संगठन में सवर्णों का दबदबा बरकरार – Bihar News


10 महीने के लंबे इंतजार के बाद बिहार बीजेपी अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने अपनी टीम का ऐलान कर दिया। 35 सदस्यीय प्रदेश कार्यसमिति में संगठन से जुड़े नेताओं को ही तरजीह दी गई है।

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जायसवाल की टीम में सवर्ण, अति पिछड़ा पर खास जोर दिया गया है, लेकिन इस लिस्ट में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी की छाप दिखती है।

35 सदस्यों वाली टीम में करीब 60 फीसदी यानी 20 लोगों को रिपीट किया गया है। मतलब 20 उन लोगों को शामिल किया गया है, जो सम्राट चौधरी की टीम में रह चुके हैं।

जायसवाल सिर्फ 40 फीसदी यानी 15 नए लोगों को ही कार्यसमिति में शामिल कर सके हैं। इसमें खास बात है कि EBC समुदाय से आने वाले जायसवाल ने OBC कोटे को आधा कर दिया है। जबकि, EBC कोटे को पिछली बार से दोगुना कर दिया है। सवर्णों का दबदबा चौधरी के साथ-साथ जायसवाल की टीम में भी बरकरार है।

स्पेशल स्टोरी में पढ़िए, भाजपा की नई कार्यसमिति में क्या-क्या खास है? चुनाव से पहले पार्टी किसे साधने की कोशिश में है?

भाजपा की नई कार्यसमिति: नई कार्यसमिति में 5 प्रदेश महामंत्री, 13 उपाध्यक्ष, 14 प्रदेश मंत्री, 1 कोषाध्यक्ष और 2 सह कोषाध्यक्ष हैं। प्रदेश अध्यक्ष की तरफ से अभी तक कार्यालय प्रभारी और और मुख्यालय प्रभारी की घोषणा नहीं हुई है। 35 लोगों में 15 सवर्ण, 9 EBC, 7 0BC और 4 दलित हैं।

मिथिलेश तिवारी की छुट्टी, धर्मशीला बनीं उपाध्यक्ष

संगठन के पुराने नेता रहे मिथिलेश तिवारी की संगठन से छुट्‌टी कर दी गई है। उनके साथ महामंत्री रहे जगन्नाथ ठाकुर और ललन मंडल को भी नई टीम में जगह नहीं मिली है। इनकी जगह लाजवंती झा, राधामोहन शर्मा और राकेश कुमार को महामंत्री बनाया गया है।

वहीं, पिछली कार्यसमिति में महिला प्रकोष्ठ की प्रदेश अध्यक्ष रहीं धर्मशीला गुप्ता को इस बार उपाध्यक्ष बनाया गया है। साथ ही बोचहां की विधायक रहीं बेबी कुमारी की भी संगठन में एंट्री कराई गई है। उन्हें प्रदेश उपाध्यक्ष बनाया गया है। वो संगठन में पहले भी महामंत्री रह चुकी हैं।

संगठन में बेहतर परफॉमरेंस करने वाले संतोष पाठक, सिद्धार्थ शंभू, संजय खंडेलिया और राजेंद्र सिंह को उपाध्यक्ष के पद पर रिपीट किया गया है। कोषाध्यक्ष के रूप में राकेश तिवारी को एक बार फिर रिपीट किया गया है।

3 पॉइंट में जायसवाल की नई टीम के मायने समझिए

1. बीजेपी के चौधरी फिलहाल सम्राट ही रहेंगे

बीजेपी की नई कार्यकारिणी के 35 लोगों में से करीब 60 प्रतिशत 20 चेहरे सम्राट चौधरी की टीम से लिए गए हैं। मात्र 40 फीसदी नए चेहरों को अपनी टीम में शामिल कराने में दिलीप जायसवाल सफल रहे हैं।

इससे स्पष्ट है कि पार्टी के नए चौधरी फिलहाल सम्राट ही रहेंगे।

संगठन से लेकर आयोग और सरकार में उनके पसंद के नेताओं को सेट किया जा रहा है। 30 मई को चौधरी के करीबी महाचंद्र प्रसाद सिंह को सवर्ण आयोग का अध्यक्ष बनाया गया है।

पॉलिटिकल एनालिस्ट अरुण पांडेय बताते हैं,’ राज्य में पार्टी को OBC लीडर की दरकार है जो नॉन यादव OBC को साध सके। सम्राट चौधरी इस खांचे में फिट बैठते हैं। यही कारण है कि पार्टी के भीतर उनका तेजी से उभार हुआ है। पहले MLC, फिर नेता प्रतिपक्ष और अब डिप्टी सीएम। उनका कद तेजी से बढ़ता जा रहा है।’

