जम्मू में आतंकियों के मददगार 6 सरकारी कर्मचारी बर्खास्त: इनमें 5 पुलिसकर्मी और एक टीचर शामिल; PoK और LoC से ड्रग्स-हथियार की सप्लाई करते थे
नई दिल्ली1 घंटे पहलेलेखक: रऊफ डार
- कॉपी लिंक
जुलाई 2024 में जम्मू-कश्मीर में 10 आतंकी हमले हुए हैं। इसमें 15 जवान शहीद हुए हैं और 14 आतंकी ढेर हुए हैं।
जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने 6 सरकारी कर्मचारियों को एंटी नेशनल एक्टिविटी में शामिल होने के चलते बर्खास्त किया है। इनमें 5 पुलिसकर्मी और एक टीचर शामिल है। सभी ड्रग्स के व्यापार और टेरर फंडिंग कर रहे थे।
LG मनोज सिन्हा के नेतृत्व वाले प्रशासन ने इन कर्मचारियों को बर्खास्त करने के लिए भारत के संविधान के अनुच्छेद 311 (2) (सी) का इस्तेमाल किया। बर्खास्त कर्मचारियों में हेड कांस्टेबल फारूक अहमद शेख, सिलेक्शन ग्रेड कांस्टेबल सैफ दीन, खालिद हुसैन शाह, इरशाद अहमद चालकू, कांस्टेबल रहमत शाह और शिक्षक नजम दीन शामिल हैं।
ED और इंटेलिजेंस एजेंसियों की नजर में थे
अधिकारी ने बताया कि इन सभी पर ED और इंटेलिजेंस एजेंसियों की नजर थी। इनकी गतिविधियों पर नजर रखी जा रही थी। इसमें पुष्टि हुई थी ये सभी एंटी नेशनल गतिविधियों में शामिल हैं।
- कांस्टेबल सैफ दीन- ये डोडा जिले के शिगानी भल्लेसा का रहने वाला है। बहुत पहले से ड्रग्स की तस्करी कर रहा था। साथ ही प्रतिबंधित टेरर ग्रुप हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकियों के लिए ओवर ग्राउंड वर्कर भी था। अधिकारियों ने बताया कि दीन ने ही ड्रग चैनल स्थापित किए थे। इनका इस्तेमाल एंटी टेरर एजेंसियों और इनसे जुड़े लोग हथियारों और ड्रग्स की तस्करी करते थे। साथ ही जम्मू-कश्मीर में आतंकियों की घुसपैठ में मदद करते थे।
- कांस्टेबल शेख- ये कुपवाड़ा के इबकूटे तंगदार इलाके का रहने वाला है। शेख ने कांस्टेबल खालिद शाह और रहमत शाह के साथ मिलकर LOC के पार से पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर के तस्करों से नशीले पदार्थों की एक बड़ी पाई थी। शेख पाकिस्तानी आतंकियों के संपर्क में था, जो LOC के पार ड्रग्स, हथियार और पैसे की तस्करी करते हैं।
- कांस्टेबल खालिद शाह- कुपवाड़ा के चानीपोरा पायीन टंगडार इलाके के रहने वाला खालिद शाह PoK में ड्रग तस्करों के संपर्क स्थापित था। खालिद कुपवाड़ा-करनाह एरिया में ड्रग कार्टेल चलाने में बड़ी जिम्मेदारी निभा रहा था।
- कांस्टेबल रहतम शाह- ये कुपवाड़ा के करनाह इलाके के पंजोवा पिंगला हरिदल का रहने वाला है। रहमत को LoC के पार से ड्रग्स मिलता था, जिसे वो देश के अलग-अलग हिस्सों में सप्लाई करता था। पूछताछ में रहमत ने बताया कि ड्रग्स के व्यापार से जो कमाई होती थी उसका यूज जम्मू-कश्मीर को अस्थिर करने के लिए विरोधी एजेंसी की बड़ी योजना” के लिए किया जाना था।
