जानिए आखिर क्यों नहीं कांग्रेस ने मतविभाजन पर जोर दिया, ध्वनिमत से ही ओम बिरला चुन लिए गए अध्यक्ष

Loksabha Speaker 2024: ओम बिरला फिर से लोक सभा के अध्यक्ष चुन लिए गए. कांग्रेस ने मंगलवार को साफ कर दिया था कि वो सत्तापक्ष के उम्मीदवार का विरोध करेगी. इसके लिए इंडिया गठबंधन में उसने काफी मशक्कत और रियाज भी किया था.
खबर ये भी थी कि ममता बैनर्जी ओम बिरला के विरोध में उम्मीदवार खड़ा करने पर कांग्रेस का साथ नहीं देंगी. बाद में राहुल गांधी ने उन्हें फोन कर के तैयार किया. तो फिर आज सदन शुरु होने के बाद क्या हुआ कि अध्यक्ष पद के लिए मतविभाजन नहीं हुआ. कांग्रेस की शर्त ये थी कि संसदीय परंपरा के मुताबिक सत्ता पक्ष लोकसभा के डिप्टी स्पीकर का ओहदा इंडिया गठबंधन को दे. तभी वे अध्यक्ष पद पर सहमति देंगे और चुनाव निर्विरोध होगा.
आज सदन शुरु होने के बाद बिरला के पक्ष में सत्ताधारी गठबंधन की ओर से कई प्रस्ताव किए गए. नेताओं ने उसका समर्थन किया. पीठासीन अध्यक्ष ने इस प्रस्ताव पर ध्वनिमत से मतदान कराया और ओम बिरला को विजयी घोषित कर दिया गया. दरअसल, इसके पीछे कांग्रेस की सोची समझी रणनीति थी. ये तो साफ है कि इंडिया गठबंधन की संख्या सत्ताधारी एनडीए से कम है. फिर भी कांग्रेस ने मंगलवार से ही इस पर कड़ा रुख अख्तियार कर रखा था. केंद्रीय मंत्रियों समेत सत्ताधारी पार्टी के नेता कांग्रेस से इस मसले पर लगातार संपर्क में थे. लेकिन कांग्रेस आला कमान इस बात पर तैयार नहीं था कि वो अपने कड़े रुख में नरमी लाए.
दरअसल, कांग्रेस इस मुद्दे पर संदेश देना चाहती थी कि वो अपने सख्त रुख से पीछे नहीं हटेगी. आगे भी संसदीय काम काज में सरकार को रियायत नहीं देगी. इस लिहाज से उसने अपना उम्मीदवार खड़ा किया. लेकिन संसदीय परंपरा ये भी है कि सरकार के किसी प्रस्ताव पर ध्वनिमत से मतदान होने पर पीठासीन अध्यक्ष हमेशा उसे स्वीकृत ही करता है.
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FIRST PUBLISHED : June 26, 2024, 12:12 IST