2. EBC के बिखरते वोट को समेटने की कोशिश

चुनाव से पहले BJP ने संगठन में EBC की हिस्सेदारी को पिछली टीम से दोगुना किया है। सम्राट चौधरी जब प्रदेश अध्यक्ष थे तब उन्होंने अपनी टीम में OBC की संख्या को बढ़ाकर 14 और 4 EBC को जगह दी थी। अब जब दिलीप जायसवाल ने नई कार्यसमिति की घोषणा की है तो इसमें उन्होंने संगठन में EBC की संख्या 9 कर दिया है। जबकि, OBC को आधा यानी 7 कर दिया है।

पॉलिटिकल एनालिस्ट अरुण पांडेय कहते हैं, ‘बिहार में जातीय सर्वेक्षण में इनकी 36 प्रतिशत आबादी है। BJP इसमें ज्यादा से ज्यादा सेंधमारी करने की कोशिश करना चाह रही है।’

अरुण पांडेय बताते हैं, ‘नीतीश कुमार सालों तक EBC वोट बैंक पर राज करते रहे हैं। लालू से इन्हें अलग करने के लिए उन्होंने पिछड़ा से पहले अतिपिछड़ा को अलग किया। इसके बाद अलग-अलग योजनाएं लाई। इस वर्ग की एक बड़ी आबादी नीतीश कुमार का कोर वोट बैंक रहा है। अब कांग्रेस और RJD दोनों इसे अपने पाले में लाने की कोशिश कर रही है। वहीं, बीजेपी इन्हें अपने साथ जोड़ने में जुटी है।’

3. पिछड़ा नीतीश, अगड़ा BJP की जिम्मेदारी

बीजेपी संगठन से लेकर सत्ता तक के अहम पदों पर सवर्णों को बढ़ाने से नहीं चूक रही है। संगठन से लेकर सत्ता तक में उन्हें हिस्सेदारी दी रही है। यही कारण है कि उन्होंने सत्ता में डिप्टी सीएम के रूप में एक सवर्ण चेहरे को आगे बढ़ाया। पिछड़ा आयोग के अध्यक्ष का पद जदयू के खाते में गया तो सवर्ण आायोग के रूप में बीजेपी ने अपने खाते में ली और अपने नेता को अध्यक्ष बनाया।

अरुण पांडेय बताते हैं, ‘संगठन में भी बीजेपी ने सवर्णों की हिस्सेदारी बरकरार रखी है। इससे उनका मैसेज साफ है कि 2025 चुनाव में भी पिछड़ा और अतिपिछड़ा को साधने का जिम्मा नीतीश कुमार के कंधे पर रहेगा। सवर्णों को साधने की जिम्मेदारी बीजेपी के हिस्से ही रहेगी।’

अरुण पांडेय बताते हैं,’ एक जमाने में सवर्ण कांग्रेस के कोर वोट बैंक माने जाते थे, लेकिन जब से कांग्रेस ने लालू यादव के साथ गठजोड़ किया है, सवर्ण उनसे दूर हो गए हैं। इसका सीधा लाभ बीजेपी को मिल रहा है। BJP इस फॉर्मूले को किसी तरह बिगड़ने नहीं देना चाहती है। यही कारण है कि संगठन में सवर्णों का दबदबा एक बार फिर से बरकरार है।’

प्रदेश नहीं जिला के संगठन में भी सवर्णों का दबदबा

केवल प्रदेश ही नहीं बल्कि बीजेपी की जिला इकाइयों में भी सवर्णों का दबदबा रहा है। जिलाध्यक्षों की लिस्ट में 45% से ज्यादा सवर्ण हैं। इनमें ब्राह्मण, भूमिहार और राजपूत के साथ कायस्थ को जगह दी गई है। सवर्ण के बाद सबसे ज्यादा तवज्जो कुशवाहा को दी गई है।

पार्टी की तरफ से 10 जिलों की कमान कोइरी और कुर्मी के हाथ में दी गई है। अगर इनमें यादव को शामिल कर दें तो लगभग 20% जिला अध्यक्ष पिछड़ा वर्ग से है।

अतिपिछड़ा की बात करें तो पार्टी ने इलाकावार उनकी आबादी के हिसाब से उन्हें जिले के संगठन में हिस्सेदारी दी है। इस वर्ग में मल्लाह के अलावा, हलवाई, कानू और भगत की कैटेगरी से आने वाले नेताओं पर भी पार्टी ने दांव लगाया है। मुस्लिम समुदाय से एक भी व्यक्ति को मौका नहीं दिया है।

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