जहां उगते थे कांटे, वहां के रेगिस्तान से निकल रही रस भरी मिठास, 90 दिन में ही किसान हो रहे मालामाल

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Watermelon Farming: राजस्थान की तपती रेत और दूर-दूर तक फैले धोरों में अब सिर्फ बंजर जमीन की कहानी नहीं है बल्कि मिठास से भरी एक नई इबारत लिखी जा रही है. कभी यहां सिर्फ कांटे ही निकलते थे लेकिन नामधारी और सेमिनि…और पढ़ें

रेगिस्तान में बिक्री के लिए आए तरबूज
हाइलाइट्स
- थार रेगिस्तान में तरबूज की खेती सफल.
- कम लागत में 90 दिन में बंपर पैदावार.
- नामधारी और सेमिनिस किस्में लोकप्रिय.
बाड़मेर. राजस्थान की तपती रेत और दूर-दूर तक फैले धोरों में अब सिर्फ बंजर जमीन की कहानी नहीं है बल्कि मिठास से भरी एक नई इबारत लिखी जा रही है. नामधारी और सेमिनिस जैसी उन्नत किस्मों के तरबूजों ने यहां की जलवायु और मिट्टी को चुनौती देते हुए किसान की उम्मीदों में रंग भर दिए हैं.
थार के रेगिस्तान में जहां तापमान 50 डिग्री तक पहुंचता है और खेती की कल्पना भी बेहद मुश्किल थी, वहां अब तरबूज की बेलें लहलहा रही हैं. हर फल में स्वाद की मिठास घुल रही है. खास बात यह कि कम लागत व मेहनत में तीन माह में ही पैदावार देने वाली यह जायद की फसल किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है.
बालोतरा जिले के पादरु कस्बे में गत 5-7 साल में तरबूज की खेती में काफी किसान रूचि दिखाने लगे हैं. अच्छी पैदावार होने से मिठौड़ा सहित आस-पास के गांवों में भी अनार, बेर व खजूर के साथ ही तरबूज की खेती हो रही है. ब्लीचिंग पद्धति से रेतीली मिट्टी में कम पानी में तरबूज की उपज हो रही हैं. इसमें सबसे ज्यादा नामधारी किस्म के साथ सेमिनिस किस्म के तरबूज की पैदावार हो रही है.
90 दिन में बंपर पैदावार
तरबूज की खेती में कम लागत, कम मेहनत लगती है और तीन माह में ही पैदावार होने से किसान इसे बेचकर अच्छा मुनाफा कमा सकते है. किसान भीमसिंह राजपुरोहित के मुताबिक नामधारी नस्ल का तरबूज अपनी कई खासियतों के लिए जाना जाता है. इसका औसत वजन 2 से 5 किलोग्राम होता है. यह तरबूज स्वाद में अत्यंत मीठा व रसीला होता है.
प्रति बीघा 22 टन तरबूज की पैदावार
इसकी फसल 70 से 90 दिनों में तैयार हो जाती है, इससे कम समय में अधिक उत्पादन से किसान को अच्छा मुनाफा हो सकता है. प्रति बीघा में 230 ग्राम बीज लगता है. वहीं प्रत्येक बीघा में 18 से 22 टन तरबूज की पैदावार हो जाती है. इस नस्ल के तरबूज की मिठास के चलते बिक्री जोरों पर हो रही है. बाजार में इन तरबूजों की 15 से 20 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिक्री हो रही है.
मुनाफे से बदली लोगों की जिंदगी
पिछले 5-7 साल में ही तरबूज से अच्छी आय को देखकर अब आस-पास के गांवों के किसान भी अनार के साथ-साथ कुछ बीघा में इसकी खेती कर रहे हैं. माधोसिंह, पेमाराम सहित दर्जनों किसान ऐसे है जो इस बार तरबूज की खेती कर रहे है. रेगिस्तान में नामधारी, सेमिनिस व बालाजी किस्म के अच्छे तरबूज हो रहे हैं. इन दिनों पादरु मुख्य बाजार सहित आस-पास के गांवों व मुख्य मार्गों पर जगह-जगह ट्रैक्टर-ट्रॉली व अस्थाई टेंट लगाकर किसान तरबूज बेचते नजर आ रहे है.
एक दशक से डिजिटल जर्नलिज्म में सक्रिय. दिसंबर 2020 से News18Hindi के साथ सफर शुरू. न्यूज18 हिन्दी से पहले लोकमत, हिन्दुस्तान, राजस्थान पत्रिका, इंडिया न्यूज की वेबसाइट में रिपोर्टिंग, इलेक्शन, खेल और विभिन्न डे…और पढ़ें
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