जयराम ठाकुर ने की AIMIM नेता की गिरफ्तारी की मांग, संजौली मस्जिद में वीडियो पर जताई आपत्ति
हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने गुरुवार को AIMIM नेता शोएब जामई पर शिमला की संजौली मस्जिद विवाद मामले में लोगों की भावनाओं को भड़काने का आरोप लगाते हुए उनकी गिरफ्तारी की मांग की। जमई ने हाल ही में इस विवादित मस्जिद से एक वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर शेयर किया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि वह एक जनहित याचिका दायर कर पूछेंगे कि आसपास की चार मंजिलों से अधिक ऊंची इमारतों को अवैध क्यों नहीं माना जा रहा।
शिमला में मीडियाकर्मियों से बात करते हुए विपक्ष के नेता ठाकुर ने कहा, ‘जब स्थानीय लोगों को मस्जिद में जाने की अनुमति नहीं है, तो कोई बाहरी व्यक्ति मस्जिद के अंदर जाकर वीडियो कैसे बना सकता है।’ साथ ही उन्होंने यह भी पूछा कि जामई को मस्जिद में किसने जाने दिया और प्रशासन क्या कर रहा था?
ठाकुर ने कहा, ‘AIMIM नेता जमई फिलहाल जारी संजौली मस्जिद विवाद के संबंध में लोगों की भावनाओं को भड़का रहे हैं और उनकी गिरफ्तारी तुरंत होनी चाहिए। सरकार इस मुद्दे की गम्भीरता को नहीं समझ रही है।’
इसके अलावा सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर करते हुए उन्होंने कहा, ‘संजौली में मस्जिद निर्माण के मामले पर अब AIMIM नेता ने शांतिप्रिय प्रदेश में माहौल बिगाड़ने का काम किया है। उन्होंने सील की गई अवैध निर्माण वाली मस्जिद के अंदर वीडियो बनाकर अन्य घरों की तुलना करते हुए उन्हें अवैध बताया जो कि कानूनी तरीके एवं नियमों के आधार पर बने हैं। इसके साथ ही उन्होंने हिन्दू समाज की भावनाएं भी आहत की हैं। इसलिए इस गंभीर विषय को देखते हुए उस AIMIM नेता पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।’
इससे पहले शोएब जमाई की संजौली मस्जिद में बनाई वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हुई, जिसमें वह कथित तौर पर यह कहते हुए सुनाई दे रहे हैं कि न्याय सबके लिए है और केवल अदालत ही तय करेगी कि मस्जिद वैध है या अवैध। अपने वीडियो में मस्जिद के आसपास की ऊंची इमारतों को दिखाते हुए जमाई कहते हैं ‘अगर यह मस्जिद अवैध है, तो यहां के अन्य कई निर्माण भी अवैध हैं और हम अदालत में एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर करेंगे और पूछेंगे कि साढ़े चार मंजिलों से अधिक की अन्य इमारतें अवैध क्यों नहीं हैं।’
उधर इस मामले में राज्य के लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह और संजौली मस्जिद समिति के अध्यक्ष मोहम्मद लतीफ ने बुधवार को इस कृत्य की निंदा की। वीडियो का हवाला देते हुए सिंह ने कहा कि ‘वह (जमाई) बाहर से आए हैं और विवादित मस्जिद से वीडियो बनाकर और मामले को सनसनीखेज बनाकर राज्य का माहौल खराब करने की कोशिश कर रहे हैं।’ उन्होंने कहा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है और इस तरह के कृत्यों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।’उन्होंने कहा कि अदालत तय करेगी कि मस्जिद अधिकृत है या नहीं।
वहीं संजौली मस्जिद समिति के अध्यक्ष लतीफ ने भी वीडियो बनाने की घटना की निंदा की और सभी से यहां माहौल खराब न करने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा, ‘हमें बाहरी लोगों की जरूरत नहीं है। हम, सरकार और हिंदू संगठन सौहार्दपूर्ण तरीके से इस मुद्दे को सुलझा लेंगे।’ लतीफ ने कहा, ‘हमने अधिकारियों को पहले ही लिख दिया है कि हम मस्जिद के अनधिकृत हिस्से को खुद ही गिराने को तैयार हैं।’
उन्होंने कहा कि कुछ स्थानीय और बाहरी लोग इस मुद्दे पर राजनीति करने की कोशिश कर रहे हैं, साथ ही उन्होंने अधिकारियों से इस मुद्दे को भड़काने की कोशिश करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह किया।
बता दें कि हिंदू समुदाय के कई संगठन और स्थानीय लोग संजौली में मस्जिद के अनधिकृत हिस्से को गिराने की मांग कर रहे हैं। इस मांग को लेकर 11 सितंबर को हुए विरोध-प्रदर्शन के दौरान दस लोग घायल हो गए थे। इस प्रदर्शन के एक दिन पहले मुस्लिम समुदाय ने नगर आयुक्त से अनधिकृत हिस्से को सील करने का आग्रह किया था और अदालत के आदेश के अनुसार इसे गिराने की पेशकश भी की थी।