- कांस्टेबल इरशाद अहमद चालकू: ये बारामुल्ला में उरी के सिलिकोटे इलाका का रहने वाला है। वो इस इलाके में आतंकियों के सहयोगियों के संपर्क में था। और आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के लिए ग्राउंड वर्कर के तौर पर काम कर रहा था। अधिकारियों के मुताबिक, चालकू एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग एप्लिकेशन जरिए PoK में मौजूद आतंकियों से संपर्क में था। उनसे हथियार और गोला-बारूद लेकर आगे सप्लाई करता था। उरी का होने के चलते चालकू उसे पूरे इलाके भी बहुत जानकारी है। वो घुसपैठियों की मदद करता था। उन्हें खाना-पीना और हथियार उपलब्ध करता था।
- शिक्षक नजम दीन- नजम पुंछ जिले के किरनी हवेली का रहने वाला है और ड्रग्स पेडलिंग करता था। साथ ही हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकियों के ओवर ग्राउंड वर्कर का काम करता था। अधिकारियों के मुताबिक, LOC के पार से ड्रग्स प्राप्त करता था और पंजाब में सप्लाई करता था। वो पाकिस्तान में कट्टर आतंकियों के संपर्क में था। इनमें कई आतंकी PoK में एक्टिव हैं। ड्रग्स से मिली रकम को आतंकियों गतिविधियों को बढ़ाने में यूज किया जाता था।
क्या है अनुच्छेद 311 (2) (सी)?
अनुच्छेद के प्रोविजन C के मुताबिक, राष्ट्रपति या राज्यपाल को सामान्य प्रक्रिया का सहारा लिए बिना किसी कर्मचारी को बर्खास्त करने का अधिकार है। यदि उन्हें लगता है कि सार्वजनिक सेवा में उस व्यक्ति का बने रहना राज्य की सुरक्षा के लिए खतरा है।
यह खबर पढ़ें…
जम्मू-कश्मीर के सांबा में पाकिस्तानी घुसपैठिया मारा गया, भारतीय सीमा में घुस रहा था
जम्मू-कश्मीर के सांबा जिले में भारत-पाक बॉर्डर पर BSF के जवानों ने एक पाकिस्तानी घुसपैठिए को मार गिराया है। BSF के आईजी डीके बूरा ने गुरुवार (1 अगस्त) को बताया कि घुसपैठिए को बुधवार रात करीब 10 बजे खोरा पोस्ट के पास भारतीय इलाके में घुसते देखा गया।
BSF जवानों की चेतावनी के बाद भी घुसपैठिया नहीं रुका, जिसके बाद फायरिंग में वह मारा गया। सुरक्षा अधिकारी ने कहा कि घुसपैठिया भारत-पाक सीमा की जीरो लाइन पार कर रहा था जो बॉर्डर प्रोटोकॉल का उल्लंघन था। घटना को पाकिस्तान की ओर से उकसाने की कोशिश की तरह देखा जा रहा है। घुसपैठिए की पहचान और मकसद का पता नहीं चल पाया है। अधिकारियों ने जांच शुरू कर दी है। पूरी खबर पढ़ें…
2020 में जम्मू से सेना हटाकर लद्दाख भेजी गई, यही आतंकियों के लिए मौका बना
2020 तक जम्मू रीजन में काफी सुरक्षा बल तैनात था। हालांकि, गलवान एपिसोड के बाद चीनी आक्रामकता का जवाब देने के लिए यहां की सेना को हटाकर लद्दाख भेज दिया गया। आतंकियों ने भारत के इस कदम को मौके के रूप में भुनाया और अपना आधार कश्मीर से जम्मू में शिफ्ट किया।
यहां इनका पुराना लोकल नेटवर्क पहले से ही था, जिसे एक्टिव करना था। वही हुआ है। जम्मू में आतंकी घटनाएं सांप्रदायिक रंग भी ले सकती हैं। यहां कश्मीर के मुकाबले जनसंख्या घनत्व कम है और सड़क संपर्क सीमित है। बड़ा इलाका पहाड़ी है, इसलिए आतंकियों को यहां मार गिराने में समय लग रहा है। पूरी खबर पढ़ें…