जस्टिस वर्मा के खिलाफ सरकार महाभियोग ला सकती है: मानूसन सत्र में प्रस्ताव संभव; कैश कांड के दोषी जज के घर जले नोट मिले थे

नई दिल्ली2 मिनट पहले
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14 मार्च को दिल्ली HC जज के सरकारी बंगले में आग लगी थी। वहां दमकल कर्मियों को जले हुए 500 रुपए के नोटों से भरी बोरियां मिलीं थी।
केंद्र सरकार इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ संसद में महाभियोग प्रस्ताव लाने पर विचार कर रही है। सरकार से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, 15 जुलाई के बाद शुरू होने वाले मानसून सत्र में यह प्रस्ताव लाया जा सकता है। हालांकि सरकार अभी इस बात का इंतजार कर रही है कि जस्टिस वर्मा खुद इस्तीफा दे दें।
दरअसल, जस्टिस वर्मा के लुटियंस दिल्ली स्थित घर में 14 मार्च की रात आग लगी थी। उनके घर के स्टोर रूम से 500-500 रुपए के जले नोटों के बंडलों से भरे बोरे मिले थे। जिसके बाद उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट ट्रांसफर कर दिया गया था।

यह तस्वीर 14 मार्च की है। जस्टिस यशवंत वर्मा के घर में लगी आग में 500-500 के नोट जले थे।
तत्कालीन CJI संजीव खन्ना ने महाभियोग की सिफारिश की थी भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर जस्टिस वर्मा के महाभियोग की सिफारिश की थी। दरअसल सुप्रीम कोर्ट की तरफ से इंटरनल इन्क्वायिरी के लिए तीन सदस्यीय पैनल गठित किया गया था। जिसमें जस्टिस वर्मा को दोषी पाया गया था।
22 मार्च को इस मामले में सीजेआई ने जांच समिति बनाई थी, जिसमें पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस शील नागु, हिमाचल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जीएस संधावालिया और कर्नाटक हाईकोर्ट की जस्टिस अनु शिवरामण शामिल थीं। कमेटी ने 3 मई को रिपोर्ट तैयार की और 4 मई को CJI को सौंपी थी।
सूत्रों ने बताया कि उस वक्त CJI खन्ना ने वर्मा को इस्तीफा देने के लिए कहा था, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया था। हालांकि इस रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया था। एक आधिकारिक सूत्र ने कहा कि वर्मा के खिलाफ कार्रवाई की औपचारिक प्रक्रिया अभी शुरू नहीं हुई है।
न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक, सरकारी सूत्रों का कहना है कि वर्मा के खिलाफ कार्रवाई करने से पहले सरकार विपक्षी दलों को विश्वास में लेंगे। इस तरह के घोटाले को नजरअंदाज करना मुश्किल है।



2018 में भी 97.85 करोड़ रुपए के घोटाले में नाम जुड़ा था
इससे पहले 2018 में गाजियाबाद की सिम्भावली शुगर मिल में गड़बड़ी के मामले में जस्टिस वर्मा के खिलाफ CBI ने FIR दर्ज की थी। NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स ने मिल में गड़बड़ी की शिकायत की थी। शिकायत में कहा था कि शुगर मिल ने किसानों के लिए जारी किए गए 97.85 करोड़ रुपए के लोन का गलत इस्तेमाल किया है।
जस्टिस वर्मा तब कंपनी के नॉन-एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर थे। इस मामले में CBI ने जांच शुरू की थी। हालांकि जांच धीमी होती चली गई। फरवरी 2024 में एक अदालत ने CBI को बंद पड़ी जांच दोबारा शुरू करने का आदेश दिया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश को पलट दिया और CBI ने जांच बंद कर दी।

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