उष्णकटिबंधीय तूफान गरीब देशों में नवजात और शिशुओं की मृत्यु दर में खतरनाक रूप से वृद्धि कर रहे हैं। यह चिंता का विषय इसलिए भी है क्योंकि यह असर उन देशों में अधिक दिखाई दे रहा है जहां पहले से ही स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति कमजोर है और संसाधन सीमित हैं।
वैज्ञानिक पत्रिका साइंस एडवांसेज में प्रकाशित इस शोध के अनुसार जलवायु परिवर्तन के कारण उष्णकटिबंधीय तूफानों की आवृत्ति और तीव्रता लगातार बढ़ रही है। इन तूफानों का असर सबसे अधिक निम्न और मध्यम आय वाले देशों में देखने को मिल रहा है, जहां आपदा से निपटने की तैयारियां सीमित हैं। यूएससी डॉर्नसाइफ कॉलेज ऑफ लेटर्स, आर्ट्स एंड साइंसेज के वरिष्ठ अर्थशास्त्री और इस अध्ययन के प्रमुख लेखक डॉ. जेचरी वैगनर ने बताया कि तूफानों से प्रभावित बच्चों की मृत्यु दर सामान्य से 11 प्रतिशत ज्यादा देखी गई। यह आंकड़ा 1,000 जीवित जन्मों पर 4.4 अधिक मौतों के बराबर है। यह वृद्धि केवल उच्च तीव्रता वाले तूफानों तक सीमित नहीं है, बल्कि कम तीव्रता वाले तूफानों से भी बच्चों की जान को उतना ही खतरा है।
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सिर्फ पोषण या स्वास्थ्य सेवा की कमी ही जिम्मेदार नहीं
अक्सर यह माना जाता है कि प्राकृतिक आपदाओं के बाद बच्चों की मृत्यु दर में वृद्धि का मुख्य कारण गर्भवती महिलाओं को स्वास्थ्य सेवाओं और पोषण की कमी होती है। लेकिन इस शोध में यह स्पष्ट किया गया है कि मृत्यु दर में वृद्धि के पीछे कुछ अन्य कारण भी हैं, जिनकी स्पष्ट जानकारी अभी तक नहीं मिल पाई है। यह दर्शाता है कि तूफानों के प्रभाव से निपटने के लिए हमारी समझ और तैयारी दोनों ही अधूरी हैं। यह तथ्य आने वाले समय में और गहराई से अध्ययन की मांग करता है।
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बच्चों पर दीर्घकालिक शारीरिक-मानसिक असर
एक अन्य शोध के अनुसार 5 वर्ष से कम आयु के बच्चे तूफान जैसी प्राकृतिक आपदाओं के संपर्क में आने पर विशेष रूप से असुरक्षित होते हैं। प्राकृतिक आपदा के कारण होने वाले तात्कालिक आघात और नुकसान के अलावा, बच्चों को दीर्घकालिक शारीरिक, मानसिक और शैक्षिक नुकसान भी होते हैं। गरीब देशों में हजारों ऐसे बच्चे हैं जो तूफानों की चपेट में आकर विकलांग हो चुके हैं। बच्चों में तीव्र बीमारियों जैसे दस्त, बुखार और श्वसन संबंधी रोगों में 9 से 18% की वृद्धि देखी गई। आपदा का अनुभव करने के बाद 50% बच्चे पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस लक्षणों की रिपोर्ट करते हैं, जैसे कि आपदा के बारे में बार-बार विचार आना, अत्यधिक सतर्कता, सोने या ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई जैसी समस्या आती है।